तय जगह पर, आज्ञा लेकर व फ़ीस देकर विरोध करो वरना जेल जाओ!
बिगुल संवाददाता
उपरोक्त बात किसी को मज़ाक़ लग सकती है लेकिन यह बात पूरी तरह सच है। यह फ़ासीवादी फ़रमान पंजाब के ज़िला लुधियाना के प्रशासन ने जारी किया है। डी.सी. लुधियाना ने तय किया है कि धरने शहर के बाहरी हिस्से में सिर्फ़ चण्डीगढ़ रोड पर स्थित गलाडा मैदान (जिसे पुडा मैदान भी कहते हैं) पर ही लगेंगे और वहाँ धरना लगाने के लिए भी पहले से आज्ञा लेनी होगी। इसकी फ़ीस 7500 रुपये होगी। इस फ़रमान की उल्लंघना करने पर पुलिस केस, क़ैद आदि सज़ाएँ देने का ऐलान किया गया है। लुधियाना प्रशासन का धरनों के लिए एक जगह तय करने का फ़रमान घोर जनविरोधी और ग़ैरजनवादी ही नहीं बल्कि असंवैधानिक भी है। यह संविधान की धारा 19 की स्पष्ट उल्लंघना है जिसके तहत लोगों को अपने विचारों के प्रचार-प्रसार, संगठित होने व संघर्ष करने की आज़ादी है।
इस सम्बन्ध में डी.सी. ने लुधियाना के पुलिस कमिश्नर को इस आदेश को लागू करने के लिए पत्र भेज दिया है। उधर इस फ़रमान को रद्द करवाने के लिए जनवादी-इंसाफ़पसन्द जनसंगठनों ने भी कमर कस ली है। लुधियाना प्रशासन को माँगपत्र सौंपकर इस फ़ैसले को पूरी तरह रद्द करने की माँग की गयी है।
जनसंगठनों का कहना है कि पंजाब सरकार लोगों की आवाज़ कुचलने के लिए तरह-तरह के घटिया तरीक़े अपना रही है। पंजाब सरकार को जनता के आक्रोश से निपटने के लिए पहले से मौजूद काले क़ानून व दमनकारी ढाँचा नाकाफ़ी लग रहा है, इसलिए विभिन्न शहरों में धरना-प्रदर्शनों के लिए एक जगह तय करने और उल्लंघना करने पर जेलों में ठूँसने के फ़रमान जारी किये जा रहे हैं। लुधियाना में धरनों के लिए एक जगह तय करने का फ़रमान हालाँकि आम जनता के भलाई के नाम पर लाया जा रहा है लेकिन इसका मकसद लोगों के अधिकारों को कुचलना है। संगठनों ने कहा है कि धरना-प्रदर्शनों के लिए एक जगह तय करना एकदम फ़ासीवादी क़दम है। लोगों को अपनी समस्याओं के हल के लिए विभिन्न जगहों पर धरने-प्रदर्शन करने पड़ते हैं। इसके लिए एक जगह तय की ही नहीं जा सकती। लुधियाना प्रशासन का रवैया कितना जनविरोधी व ग़ैरजनवादी है, इसका धरना-प्रदर्शन के लिए आज्ञा लेने, फ़ीस तय करने व उल्लंघना करने पर सख़्त सज़ाओं से भी चलता है। पंजाब सरकार ने एक तरफ़ नुक़सान रोकने के नाम पर घोर जनविरोधी काला क़ानून पारित किया है, वहीं बची-खुची कसर विभिन्न शहरों में फ़ासीवादी फ़रमान जारी करके निकाली जा रही है। जनवादी जनसंगठनों ने कहा है कि वे लुधियाना प्रशासन के इस फ़ैसले की सख्त निन्दा करते हैं, इसे नामंजूर करते हैं और इसे तुरन्त वापिस लेने की माँग करते हैं। सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति का नुक़सान रोकने के नाम पर पंजाब सरकार द्वारा लाये गये काले क़ानून को रद्द करवाने के लिए 29 जनवरी को पंजाब से सभी ज़िला केन्द्रों पर ज़ोरदार धरने-प्रदर्शन किये जायेंगे। जनसंगठनों के साझा मोर्चा ने ऐलान किया है कि ज़िला लुधियाना का प्रदर्शन डी.सी. कार्यालय पर ही होगा।
जनसंगठनों ने ऐलान किया है कि पंजाब की जनता दमनात्मक नियमों-क़ानूनों को कभी मंजूर नहीं करेगी और अपने संघर्षों को जारी रखेगी। अगर यह फ़ैसला रद्द नहीं किया जाता तो लुधियाना प्रशासन को तीखे जनसंघर्ष का सामना करना होगा।
मज़दूर बिगुल, जनवरी 2016
जनवादी जनसंगठनों द्वारा लुधियाना प्रशासन के जनविरोधी फैसले का सख्त विरोध31 दिसम्बर, 2015, लुधियाना। धरनों-प्रदर्शनों क…
Posted by ਜੂਝਦੇ ਜੁਝਾਰ ਲੋਕ on Saturday, January 2, 2016
धरना-प्रदर्शनों के लिए एक जगह तय करने के लुधियाना प्रशासन के जनवाद विरोधी फैसले के खिलाफ़ जनवादी जनसंगठनों के प्रतिनिधि …
Posted by ਜੂਝਦੇ ਜੁਝਾਰ ਲੋਕ on Wednesday, January 6, 2016
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन