पूँजीवादी गणतन्त्र में कौन बच्चा और कौन पिता!
हमें किसी किस्म की निरंकुशता नहीं चाहिए। न बर्बर किस्म की और न ही प्रबुध्द किस्म की। हमें हमारे हक चाहिए; हमें सच्चा जनवाद चाहिए। और यह सच्चा जनवाद पूँजीवादी लोकतन्त्र में नहीं मिल सकता है। यह सच्चा जनवाद एक समतामूलक व्यवस्था में ही मिल सकता है। सर्वहारा जनवाद ही सच्चा जनवाद है क्योंकि यह बहुसंख्यक आम मेहनतकश आबादी के लिए जनवाद है और अल्पसंख्य शोषकों के लिए अधिनायकत्व। आज का पूँजीवादी जनवाद ऐसा ही हो सकता है। उसकी परिणति पूँजीवादी व्यवस्था के संकट बढ़ने के साथ ही निरंकुशता में होती है। क्योंकि यह अल्पसंख्यक शोषकों के लिए जनवाद है और बहुसंख्यक आम मेहनतकश जनता के लिए तानाशाही। जब तक पूँजीवाद रहेगा तब तक किसी किस्म के निष्कलंक और पूर्ण जनवाद की आकांक्षा करना बचकानापन है।