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बेरोज़गारी की राक्षसी लील गयी 19 नौजवानों को

बेरोज़गारी के मारे नौजवान गाँवों-कस्बों से पक्की सरकारी नौकरी की चाहत और सम्मान की ख़ातिर सभी प्रकार के पदों के लिए आवेदन करते हैं और फिर पशुओं की तरह ट्रेनों-बसों में लदकर परीक्षा देने के लिए दौड़-भाग करते हैं। आईटीबीपी में भरती के लिए जा रहे नौजवानों की मौत वास्तव में इस व्यवस्था द्वारा उनकी हत्या है। उन्हें वास्तव में बेरोज़गारी की राक्षसी ने लील लिया। इन ग़रीब नौजवानों की ही तरह न जाने कितने नौजवान किसी ट्रेन दुर्घटना में, या बेरोज़गारी से तंग आकर आत्महत्या के ज़रिये काल का ग्रास बनेंगे। सवाल हमारे सामने खड़ा है। हम इन्तज़ार करते रहेंगे, तमाशबीन बने रहेंगे या इस हत्यारी व्यवस्था को तबाह कर देने के लिए उठ खड़े होंगे।