माँगपत्रक शिक्षणमाला – 3 ठेका प्रथा के ख़ात्मे की माँग पूँजीवाद की एक आम प्रवृत्ति पर चोट करती है
मजदूर वर्ग के ही एक हिस्से को यह लगने लगा है कि ठेका प्रथा की समाप्ति की माँग करना शेखचिल्ली जैसी बात करना है। सवाल यहाँ यह नहीं है कि ठेका प्रथा इस माँग के जरिये समाप्त हो ही जायेगी या नहीं। यहाँ सवाल इस बात का है कि हम चाहे ठेका प्रथा को समाप्त करवा पायें या न करवा पायें, इसे समाप्त करने की माँग करना अपने आप में पूँजीवाद की आम प्रवृत्ति पर चोट है। यह मजदूरों को राजनीतिक तौर पर जागृत, गोलबन्द और संगठित करने में हमारी मदद करेगा और पूँजीवाद को उनके समक्ष बेपरदा कर देगा। हमें इस माँग के संघर्ष में कुछ भी खोना नहीं है, सिर्फ पाना ही पाना है।