हरियाणा सरकार खुलकर सुज़ुकी के एजेण्ट की भूमिका में
पिछले 10 महीने से मारुति सुज़ुकी वर्कर्स यूनियन अपने न्याय और ज़ायज़ माँगों के लिए संघर्ष कर रही है लेकिन लोकतंत्र का लबादा ओढ़े सरकार से लेकर पूँजीवादी न्याय प्रणाली खुलकर पूँजीपतियों की तरफ़दारी में लगी हुई है। कैथल शहर में 24 मार्च से लगातार 56 दिन डी.सी. कार्यालय पर बैठे मारुति मज़दूरों के जारी अनिश्चितकालीन धरने पर हरियाणा सरकार और पुलिस की बर्बर कार्रवाई ने उनके असली चरित्र को उजागर कर दिया। ज्ञात हो कि मारुति सुज़ुकी वर्कर्स यूनियन ने 19 मई को मज़दूर की महापंयाचत का आह्नान किया था जिसे रोकने के लिये प्रशासन ने बिना किसी सूचना के कैथल में धारा 144 लगी थी और 18 मई की रात कई पुलिस वैन ने डी.सी. कार्यालय के परिसर में धरना स्थल पर 96 मज़दूरों को पकड़ लिया और धरने पर जुटाया गया राशन-पानी भी जब्त कर लिया। अगले दिन भी पुलिस ने कैथल शहर को पूरा पुलिस छावनी में बदल दिया बस अड्डा, हनुमान वाटिका से लेकर डी.सी. कार्यालय पर पुलिस ने बैरिकड खड़े कर दिये ताकि किसी भी क़ीमत पर मारुति मज़दूरो के जुटान को रोका जा सके। परन्तु मज़दूरों ने हरियाणा सरकार की चाल नाक़ाम करते 19 मई को प्यौद गाँव में जुटने की योजना बनाई जहाँ मज़दूरों के परिवार जन समेत किसानों और मज़दूरों संगठन ने भी हिस्सेदारी की। फिर क़रीब 1 बजे एक हज़ार लोगों ने 3 किलोमीटर लम्बा मार्च निकलते हुए उद्योगमंत्री रणदीप सुजरेवाला के निवास का घेराव के लिए आगे बढ़े। लेकिन पुलिस ने 500 मीटर दूर ही बैरिकेड लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। शाम पाँच बजे तक प्रशासन मज़दूरों को टालते रहा। और किसी भी माँग पर झुकने को तैयार न हुआ तो इसके बाद मारुति मज़दूरों ने शान्तिपूर्ण तरीक़े से गिरफ़्तारी देने के लिए आगे बढ़ने का फ़ैसला किया जिस पर पुलिस ने पानी की बौछार (वाटर कैनन) और मज़दूरों के परिजनों जिनमें अधिकतर बुज़ुर्ग और महिलायें शामिल थीं, भूखे भेड़िये की तरह लाठियाँ भाँजी। साफ़ है कि 18 व 19 मई को ‘‘शान्ति भंग’’ करने के नाम पर जो धारा 144 लागू की गई थी वे सिर्फ़ मारुति मज़दूरों के लिए ही थी क्योंकि 19 मई को ख़ुद रणदीप सुरजेवाला हज़ारों लोगों के साथ ब्राह्मण सभा में पशुराम जंयती मना रहा था वही हजका पार्टी के कुलदीप बिशनोई भी कैथल अनाज मंडी में विकास रैली की सभा कर रहा था। कुल मिलाकर पुलिस ने 18 और 19 मई को 111 लोगों को गिरफ़्तार किया जिनमें 100 लोगों पर धारा 144 तोड़ने के अपराध में आईपीसी 188 और दूसरी धारा लगाई तथा प्रदर्शनकारी 11 लोगों पर कई संगीन व आपराधिक और ग़ैर जमानती धाराओं (जिनमें 307 से लेकर आर्मस एक्ट) के तहत मुक़दमे दर्ज़ किये गये हैं। इन 11 लोगों में एमएसडब्लूयू के राम निवास समेत खाप पंचायती, ट्र्रेड यूनियन नेता तथा सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं जिनको न्यायालय ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
मारुति मज़दूरों के दमन ने हरियाणा सरकार की मंशा साफ़ कर दी है कि वे खुली तानाशाही के साथ मारुति सुज़ुकी के एजेण्ट का काम करेगी। फिलहाल अभी भी मारुति सुज़ुकी वर्कर्स यूनियन कैथल में विरोध-प्रदर्शन जारी रखकर हरियाणा सरकार पर दबाव बनाने के लिए जन-समर्थन जुटा रही है। लेकिन 1 जून और 11 जून के विरोध प्रदर्शन के बाद हरियाणा सरकार मज़दूरों की किसी भी माँग पर झुकने के लिए तैयार नहीं है।
वहीं देश भर में मारुति मज़दूरों के दमन के विरोध में तमाम जन संगठन, ट्रेड यूनियन प्रदर्शन कर मज़दूरों से अपनी एकजुटता दिखा रहे है जिसकी कड़ी में 19 मई को हरियाणा भवन, 20 मई को जन्तर-मन्तर पर और 24 मई श्रम शक्ति भवन पर मज़दूर संगठनों ने हरियाणा सकरार के बर्बर दमन का विरोध किया। तथा दिल्ली में मारुति मज़दूर संघर्ष एकजुटता मंच का गठन कर दिल्ली एनसीआर के मज़दूरों के बीच मारुति मज़दूरों के आन्दोलन में समर्थन का आह्नान किया गया।
मज़दूर बिगुल, जून 2013
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन