‘मज़दूर बिगुल’ के पाठकों से एक अपील
मज़दूर–मेहनतकश व कर्मचारी साथियो!
छात्र–नौजवान दोस्तो!
हम जानते हैं कि पिछले 9 वर्षों के मोदी राज में महँगाई, बेरोज़गारी, भुखमरी और भ्रष्टाचार ने सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिये हैं। विपक्ष के नेताओं के भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार की एजेंसियाँ तत्काल कार्रवाई करती हैं, लेकिन क्या अडानी के भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई हुई, क्या व्यापम घोटाले पर कोई कार्रवाई हुई, क्या पीएम केयर घोटाले पर कोई कार्रवाई हुई, क्या कर्नाटक में रंगे हाथों करोड़ों रुपये के साथ पकड़ में आये भाजपा के नेता व उसके बेटे पर कार्रवाई हुई? उल्टे भ्रष्टाचारी और अपराधी भाजपा की लाण्ड्री में जाकर दूध के धुले बन जाते हैं। देश में 32 करोड़ बेरोज़गार हैं, 23 करोड़ लोग सरकारी ग़रीबी रेखा के नीचे हैं (सही मायने में तो यह तादाद 40 करोड़ के ऊपर बैठेगी), देश में असमानता चरम पर है, क़रीब 20 करोड़ आबादी के सिर पर छत नहीं है।
देश में आम मेहनतकश जनता की ऐसी बेहाली कभी नहीं हुई थी। आज साम्प्रदायिकता और धार्मिक कट्टरता में हमें बहाकर वास्तव में मौजूदा निज़ाम अडानियों-अम्बानियों की पायबोसी और सिजदे में लगा है। ऐसे में, देश में संघ परिवार व मोदी-शाह निज़ाम के ख़िलाफ़ देश के दस राज्यों में भगतसिंह जनअधिकार यात्रा को भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी व कई जनसंगठन आयोजित कर रहे हैं। उद्देश्य है पूँजीपरस्त साम्प्रदायिक फ़ासीवादी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ और समूची पूँजीवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़, जिसने अपने संकटकालीन दौर में पूँजीपति वर्ग की इस बर्बर व नग्न तानाशाही को पैदा किया है, जनता में एक जागृति, गोलबन्दी और संगठन पैदा करना; शहीदे-आज़म भगतसिंह और उनके साथियों के वैज्ञानिक सिद्धान्तों और उसूलों से जनता को परिचित कराना।
‘मज़दूर बिगुल’ की टीम और इससे जुड़ा बिगुल मज़दूर दस्ता भी इस ज़रूरी मुहिम का अंग है। हम आपसे तहे-दिल से अपील करते हैं कि जब भी यह यात्रा आपके गाँव या शहर से गुज़रे तो इसमें ज़रूर शामिल हों। दिये गये नम्बरों पर सम्पर्क करके यात्रा में शामिल होने के लिए आप अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। यात्रा की तालमेल कमेटी आपके इलाक़े से यात्रा गुज़रने के समय के बारे में आपसे सम्पर्क कर आपको सूचित करेगी।
उम्मीद है कि बदलाव के इस सफ़र में आप हमारे हमराही बनेंगे…
– मज़दूर बिगुल टीम
बेरोज़गारी, महँगाई, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता और मेहनतकश जनता की लूट के ख़िलाफ़!
रोज़गार, शिक्षा, चिकित्सा, आवास और जुझारू जनएकजुटता के लिए!
भगतसिंह जनअधिकार यात्रा
(12 मार्च–14 अप्रैल, 2023)
अगर आप इस यात्रा में सहयात्री बनना चाहते हैं या किसी अन्य तरीक़े से हमसे
जुड़ना चाहते हैं तो नीचे दिये गये लिंक पर जाकर फ़ॉर्म को भरें।
https://forms.gle/Qfy86rMxH3HWo31B9
राज्यवार सम्पर्क:- दिल्ली: 9289498250, 9693469694; उत्तर प्रदेश: 8858288593, 9891951393; हरियाणा: 8010156365, 8685030984; महाराष्ट्र: 7798364729, 9619039793; बिहार: 6297974751, 7070571498; उत्तराखण्ड: 9971158783, 7042740669; पंजाब: 9888080820; आन्ध्र प्रदेश: 7995828171, 8500208259; तेलंगाना: 9971196111; चण्डीगढ़: 8196803093
‘‘अगर कोई सरकार जनता को उसके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखती है,
तो जनता का यह अधिकार ही नहीं बल्कि आवश्यक कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी सरकार को बदल दे या समाप्त कर दे।”
– भगतसिंह
साथियो!
हम एक ऐसे दौर में भगतसिंह जनअधिकार यात्रा निकाल रहे हैं जब देश की जनता बढ़ती बेरोज़गारी, कमरतोड़ महँगाई, लोगों की पहुँच से दूर होती शिक्षा–स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से जूझ रही है।
एक ओर महँगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, ग़रीबी, भूख और शोषण ने आम मेहनतकश जनता की कमर तोड़ रखी है, वहीं दूसरी ओर लोगों के बीच धार्मिक उन्माद फैलाकर आपस में लड़ाया जा रहा है ताकि उन्हें ज़िन्दगी के असल मुद्दों से बहकाया जा सके। जनता के बीच जनता के ही एक हिस्से को नक़ली दुश्मन बनाकर पेश किया जा रहा है, ताकि हम असली दुश्मन की पहचान ही न कर सकें। अंग्रेज़ों की ‘बाँटो और राज करो‘ की नीति को मौजूदा सरकार पूरे ज़ोरशोर से लागू कर रही है।
ऐसे दौर में आम मेहनतकश जनता के बीच फ़ौलादी एकजुटता क़ायम करने और जनता के ज़रूरी मुद्दों पर लोगों को एकजुट करने के काम में हमें बिना देर किये जुट जाना होगा अन्यथा बहुत देर हो जायेगी। इसलिए हम देश के सभी इंसाफ़पसन्द–तरक़्क़ीपसन्द नागरिकों–छात्रों–नौजवानों से अपील करते हैं कि ‘भगतसिंह जनअधिकार यात्रा‘ से जुड़ें। यह यात्रा 12 मार्च से 14 अप्रैल, 2023 तक दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, उत्तराखण्ड, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश, चण्डीगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में अलग–अलग जत्थों द्वारा निकाली जायेगी।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें – 095827 12837 (फ़ोन/व्हॉट्सऐप)
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन