क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला के विषय में एक आवश्यक सम्पादकीय सूचना

 

साथियो,

हमने क़रीब दो वर्ष पहले जब क्रान्तिकारी मज़दूर शिक्षण माला के रूप में मज़दूरों-मेहनतकशों के लिए मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र की पाठ्यपुस्तक का एक श्रृंखला के रूप में प्रकाशन शुरू किया था तो हमें इस बात का अन्दाज़ा नहीं था कि मज़दूर व मेहनतकश साथियों और साथ ही छात्रों, युवाओं व बुद्धिजीवी साथियों के बीच से उसे इतनी अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी। इस शिक्षणमाला का लक्ष्य है वैज्ञानिक मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र के मूलभूत सिद्धान्तों को जितना सम्भव हो सरल रूप में व्यापक मेहनतकश व छात्र-युवा आबादी के समक्ष पेश करना। मोटे तौर पर अब तक हम इस लक्ष्य में सफल रहे हैं। अब तक प्रकाशित श्रृँखला मार्क्स की महान युगान्तरकारी रचना पूँजी के पहले खण्ड तक की शिक्षाओं को समेटती है। यह माल व उसके बुनियादी गुणों, माल उत्पादन की विशिष्टताओं, मूल्य के नियम, बेशी मूल्य, पूँजी द्वारा बेशी मूल्य के पैदा होने और फिर बेशी मूल्य के पूँजी में तब्दील होने की प्रक्रिया को तार-तार करके आपके सामने रखती है। यह पूँजी संचय के आम नियम को व्याख्यायित करती है और साथ ही आदिम संचय के रूप में पूँजी-श्रम सम्बन्ध के पैदा होने के ऐतिहासिक आधार को स्पष्ट करती है। इसके अलावा, यह मज़दूरी, कार्यदिवस, बेशी मूल्य को बढ़ाने के पूँजीपति वर्ग के तौर-तरीक़ों आदि पर भी तफ़सील से चर्चा करती है। अब तक जारी श्रृँखला के साथ मज़दूरों-मेहनतकशों के लिए मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र की पुस्तक, जिसे हम श्रृंखला के रूप में ‘मज़दूर बिगुल’ में प्रकाशित करते रहे हैं, का पहला खण्ड पूर्ण हो चुका है। इस अंक में हम दूसरे खण्ड के पहले अध्याय का प्रकाशन नहीं कर रहे हैं। वह अगले अंक से जारी होगा। इसी बीच पहले खण्ड के सम्पादन और उसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का काम भी शुरू कर दिया जायेगा। अगले खण्ड में हम पूँजीवादी व्यवस्था में परिसंचरण की प्रक्रिया और पुनरुत्पादन की सामाजिक प्रक्रिया के विश्लेषण की शुरुआत करेंगे। इसलिए इस अंक में हम एक विराम दे रहे हैं। उम्मीद है हमारे पाठक इस श्रृँखला को उतने ही चाव से पढ़ना जारी रखेंगे और आगे भी हमें उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया देते रहेंगे।

 

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मज़दूरों के महान नेता लेनिन

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