दिल्ली में नगर निगम चुनाव में ‘दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन’ द्वारा ‘आप’ और ‘भाजपा’ के ख़िलाफ़ व्यापक बहिष्कार अभियान!
बिगुल संवाददाता
दिल्ली में 4 दिसम्बर को होने वाले निगम चुनाव के मद्देनज़र दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन (DSAWHU) ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में घोषणा की थी कि दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी इस बार मज़दूर-महिला विरोधी भाजपा और आम आदमी पार्टी का पूर्ण बहिष्कार करेंगी। यह बहिष्कार सिर्फ़ राजधानी की 22,000 आँगनवाड़ीकर्मी और उनके परिवार ही नहीं कर रहे हैं बल्कि आँगनवाड़ीकर्मी अपने लाभार्थियों से और दिल्ली की जनता से भी यह अपील कर रही हैं। इस दौरान नज़फ़गढ़, सीमापुरी से लेकर पहाड़गंज, जाफ़राबाद व अन्य कई इलाक़ों में महिलाकर्मियों ने व्यापक और सघन अभियान चलाते हुए दिल्ली की जनता के सामने इन दोनों ही चुनावबाज़ पार्टियों के झूठ और फ़रेब को नंगा किया। आँगनवाड़ीकर्मियों ने अपने गली-मुहल्लों तक में ‘आप’ व भाजपा के प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया हुआ है।
बहिष्कार अभियान के दौरान महिलाओं ने दिल्ली के पहाड़गंज में सभा को सम्बोधित करने पहुँचे मुख्यमंत्री केजरीवाल का भी घेराव किया। सभा में महिलाकर्मियों ने बहिष्कार के नारों, तख़्तियों, काले झण्डों के ज़रिए अपना रोष व्यक्त किया। कोरोना के दौरान जिन आँगनवाड़ीकर्मियों को फ़्रण्टलाइन वर्कर्स कहा जा रहा था, वही महिलाएँ जब केजरीवाल से अपनी बर्ख़ास्तगी के ख़िलाफ़ सवाल जवाब करने पहुँची तो मुख्यमंत्री जी ने मंच से उनके लिए ‘गुण्डी’, ‘लफंगी’ जैसे अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया। ख़ुद को “आम आदमी” कहने वाले फ़र्ज़ीवाल और मनीष सिसोदिया ने अपने पुरुष कार्यकर्ताओं से प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर हमले करवाये और उन्हें गालियाँ देने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। आम आदमी पार्टी की ये शर्मनाक हरकतें साफ़ बताती हैं कि यह पार्टी असल में ख़ुद गुण्डों और लफंगों की पार्टी है, जो शान्तिपूर्ण तरीक़े से अपनी माँग उठाने वाली महिलाओं पर हमले करती है। महिला मोहल्ला क्लीनिक खोलने और निर्माण मज़दूरों को 5000 रुपये सहायता राशि देने के जुमले फेंकने वाले केजरीवाल महिलाकर्मियों के रोज़गार छीनने के बाद उनके लिए अपशब्द का इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले भी ‘आप’ के नुमाइन्दे और दिल्ली महिला बाल विकास विभाग के पदाधिकारी नवलेन्द्र कुमार ने हड़ताल के दौरान महिलाकर्मियों के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। लेकिन आँगनवाड़ीकर्मियों के जुझारू प्रदर्शन के कारण केजरीवाल और उसके लग्गू-भग्गुओं के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाये और केजरीवाल को अपनी ही सभा से आनन-फ़ानन में जान छुड़ाकर भागना पड़ा।
