मज़दूर आन्दोलन से घबराये श्रीराम पिस्टन के मालिकान और प्रबन्धन का मज़दूर कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला!
ज़ोर है कितना दमन में तेरे-देख लिया है, देखेंगे!
साथियो!
5 मई की शाम 5 बजे श्रीराम पिस्टन के ग़ाज़ियाबाद कारखाने के बाहर श्रीराम पिस्टन के मालिकों और प्रबन्धन के भाड़े के गुण्डों ने 4 मज़दूर कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला किया। ‘गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति’ और ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ के चार मज़दूर कार्यकर्ता अजय, तपीश, आनन्द और अखिल श्रीराम पिस्टन, भिवाड़ी के संघर्षरत मज़दूरों के लिए समर्थन और एकता की अपील करने के लिए श्रीराम पिस्टन के ग़ाज़ियाबाद प्लाण्ट के गेट से 500 मीटर की दूरी पर पर्चा वितरण कर रहे थे। इतने में दो कारों में भरकर आये कम्पनी प्रबन्धन के 8 भाड़े के गुण्डों ने उन पर लोहे की रॉडों, डण्डों, लाठियों आदि से अचानक हमला कर दिया। कारखाने के बाहर उन्हें काफ़ी मारने के बाद ये गुण्डे चारों मज़दूर कार्यकर्ताओं को कारखाने के अन्दर ले गयी, जहाँ ग़ाज़ियाबाद पुलिस पहले से ही मौजूद थी। इसके बाद, पुलिस की मौजूदगी में ही उन गुण्डों ने काफ़ी देर तक मज़दूर कार्यकर्ताओं को काफ़ी बेरहमी से मारा-पीटा। नतीजतन, एक कार्यकर्ता तपीश के पैर में फ्रैक्चर हो गया, आनन्द का सिर फट गया और पैर में फ्रैक्चर हो गया साथ ही अखिल को भी गम्भीर चोटें आयीं। जब मज़दूर कार्यकर्ताओं ने हार नहीं मानी तो पुलिस उन्हें गुण्डों की गाड़ियों में ही थाने पर ले आयी। यहाँ पर पुलिस ने उन गुण्डों को बाइज़्ज़त जाने दिया, जबकि मज़दूर कार्यकर्ताओं को थाने में ज़बरन बिठा लिया। जब मज़दूर कार्यकर्ताओं ने श्रीराम पिस्टन के गुण्डों, प्रबन्धन और मालिकान पर प्राथमिकी दर्ज़ कराने की माँग की, तो पुलिस ने उल्टे उन पर ही प्राथमिकी दर्ज़ करने का प्रयास किया। लेकिन तब तक पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के तमाम मज़दूर अधिकार, जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व जनपक्षधर बुद्धिजीवियों ने प्रशासन पर इन कार्यकर्ताओं को छोड़ने का दबाव बना दिया था और कुछ मज़दूर कार्यकर्ता थाने के बाहर पहुँच गये थे। नतीजतन, पुलिस ने मामला रफ़ा-दफ़ा करने के लिए मज़दूर कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया। लेकिन इस बीच भयंकर दर्द और घायल अवस्था में इन कार्यकर्ताओं को थाने में बिठा कर रखा गया और उन्हें कोई चिकित्सीय देखरेख मुहैया नहीं करायी। ज्ञात हो कि श्रीराम पिस्टन, भिवाड़ी के मज़दूर पिछले 21 दिनों से अपने जायज़ हक़ों को लेकर आन्दोलन चला रहे हैं। इसी बीच इन आन्दोलनरत मज़दूरों पर भी वसुन्धरा राजे की मज़दूर-विरोधी सरकार ने पुलिस और गुण्डों के मिले-जुले गिरोह से आधी रात को बर्बर हमला करवाया था और इसके बाद 26 मज़दूरों को ही हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्रतार कर लिया था। और इसके बाद मज़दूरों की यूनियन पंजीकरण की प्रक्रिया को भी रोक दिया गया और साथ ही कई मज़दूरों को कम्पनी ने एकतरफ़ा तरीके से निकाल दिया। और इसके बाद 5 मई को श्रीराम पिस्टन के ग़ाज़ियाबाद कारखाने के बाहर ‘गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति’ और ‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ की टोली पर यह जानलेवा हमला किया गया, जो कि ग़ाज़ियाबाद कारखाने के मज़दूर भाइयों से समर्थन की अपील करने गयी थी।
मज़दूर साथियो! इस घटना ने कुछ बातें ज़ाहिर कर दी हैं। एक, श्रीराम पिस्टन के मालिकान, प्रबन्धन और भाड़े के गुण्डे भिवाड़ी के मज़दूरों के आन्दोलन से डर गये हैं। उन्हें लग रहा है कि मज़दूर जाग रहे हैं और इंसाफ़ की लड़ाई को फैलने से रोकना होगा। यही कारण है कि श्रीराम पिस्टन के मालिकों ने 5 मई को मज़दूर कार्यकर्ताओं पर यह कायराना हमला करवाया है। दूसरी बात, मज़दूरों पर पूँजीपतियों की नंगी तानाशाही कायम करने के काम में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकार और पुलिस पूरी तरह से पूँजीपतियों के साथ है। मज़दूरों के लिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार हो, राजस्थान की भाजपा सरकार हो या फिर हरियाणा की कांग्रेस सरकार हो। उनके लिए किसी भी सरकार का अर्थ यही हैः पूँजी की बर्बर और नग्न तानाशाही! तीसरी बात, भिवाड़ी के मज़दूरों पर हमले ने भिवाड़ी के बहादुर मज़दूर साथियों के संघर्ष को और मज़बूत किया था और यह ताज़ा हमला भी मज़दूरों के हौसले को और बुलन्द कर रहा है।
साथियो! हमें अपने आन्दोलन को और तेज़ करना होगा! हमें भिवाड़ी से लेकर गुड़गाँव तक की औद्योगिक पट्टी में खट रहे अपने सारे मज़दूर भाइयों और बहनों को अपने साथ लेना होगा! यह लड़ाई सिर्फ़ एक कारखाने तक सिमटकर नहीं रह सकती! यह लड़ाई पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी ऑटोमोबाइल व अन्य सेक्टर के मज़दूरों की लड़ाई है! पूँजीपति और सारी पार्टियों की सरकारें एक हैं! सभी मज़दूरों के मुद्दे एक हैं! तो फिर हमारी लड़ाइयाँ अलग-अलग क्यों हो, साथियो? मज़दूर आन्दोलन पर इन कायराना हमलों के ख़िलाफ़ हम अपने संघर्ष को और तेज़ करेंगे और व्यापक बनाएँगे!
मज़दूर एकता-ज़िन्दाबाद!
बजा बिगुल मेहनतकश जाग-चिंगारी से लगेगी आग!
मेहनतकश जब भी जागा-इतिहास ने करवट बदली है!
- गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति
- बिगुल मज़दूर दस्ता
सम्पर्कः अजय (गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति): 9540436262
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन