अदम्य बोल्शेविक – नताशा – एक संक्षिप्त जीवनी (तीसरी क़िश्त)
उन दिनों मेहनतकश जनता पर प्रावदा का ज़बरदस्त प्रभाव था। उसने बोल्शेविक पाठकों की पूरी एक पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जिन्होंने 1917 की क्रान्ति की शुरुआत में एक ठोस समूह का रूप धारण कर लिया था, वे एक भावना से ओतप्रोत थे और एक फौलादी अनुशासन से आपस में जुड़े हुए थे। बहुत-से कामरेड प्रावदा के काम में हिस्सा लिया करते थे। लेकिन नताशा का ओहदा ही इन सभी कामों की जान था। मेहनतकशों और क्रान्तिकारी कार्यकर्ताओं के बीच काम करते हुए वे आन्दोलन से पहली बार जुड़ने वाले मज़दूर समूहों का बड़ी सावधानीपूर्वक जायज़ा लेतीं और अख़बार में उनका पद उन्हें इन मज़दूरों के साथ सीधा सम्पर्क करने और उनकी चेतना को बोल्शेविक धारा की तरफ मोड़ने के अनेक अवसर देता था।