आधुनिकीकृत मदरसा और शिक्षक बर्बादी और बदहाली के कगार पर
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से शिक्षा तंत्र बुरी तरह से चौपट किया जा रहा है। इसका एक नमूना आधुनिकीकृत मदरसे भी हैं। ग़ौरतलब है कि 1992 में केन्द्र सरकार द्वारा मदरसों के आधुनिकीकरण हेतु उनमें हिन्दी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि आधुनिक शिक्षा देने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था की गयी। इन आधुनिकीकृत मदरसों के शिक्षकों के मानदेय के लिए एक छोटा-सा अंश राज्य सरकार को और बाक़ी केन्द्र सरकार को देना था। राज्य सरकार द्वारा ग्रेजुएट शिक्षकों को 2000 रुपये एवं पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 3000 रुपये जैसी मामूली राशि मानदेय के रूप में वहीं केन्द्र सरकार द्वारा ग्रेजुएट शिक्षकों को 6000 एवं पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 12000 प्रतिमाह दी जाने की व्यवस्था की गयी थी।