स्त्रियों के शोषण-उत्पीड़न-बलात्कार में लिप्त दिल्ली सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग!
उपनिदेशक पर नाबालिग से बलात्कार का आरोप!!

प्रियम्वदा

महिला सशक्तीकरण की दुहाई देने वाले दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग का स्त्री-विरोधी चरित्र पहले ही उजागर हो चुका है, और अब प्रेमोदय खाखा प्रकरण ने इनकी घिनौनी और सड़ी हुई मानसिकता को नई ऊँचाई पर ले जाने का काम किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक प्रेमोदय खाखा को बीते 20 अगस्त को एक नाबालिग से रेप के आरोप में पकड़ा गया है। मालूम हो कि वह बच्ची अपने पिता के निधन के बाद उनके दोस्त यानी प्रेमोदय खाखा के घर पर रह रही थी जहाँ आरोपी ने उसका कई बार बलात्कार किया। जब नाबालिग गर्भवती हो गयी तो उसने आरोपी की पत्नी को सूचित किया, जिसने इस पूरे मामले को दबा देने के मक़सद से लड़की को गर्भपात की दवाइयाँ दे दी। बीते अगस्त महीने में जब नाबालिग को एंज़ायटी अटैक हुआ और उसकी माँ ने उसे सेंट स्टीफ़ेंस अस्पताल में भर्ती कराया, तब लड़की ने परामर्श सत्र के दौरान पूरी घटना बतायी और यह मामला सामने आया।

हालाँकि इस पूरे मामले में आरोपी के ख़िलाफ़ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है परन्तु यह सोचने की बात है कि जिस विभाग को महिलाओं को “सशक्त” करने के लिये बनाया गया है, उसके अन्दर बलात्कारी और पितृसत्तात्मक मानसिकता के अपराधी भरे पड़े हुए हैं। इतना ही नहीं, इस प्रकरण के बाद यह खुलासा भी हुआ कि इसी प्रेमोदय खाखा के ख़िलाफ़ पहले ही कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की 4 शिकायतें दर्ज की गयीं थीं। इन शिकायतों के बावजूद यह महोदय महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक पद पर विराजमान रहे। आज जब इनके कच्चे-चिट्ठे खुल चुके हैं तो आम आदमी पार्टी इनसे पल्ला झाड़ने की पूरी कोशिश में लगी है। लेकिन यह कोई पहली मर्तबा नहीं है जब आम आदमी पार्टी और इसके नेता व कारकूनों के दिलों दिमाग़ में भरा पितृसत्ता का मवाद रिसकर बाहर आ गया हो। इसकी बानगी हम पहले भी देख चुके हैं। बीते साल 2022 में आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की हड़ताल के दौरान इसी विभाग के निदेशक की कुर्सी पर विराजमान नवलेन्द्र कुमार सिंह ने हड़ताली महिलाओं को “गुण्डी और लफंगी” कहा था। अपनी जायज़ माँगो के लिए लड़ रही कामगारों के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया था। ठीक यही भाषा दिल्ली सरकार के उपमुख्यमन्त्री मनीष सिसोदिया के भी थे जब महिलाकर्मी उनसे मिलकर अपनी माँगें ज़ाहिर करने गयी थीं। केजरीवाल सरकार का स्त्रियों के प्रति नज़रिया तो तब भी उजागर हो गया था जब 2017 और 2022 में हज़ारों की संख्या में महिलाकर्मी उनके घर के बाहर बैठी थीं और मुख्यमन्त्री महोदय कभी चुनाव प्रचार में व्यस्त थे तो कभी कान में रुई डालकर सो रहे थे। दिल्ली महिला आयोग, जिसकी महिलाओं के प्रति दिखावटी चिन्ता कभी ख़त्म होने का नाम नहीं लेती, वो 22,000 आँगनवाड़ी स्त्री कामगारों के मसले पर अचानक लापता हो गया था!!

ख़ैर, इस मसले पर और महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्दर चल रहे इन कुकृत्यों पर इनका यह दिखावटी आयोग भी कुछ नहीं कर पाता है! वैसे, यह सवाल उठना लाज़िम है कि डब्लूसीडी से लेकर इनका महिला आयोग कहीं स्त्रियों के शोषण-उत्पीड़न और बलात्कार का अड्डा तो नहीं? दिल्ली की मेहनतकश जनता के सामने अब इसका जवाब साफ़ है और इसमें ताज्जुब की भी कोई बात नहीं क्योंकि जब सियासतदान ही ऐसे कुत्सित और घिनौनी मानसिकता के हों तो समाज में स्त्री-विरोधी तत्वों को संरक्षण और बढ़ावा मिलता ही है। “साफ़-सुथरे” केजरीवाल सरकार के राज में दिल्ली यूँ ही महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर नहीं है!! निश्चित ही, इसमें मोदी सरकार का भी पूरा योगदान है, क्योंकि भाजपा तो वैसे भी देश में बलात्कारियों की और बलात्कारियों को बचाने वाली पार्टी के रूप में मशहूर हो चुकी है। प्रेमोदय खाखा के इस मामले के उजागर होने के बाद से केन्द्र सरकार और उसके नेता-मन्त्रियों ने अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिये घटिया हवाबाज़ी शुरू कर दी हैं। वैसे तो इस विभाग की केन्द्रीय मन्त्री भाजपा से है और एक स्त्री भी हैं और मगर मेहनतकश स्त्रियों के मसले से इन्हें कितना लेना-देना है यह किसी से छुपा नहीं है। कठुआ, उन्नाव, हाथरस से लेकर बलात्कार के तमाम जघन्य घटनाओं में मोदी सरकार और उसके नेता-मन्त्री संलिप्त पाये जाते हैं। यह बात दिन के उजाले की तरह साफ़ है कि इस देश की मेहनतकश औरतों की ज़िन्दगियों से मोदी या केजरीवाल सरकार किसी को भी कोई मतलब नहीं है। हमें इनके “स्त्री-प्रेम” के मुखौटे को आम जनता के सामने भी तार-तार करना होगा!

दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन महिला एवं बाल विकास विभाग में मौजूद ऐसे तमाम पतित तत्वों की पहचान और तुरन्त कार्रवाई व बरख़ास्तगी की माँग करती है। इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि ऐसे स्त्री-विरोधी और बलात्कारियों की जमात महिला एवं बाल विकास विभाग के आला अधिकारी बने बैठे हैं।

 

मज़दूर बिगुल, सितम्‍बर 2023


 

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