सिर्फ़ आम आदमी पार्टी ही नहीं भाजपा का भी स्त्री-विरोधी, मज़दूर-विरोधी चेहरा आँगनवाड़ीकर्मियों ने अपने आन्दोलन के दौरान बेपर्द किया है। एक तरफ़ तो भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता आँगनवाड़ीकर्मियों के टर्मिनेशन पर घड़ियाली आँसू बहाते थकता नहीं है वहीं इसके ही उपराज्यपाल महोदय आँगनवाड़ीकर्मियों के प्रतिनिधिमण्डल को देखते ही दिल्ली पुलिस को बुलाकर महिलाओं को डीटेन करवाने में ज़रा भी समय नहीं गँवाते हैं। यही भाजपा जिसे आँगनवाड़ीकर्मियों की वीरतापूर्ण हड़ताल पर हेस्मा लगाते वक़्त आँगनवाड़ीकर्मियों की याद नहीं आयी थी, आज नगर निगम चुनाव में अपने वोट बैंक के ख़ातिर आँगनवाड़ी महिलाओं का इस्तेमाल करना चाह रहे हैं। इसलिए, आँगनवाड़ीकर्मी इन दोनों ही पार्टियों के ख़िलाफ़ बहिष्कार अभियान चला रही हैं और दिल्ली की जनता के बीच इनका पर्दाफ़ाश करने के साथ साथ इनकी चुनावी सभा में भी इनका भण्डाफोड़ कर रही हैं। वोट के लिए हाथ-पैर जोड़ते हुए आने वाले इनके कार्यकर्ताओं को भी अपनी गली से भगाने के अलावा ‘आप’ और ‘भाजपा’ के कार्यकर्ताओं का जूतों की माला से भी स्वागत कर रही हैं।
‘मज़दूर बिगुल’ के पन्नों पर हम आँगनवाड़ी स्त्री कामगारों के जुझारू और बहादुराना संघर्ष की रिपोर्ट लिखते रहे हैं। पाठकों को यह ज्ञात होगा कि इस वर्ष के प्रारम्भ में दिल्ली की हज़ारों आँगनवाड़ीकर्मियों ने 38 दिनों की लम्बी हड़ताल करके एक ऐतिहासिक संघर्ष को अंजाम दिया था। इसके फलस्वरूप केजरीवाल सरकार को आँगनवाड़ीकर्मियों के मानदेय में बढ़ोत्तरी करनी पड़ी थी। लेकिन पर्याप्त बढ़ोत्तरी न होने के कारण आँगनवाड़ीकर्मियों की यूनियन ‘दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन’ ने इस बढ़ोत्तरी को नकार दिया था और अपनी हड़ताल को जारी रखा था। एक तरफ़ जब तमाम पैंतरों से इस हड़ताल को तोड़ने में दिल्ली सरकार विफल रही तो उसने भाजपा से मिलीभगत करके उपराज्यपाल के ज़रिए दमनकारी हेस्मा क़ानून थोप दिया था। इसके जवाब में यूनियन ने हड़ताल को स्थगित कर हाई कोर्ट में मुक़दमा दायर किया था जिसके ज़रिए यूनियन का मक़सद न्यायपालिका के असली चरित्र को व्यापक मेहनतकश जनता में बेनक़ाब करना था। साथ ही, हड़ताल को क़ानूनी कार्रवाई को मुक़ाम पर पहुँचाकर फिर से शुरू करने की योजना को यूनियन की कार्यकारिणी ने पारित किया था। हड़ताल को स्थगित किये जाने के बाद, स्त्री कामगारों को डराने-धमकाने के मक़सद से 884 कामगारों को काम से निकाल दिया गया। 884 महिलाकर्मियों की बर्ख़ास्तगी का कारण इस सरकार ने महिलाओं के हड़ताल में शामिल होने को बताया है। इस ग़ैर-क़ानूनी बर्ख़ास्तगी के ख़िलाफ़ यूनियन द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दायर की गयी है और यह मसला अभी न्यायाधीन है। उच्च न्यायलय ने फ़िलहाल बर्ख़ास्त 884 महिलाकर्मियों के स्थान पर किसी भी नयी भर्ती पर रोक लगायी हुई है, जो कि एक अहम जीत थी और जिसके कारण आम आदमी पार्टी की सरकार को पर्याप्त दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।
यूनियन की अध्यक्षा शिवानी कौल ने बताया कि “38 दिनों तक चली इस हड़ताल ने महज़ आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार को ही चुनौती नहीं दी, बल्कि समूची पूँजीवादी व्यवस्था को भी इसने बेनक़ाब किया। इस हड़ताल से दिल्ली व केन्द्र सरकार दोनों ही भयाक्रान्त थे। अपनी लाख कोशिशों के बावजूद केन्द्र की भाजपा सरकार और दिल्ली में केजरीवाल की आप सरकार इस हड़ताल को तोड़ने में नाकामयाब रहे। अन्तत:, उन्होंने अपने इस डर में ही आपसी सहमति बनाकर उपराज्यपाल के ज़रिए दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की इस अद्वितीय और ऐतिहासिक हड़ताल पर एसेंशियल सर्विसेज़ मेण्टेनेंस एक्ट थोप दिया। यह दोनों ही पार्टियाँ आँगनवाड़ीकर्मियों की दिल्ली की जनता तक पहुँच को अब तक भले ही नज़रन्दाज़ करती आ रही हों लेकिन नगर निगम चुनावों के मद्देनज़र इनके लिए अब ऐसा कर पाना हम असम्भव कर देंगी। दिल्ली की हर एक आँगनवाड़ीकर्मी अपने इलाक़ों में इन दोनों ही दोमुँही पार्टियों के प्रत्याशियों-कार्यकर्ताओं के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने का निश्चय कर चुकी हैं। आज वोट की राजनीति के लिए भले ही यह दोनों पार्टियाँ एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम कर रही हैं, लेकिन जहाँ कहीं भी मज़दूरों-कामगारों के दमन की बात आती है, इन दोनों ही पार्टियों की यारी देखते बनती है। इस नगर निगम चुनाव में दिल्ली की 22,000 आँगनवाड़ीकर्मी ही नहीं, बल्कि उनके परिवार-दोस्त-सम्बन्धी भी इन दोनों ही पार्टियों के सक्रिय बहिष्कार का ऐलान करते हैं। हम भाजपा और आप का दिल्ली नगर निगम चुनावों में पूर्ण बहिष्कार और उनकी वोटबन्दी का आन्दोलन पूरी दिल्ली में चलायेंगी और पूरी दिल्ली की जनता को इन दोनों झूठी, बेईमान और भ्रष्टाचारी पार्टियों की असलियत से अवगत करायेंगी।”
आगे उन्होंने यह भी कहा कि “तमाम चुनावबाज़ पार्टियों ने आँगनवाड़ीकर्मियों को वोट बैंक और अपने प्रचार कार्यकर्ता के तौर पर हमेशा ही इस्तेमाल किया है। इस तथ्य से तो सभी पार्टियाँ परिचित हैं कि स्कीम वर्करों की पहुँच इस देश के हर गली-कूचे में है। अपनी इसी ताक़त का इस्तेमाल कर दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी उन तमाम पार्टियों को निशाना बनायेंगी जिन्होंने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर संघर्षरत महिलाकर्मियों की माँगों की सुनवाई करने के बजाय उन्हें काम से ही बेदख़ल कर दिया। बहिष्कार करना हमारा ऐसा अधिकार है, जिसे कोई हमसे छीन नहीं सकता है और अगर हमारी पुनःबहाली की माँग को नज़रन्दाज़ किया जाता है तो दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मी दोबारा से हड़ताल पर जायेंगी। इस बार हम अकेली नहीं होंगी। दिल्ली सरकार के तहत आने वाले तमाम विभागों के कर्मचारी हमारे साथ होंगे। जल बोर्ड, डीटीसी, गेस्ट टीचर्स भी दिल्ली सरकार के मज़दूर-कर्मचारी विरोधी रवैये से तंगहाल हैं। सरकार को मज़दूरों-कर्मचारियों की असली ताक़त दिखाने के लिए यदि फिर से हड़ताल का रास्ता अख़्तियार करना पड़े तो हम वो भी करने को तैयार हैं।”
मज़दूर बिगुल, दिसम्बर 2022
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन