उड़न छापाखाना – रूस की मज़दूर क्रान्ति के दौरान गुप्त अख़बार की छपाई की रोमांचक और दिलचस्प दास्तान

वेरा मोरोज़ोवा की संस्मरण पुस्तक ‘दिसम्बर डेज़’ का अंश
अनुवाद: संजय श्रीवास्तव

यह एक अद्भुत छापाखाना था : इसके पास न तो रोटरी प्रेस, टाइप फेस थे और न ही कागज। इसके पास अपना दफ्तर तक नहीं था। लेकिन बगावत के दिनों में इसने क्रान्तिकारी अखबार इज्वेस्तिया निकालने का इंतजाम तो कर ही लिया। बोल्शेविकों ने इसे “फ्लाइंग प्रेस” नाम दिया था।
इसके कर्मचारियों में पंद्रह टाइप-सेटर और पचास मज़दूर गश्ती दल के सदस्य थे। छपाई दफ्तर उस समय मास्को का कोई भी छापाखाना हो सकता था। अकेले अथवा छोटे समूहों में मजदूर उस छापाखाने में पहुंच जाते जिसे उन्होंने अखबार की छपाई के लिए चुना होता। वे आनन-फानन में बरामदों को घेरते हुए सभी प्रवेश एवं निकास द्वारों पर कब्जा जमा लेते। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह रहती थी कि वे सड़क से पहचाने नहीं जाएं।
इस दरम्यान, मास्को का जीवन सामान्य तरीके से चलता रहता। पुलिस और घुड़सवार सैनिक शहर की निगरानी करते रहते, पुलिसिया जासूस दौड़ते रहते, शहर के बाशिंदे अपने-अपने ठिकानों पर पहुँचने की जल्दी में रहते।
बाज दफा, बोल्शेविक जहाँ अखबार छाप रहे होते उस छापेखाने पर मुलाकाती मौजूद रहते, अथवा पुलिस के जासूस अचानक धमक पड़ते। उन्हें घुसने दिया जाता। और वे तबतक वहाँ बैठे रहते जबतक पूरा अंक छप नहीं जाता। यह “फ्लाइंग प्रेस” का लौह नियम था। पेज कम्पोज़ किया जाता, उनके पन्ने बनाए जाते, और उन्हें रोटरी प्रेस पर लगाया जाता। मज़दूर गश्ती दल के सदस्य सभी दरवाजे और खिड़कियों पर खड़े होकर प्रिंटरों की सुरक्षा करते, और छापाखाने पर चहलकदमी कर रही पुलिस पर नजर रखते। इस बीच, खुरदुरे कागज पर छप रहे अखबार के बण्डल बड़े से और बड़े हो जाते। गार्ड छपाई खत्म होने पर कैरियर बन जाते। इन कीमती कागजों को सावधानीपूर्वक कोट के नीचे छिपाते हुए वे होशियारी से छापेखाने से बाहर आ जाते। कभी-कभार वाहन “फ्लाइंग प्रेस” के बाहर इंतजार में खड़ा होता, और अखबार सीटों के नीचे छिपा दिए जाते। इसे बहुत बड़ा सौभाग्य माना जाता – अखबारों की पूरी खेप तत्काल वहां से रवाना हो जाती।

क्रान्तिकारी मज़दूर अख़बार 'इस्क्रा'

क्रान्तिकारी मज़दूर अख़बार ‘इस्क्रा’

लेकिन अन्य मौकों पर, कार्यकर्ता ऐसे वक्त अखबार छापते जब गश्ती दल के सदस्य सैनिकों के साथ गोलीबारी कर रहे होते। रोटरी प्रेस खटपट करते, छपे कागज इकट्ठे किए जाते रहते और गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती रहती। एक बार गवर्नर जनरल दुबासोव ने “फ्लाइंग प्रेस” के सामने सैनिकों की दो कंपनियां, एक स्क्वाड्रन घुड़सवार तैनात करने के साथ दो कानून लागू कर दिए, और छापाखाने को एक जब्त किले के रूप में तब्दील कर दिया गया था। गश्ती दल के सदस्यों ने घुड़सवारों के खिलाफ मोर्चा लिया, और फिर सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी, और गोले दाग कर बिल्डिंग में आग लगा दी गयी। मुट्ठी भर गश्ती दल के सदस्यों ने धुआं भरे कार्यालय को बचाया। छपाई कार्यालय बैरिकेड बन गया, और अखबार –- इसका बैनर।
शबोलोव्का स्ट्रीट तक जाने वाली एक अँधेरी, संकरी गली में एक गुमनाम सा मकान है जिसपर किसी का ध्यान नहीं जाता। बर्फ के ढेर के बीच से एक संकरा रास्ता एक छोटे, फेल्ट से ढंके दरवाजे तक जाता है।
इसी मकान को मज़दूर गश्ती दल के सदस्यों ने उस सर्द चांदनी रात को अपना ठिकाना बनाया था। नन्हा कोस्त्या मकान की छांव में खड़े होकर पहरेदारी कर रहा था। थोड़ी दूरी पर सावेल्येव खड़ा था, उसका चेहरा उसकी कॉलर और हैट से छिपा हुआ था, हैट उसके माथे पर नीचे तक खिंचा हुआ था। इतनी रात को किसी के आने की आहट होने पर, कोत्स्या बर्फ पर चलते हुए उससे मिलने आया। उसकी ओर बहुत ध्यान से देखने के बाद, वह उसे सावेल्येव के पास लेकर गया। सावेल्येव मकान के पास अपनी जगह से हटा और इस बात की जांच यह सुनिश्चित करने के लिए की कि आगंतुक पासवर्ड जानता है। इसके बाद दरवाजा शान्तिपूर्वक खोला गया।
इस गुप्त अपार्टमेंट के मालिक, लेथ टर्नर एपिफानोव, ने अपने मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया। वहां मेज पर एक समोवार खुशी से हनहना रहा था, और चायदानी एक दिलचस्प टी-कोजी गुड़िया की गद्दीदार, बहुरंगी स्कर्ट से ढंकी हुई थी। इसके आगे छोटी गोल-गोल सफेद बिन्दियों वाले हरे कप कतार में सजे हुए थे। मेहमान बामुश्किल बने स्टूलों पर विराजमान थे। इस महीने यह तीसरी बार था जब एपिफानोव अपना जन्मदिन मना रहा था।
रोजालिया ने सावधानीपूर्वक इज्वेस्तिया का पहला अंक खोला, और प्रिंटर की स्याही की महक उस छोटे से कमरे में फैल गयी। वह लालटेन के पास आयी, और अब उसका खूबसूरत चेहरा, उसके घने हल्के भूरे बाल और सुनहली पुतलियों वाली भूरी आंखें नजर आ रही थीं। उसके बाएं गाल पर मौजूद एक दाग पर शायद ही ध्यान जाता था।
सावेल्येव ने लालटेन की बत्ती को ठीक किया और रोशनी घुमा दी। रोजालिया ने नाक पर अपना चश्मा ठीक किया और पढ़ना शुरू किया: मास्को सोवियत ऑफ वर्कर्स डेप्युटीज, रूसी सामाजिक-जनवादी मजदूर पार्टी की कमेटी और केन्द्रीय समूह, एवं समाजवादी-क्रान्तिकारियों की कमेटी की ओर से पारित प्रस्ताव:
“आम राजनीतिक हड़ताल की घोषणा करना जो बुधवार, 1 दिसम्बर को दोपहर बारह बजे मास्को में शुरू होगी, उन्हें उम्मीद है कि यह हड़ताल एक सशस्त्र विद्रोह में विकसित हो जाएगी। ”
एक निस्तब्ध खामोशी कमरे में पसर गयी। एकमात्र आवाज नौजवान महिला की थी और लोहे के पेंडुलम वाली घड़ी की अत्यधिक तेज टिक-टिक की आवाज थी। वर्कर्स की नजरें कागज से चिपकी हुई थीं।
“यदि कोई महज अक्टूबर से बहे समस्त खून और आंसुओं को इकट्ठा करे तो सरकार उसमें डूब जाएगी, कॉमरेड! लेकिन ज़ार सरकार विशेष प्रकार की दुर्भावना से मज़दूर वर्ग पर हमले कर रही है। । । ”

रूसी क्रान्ति के नेता लेनिन एक कारखाने के मज़दूरों से बात करते हुए

रूसी क्रान्ति के नेता लेनिन एक कारखाने के मज़दूरों से बात करते हुए

रोज़ालिया ने मज़दूरों की तरफ देखा। यहां एपिफानोव था, हट्टा-कट्टा और चौड़े कंधे वाला, जिसका चेहरा खुला हुआ और आंखें तिरछी काली थीं। उसने गौर किया कि जब वह पढ़ रही थी तो कैसे उसने अपने बड़े, काम में पगे हाथों की मुट्ठियां बांध रखी थीं। उसके बगल में कोस्त्या देस्यात्निकोव बैठा था। हल्की मुड़ी हुई उंगलियों के साथ उसके पतले, कमजोर हाथ किसी टाइप-सेटर की बजाय किसी संगीतज्ञ के हाथ जैसे ज्यादा थे। उसने अपने हाथ में बिना जली सिगरेट थाम रखी थी, लेकिन रोज़ालिया के हित में उसे सुलगाया नहीं। क्षय रोग से पीड़ित दूसरे सभी लोगों की तरह, वह किसी भी प्रकार के धुएं के प्रति बेहद संवेदनशील थी, और कोत्स्या यह बात जानता था। वह अपनी बीमारी के बारे में शायद ही सोचता था। उसके चेहरे पर गंभीरता का ऐसा भाव था जो कम ही देखने को मिलती है। अदामोविच कंधों को हल्का झुकाकर बैठा था, उसके हाथ उसके घुटनों के बीच सटे हुए थे। यद्यपि वह संगठन में अपेक्षतया नया था, उसने जल्दी ही खुद की पहचान एक दृढ़ योद्धा के रूप में बना ली। उसके चौड़े, मांसल कंधों पर साटन की एक नीली कमीज लिपटी हुई थी। उसने समय-समय पर अपनी उंगलियां अपने घने, घुंघराले बाल में फिराईं। सावेल्येव उसकी बगल में बैठा था। उसके चौड़े माथे पर झुर्रियों की सलवटें थीं, और उसने अपनी घनी भौहों को एकसाथ बांध रखा था। रोज़ालिया ने इन लोगों को देखा और महसूस किया कि वे सब, एक-दूसरे से इतने भिन्न, एक महान जुनून के लिए एक साथ जुड़े थे – दूसरों की सेवा करना, और इसे वह अन्य सभी चीजों से ज्यादा मूल्यवान मानती थी। वह कौन सी चीज थी जिसने उन्हें रात भर गुप्त अपार्टमेंट में बैठाए रखा? जवाब वह जानती थी : सामने आ रही लड़ाई। उनका जमीर उन्हें महज खड़ा रहकर देखते रहने की इजाज़त नहीं देता था।
समोवार तेजी से गड़गड़ाने लगा।
“रोज़ालिया सामोलोव्ना, तुम्हें पता है कि आज क्या हुआ। । । ” देस्यात्निकोव ने दूसरे लोगों की तरफ शरारतपूर्ण तरीके से पलक झपकाते हुए उसका ध्यान भंग किया।
“हां, मैंने सुना, कोस्त्या। बोलते रहो और हमें बताओ कि पहला अंक कैसे छपा। ” उसने अपना चश्मा उतारा और उसके मुस्कुराते चेहरे की ओर देखा।
देस्यात्निकोव खुशी से झेंप गया। वह यह कहानी सुनाना चाह रहा था, पर खुद को रोक रखा था, इस डर से कि इससे ऐसा लग सकता था कि वह दिखावा कर रहा हो। अब चूंकि उससे कहा गया, इसलिए यह अलग बात थी।
“इस तरह घटना हुई: हमारे गश्ती दल के सदस्यों ने एक छपाई कार्यालय पर कब्जा कर लिया। हमारे आदमी सभी दरवाजों पर तैनात हो गए, और हम टाइप-सेटिंग कक्ष में पहुंच गए। हम बहुत जल्दी में थे और हमने टाइप-सेटिंग खत्म ही की थी कि वहां का मालिक आ गया। मि। सिटिन खुद ही। वह मुख्य दरवाजे से आया। एक बीवर हैट और बीवर कॉलर के साथ वह महत्वपूर्ण व्यक्ति लग रहा था। पेट्रोल मेंबर दरवाजे पर, हमारे लोगों और कुश्नारोव प्रेस के लोगों के साथ खड़े थे। किसी ने भी किसी प्रकार के मतभेद का संकेत नहीं दिया, और उसे मुख्य कार्यालय तक जाने का रास्ता दिया गया। उसने क्रोधपूर्ण नजरों से देखा लेकिन बोला कुछ नहीं। और इस तरह मैं बॉस को कार्यालय तक ले गया। यह एक वृहद कमरा था। सिटिन का बेटा फटा-पुराना छात्रों का जैकेट पहने एक नीची हत्थेदार कुर्सी पर बैठा था, और वहां, हमेशा की तरह, उसके हाथ में एक किताब थी। उसने अपने मोटे लेंस वाले चश्मे से ऊपर देखा और फिर से अपनी नाक किताब में धंसा दी। निदेशक चारों ओर मखमली आराम कुर्सियों पर बैठे थे। और उनके बीच में यह फेरेट (नेवले की जाति का एक जानवर) जैसी शक्ल वाला फ्रोलोव था। उफ! मैं उसे पसंद नहीं करता, यह कहने के लिए मुझे खेद है, हालांकि वह हरेक को बता रहा था कि वह मज़दूर वर्ग के परिवार से है। । । मुझे भी, केवल मैं ही यह बात निदेशक को कभी नहीं बताऊंगा!” और कोस्त्या जोर से हंसा और सभी हंसने लगे।
सावेल्येव ने अपने गालों पर गड्ढे लाते हुए जोरदार ठहाका लगाया।
“और इस तरह मैं इंतज़ार कर रहा हूं,” कोस्त्या अपने रुमाल में खांसने के लिए रुका और फिर बोलना जारी रखा, “यह देखने के लिए कि आगे क्या होने वाला है। । । ” कमरे के बीच में जहां शेर के पैरों वाली यह मेज है, और उसपर कांसे की एक दावात और टेलीफोन रखा है, एक सशस्त्र पेट्रोल मेंबर फोन के आगे खड़ा है। कुशनारोव के प्रेस का एक तगड़ा साथी, फ्रोलोव दोड़ता हुआ सिटिन के पास आता है, उसका पूरा चेहरा लाल और दागदार था।
“‘इवान दिमित्रिएविच,’ वह धीमी आवाज में बोलता है, ‘हो क्या रहा है हमारे प्रेस मे? मशीनें निष्क्रिय खड़ी हैं, रिवॉल्वर लिए लोग सीढ़ियों पर ऊपर और नीचे भाग रहे हैं, हम निदेशकों को कार्यालय में बैठाए रखा जा रहा है। ’
“‘ये आपको मुझे बताना है,’ सिटिन ने उसकी बात काटी, उसकी आवाज कठोर और घबरायी हुई थी। ‘आखिरकार आप एक निदेशक हैं। । । ’
“‘आज आम हड़ताल होने जा रही है, पिताजी,’ सिटिन का बेटा कहता है, वह अभी तक अपनी किताब में उलझा हुआ है, ‘वे पहले ही कुशनारोव के प्रेस में हड़ताल कर रहे हैं। । । ’
“‘इसीलिए हमें यहां आना पड़ा। एक और हड़ताल!’ फ्रोलोव फट पड़ा, और कमरे में चारो ओर अपने नाज़ुक छोटे कदमों से तेज-तेज चलने लगा। ‘हमनें उन्हें ज्यादा पैसे दिए, उनके काम के घंटे कम किए। । । लेकिन नहीं, हमारे मज़दूरों के लिए इतना काफी नहीं है। । । पुलिस!’ वह चीखा, और फोन की ओर झपटा।
“लेकिन गश्‍ती दल के सदस्य ने उसे खूंखार नज़रों से देखा और अपने हाथ रिसीवर पर रख दिए। फ्रोलेव भहरा गया और कैथरिन महान की एक वृहद तस्वीर के नीचे पड़े सोफे पर लुढ़क गया। उसने सोफे के हत्थे पर अपनी उंगलियां बजाईं, लेकिन शान्त नहीं हो पाया, सिटिन कुछ सोचते हुए खिड़की तक गया और बाहर सड़क पर देखने लगा।
“‘क्या हम यहां दिन भर बैठने वाले हैं?’ फ्रोलोव ने फिर बोलना शुरू किया।
“‘जब तक वे अखबार छाप नहीं लेते हैं,’ छोटे सिटिन ने उतने ही शान्त लहजे में जवाब दिया, वह अब भी अपनी किताब के पन्ने पलट रहा था।
“‘यहां है एक वास्तविक मर्द,’ मुझे लगता है। और वास्तव में मैं उसके लिए सम्मान महसूस करने लगा, बंधुओ। । । ”
रोज़ालिया ने अपने विचारों में देस्यात्निकोव के सजीव चेहरे का अध्ययन किया। एक मजबूत, शानदार व्यक्ति। वह गंभीर रूप से बीमार था, फिर भी उसने अपने उद्देश्य के लिए कैसे कुर्बानी दी। और वह अपने छोटे चचेरे भाई को लेकर इतना चिंतित था। वह कितना दुखी हुआ होगा जब उसे लड़के को एक फैक्ट्री में काम करने के लिए भेजना पड़ा होगा। । । उसने उसे शिक्षा दिलाने का सपना देखा था, लेकिन कुछ कर पाने में असहाय था। वह किसी तरह रोजी-रोटी जुगाड़ पाता था। और लड़का इतना तेज था – उसे स्कूल न भेज पाना उसके लिए शर्म की बात थी।
उसने अपने मन में दुख की लहर महसूस की। इस तरह के कितने लड़के, नंगे पांव और भूखे, रूस में भटक रहे हैं। । ।
कोस्त्या फिर भीषण तरीके से खांसा, इस बार जोर लगाने से उसकी आंखों में आंसू निकल आए। एपिफानोव ने एक गिलास में पानी उड़ेला और उसे बढ़ा दिया। कोस्त्या ने छोटी-छोटी घूंटों से पानी पिया, और धीमी आवाज में बोलना जारी रखा :
“‘उन्हें हमारे प्रेस में अखबार छापने की अनुमति हरगिज नहीं दी जानी चाहिए,’ फ्रोलोव गुस्से में बोला, ‘पहले वे केवल टाईप-फेस चुराते थे, अब उन्होंने पूरे प्रेस पर कब्जा कर लिया है। हम किस लिए आए हैं!’ और उसके हाथ टेलीफोन रिसीवर के लिए बढ़े।
“और एक बार फिर वह गश्‍ती दल के सदस्य की दिशा में दौड़ा। यह एक हट्टा-कट्टा आदमी था। वह चट्टान की तरह खड़ा हो गया। फ्रोलोव की आंखें चमकीं और वह फिर सोफे पर ढह गया। अचानक मैंने कार्यालय के आगे वाले कमरे से आ रहीं चीखें और शोरगुल सुनी, सिटिन और मैं भागते हुए वहां पहुंचे और देखा कि वर्कर्स पेट्रोल मेंबरों ने एक युवक का कॉलर थाम रखा था। उसने अच्छे कपड़े पहन रखे थे – जो मज़दूर जैसे नहीं थे। वह बतौर ग्राहक कार्यालय में आया था, लेकिन वास्तव में वह हरामी कज्जाकों को बुलाना चाहता था। उसने सूंघ लिया था कि हम अखबार छाप रहे हैं। वह टेलीफोन की ओर लपका, लेकिन तभी पेट्रोल मेंबरों ने उसे पकड़ लिया। हमेशा की तरह, मेरा छोटा चचेरा भाई सामानों के बीच में था। और उसने तुरंत ही उस नीच को पहचान लिया, ‘पुलिस का जासूस, पुलिस का जासूस!’ सभी व्यक्ति एक साथ चिल्ला पड़े। उन्होंने उसे रोटरी प्रेस कक्ष में खींच लिया, जहां छपाई का काम पहले ही संपन्न हो चुका था और चारों तरफ केवल कागज के सादे शीट पड़े हुए थे। रोलर निकालकर धुल दिए गए थे। पेट्रोल मेंबर अपनी कोटों के नीचे अखबार भरते हुए उन्हें बांटने की तैयारी कर रहे थे। ”
“लेकिन तुम उसे रोटरी प्रेस कक्ष में क्यों खींच ले गए?” रोज़ालिया ने अपनी भौहें उचकाते हुए पूछा।
“यह प्रेस की सबसे बड़ी शॉप थी,” देस्यात्निकोव ने उदारतापूर्वक कहा। “हर व्यक्ति वहां भागा चला आ रहा था। केवल पेट्रोल मेंबर ही दरवाजों पर तैनात थे – मैंने ऐसा सुनिश्चित कर रखा था, क्योंकि सभी लड़के जवान और गर्म खून वाले थे। छपाई करने वाले चिल्ला रहे थे: ‘चलो बदमाशों को पीटकर बाहर करें! उन्हें प्रेस से भगाएं!’”
रोज़ालिया मुस्कुराई। कोस्त्या ने प्लेट से एक अदरक वाली ब्रेड (जिंजरब्रेड) उठाई, और थोड़ी हिचकिचाहट के साथ उसे अपनी जेब में रख लिया। “अपने छोटे चचेरे भाई के लिए,” रोज़ालिया ने सोचा। एपिफानोव कपों में कड़क, खुशबूदार चाय उड़ेलते हुए हड़बड़ा गया।
“वहां यह पुराना छपाई करने वाला था जो कभी भी ज्यादा नहीं बोलता था, लेकिन आज वह खुद को रोक नहीं पाया। ” किसी कपड़े से प्रिंटर की स्याही अपने हाथ से पोछते हुए उसने कहा: ‘वह प्रेस में आने का अभ्यस्त नहीं होगा, वह बहुत मोटा है। और मशीन को बर्बाद करना शर्म की बात होगी। । । बेहतर होगा, उसपस प्रिंटर की स्याही उड़ेल दी जाए और उसकी पीठ पर लिख दिया जाए: “जासूस – विश्वासघात के लिए दंडित!” “इसे रंग दो और बाहर फेंक दो” जब कोई चीज अच्छी नहीं होती तो ऐसा कहा जाता है। चलो उसे पिछले दरवाजे से बाहर फेंक दें और राहगीरों को आनन्द उठाने दें। ’
“वह व्यक्ति कांपने लगा, कागज की माफिक सफेद पड़ गया, और अपने छोटे बच्चों की दुहाई देते हुए साथियों से उसके साथ नरमी से पेश आने के लिए भीख मांगने लगा। ठीक है, हम रूसी लोग बहुत ही दयालु हृदय वाले हैं, जैसा कि आप जानती हैं। इसलिए उन्होंने उसका रिवॉल्वर ले लिया और उसके पिछवाड़े बढ़िया तरीके से धक्का मारा जिससे वह उछल कर प्रांगण में जा गिरा। और जब वर्कर्स पेट्रोल मेंबर पूरे शहर में अखबार बांट रहे थे, हम लोगों ने बैरिकेड लगाना शुरू कर दिया। इस तरह अखबार का पहला अंका छपा!”
“बहुत बढ़िया!” सावेल्येव पूरे जोश से चिल्लाया, और कोस्त्या देस्यान्तिकोव के कंधे पर थपकी दी।
कोस्त्या ने अपनी थकी टांगें फैलाईं, अंततः अपनी सिगरेट सुलगा ही ली और गहरा कश लिया। रोज़ालिया बोलती इससे पहले उसने इस तरह अपनी आंखें सिकोड़ीं जैसे उसके पास इससे संबंधित कुछ और भी मजेदार बातें हैं। “सुधरने वाला नहीं है,” उसने धीमे से मुस्कुराते हुए मन में सोचा। एक हल्की-फुल्की कहानी के उनकी खतरे से भरी जिन्दगियों में क्या मायने हैं।
मेहमानों ने किसी मनोरंजक कहानी का पूर्वानुमान लगाते हुए पहले ही मुस्कुराना शुरू कर दिया।
“कल मैं पर्चे लेकर ईनेम की कैंडी फैक्ट्री जा रहा था। चारों ओर नज़र डालते हुए मैंने ध्यान दिया कि वहां कोई मेरा पीछा कर रहा है। मैं एक संकरी गली में मुड़ा और वह ठीक मेरे पीछे था, इसलिए मैं पीछे की गली में फांद गया, लेकिन वह बदमाश उन्हें भी जानता था। मैं वाहन ले लेता, लेकिन ऐसा लगता था कि मैं पीछा नहीं छुड़ा पाउंगा। मैं बुरी तरह थका हुआ था, मेरे पैर शिथिल थे, और मेरा गला सूखा हुआ था; अगर वे मुझे पकड़ लेते, मैं सोच रहा हूं – यह अंत होता, गैरकानूनी गतिविधियों में मुझे फांसी हो जाती। मैंने फिर से देखा – वह अभी तक मेरे पीछे था, केवल मैं देख सकता था कि वह अपनी ताकत खो रहा है, लेकिन गिर नहीं रहा। यह आदमी स्पष्ट रूप से हट्टा-कट्टा था। ”
“अचानक मैंने खुद को सेंट बारबरा चर्च के सामने पाया,” कोस्त्या बोलता रहा, “बचपन में मैं अपने पिता के साथ वहां जाया करता था। यह एक बहुत ही छोटा चर्च है, भव्यता जैसी कोई चीज नहीं। अचानक ही मैंने सोचा: मैं अन्दर जाऊंगा और पांच कोपेक की मोमबत्ती खरीदूंगा और महान आत्मा के सामने घुटनों के बल शीश नवाऊंगा। ”
उसके शब्द जोरदार ठहाकों में डूब गए, कोस्त्या खुद भी हंस रहा था।
“और इस तरह, मैं अपने घुटनों के बल बैठा था, अपनी सांस थामे हुए, और समय-समय पर जासूस पर नज़र डालते हुए। वह एकदम हतप्रभ था। शायद वह सोच रहा था: ‘अह, मैं कितना बेवकूफ हूं – गलत आदमी का पीछा कर रहा हूं। । । ’ मैं घुटनों के बल झुका रहा जैसे कि प्रार्थना कर रहा हूं। वह कुछ देर वहां खड़ा रहा, एक पैर से दूसरे पैर पर, उन बुजुर्ग महिलाओं के बीच बुरा महसूस करते हुए जो किनारे हटने के लिए उसे बोल और देख रही थीं। इसलिए उसने निकास की ओर अपना कदम बढ़ाया, और मैं शान्तिपूर्वक नीचे झुका रहा। जासूस ने एक बार और मेरी तरफ देखा – कितना दुष्ट नजर आ रहा था! मैं इसे कभी नहीं भूल पाउंगा। । । इस तरह मैं बच गया, शुक्रिया सेंट बारबरा। । । ”
दरवाज हल्की चरचराहट के साथ खुला और एक दुबले और कमजोर नजर आ रहे छात्र संदेशवाहक ने अन्दर प्रवेश किया। उसने अपनी कॉलर से बर्फ झाड़ी और अपने आस पास कॉमरेडों के हंसते हुए चेहरों को आश्चर्य से देखा। उसने अपने ऊनी दस्ताने उतारे और धुंध चढ़े चश्मे को पोछने लगा।
“बदकिस्मती से – उन्होंने मरात और वसील्येव को पकड़ लिया,” उसने धीमे से कहा, लगभग अपराधबोध से।

मज़दूर बिगुल, दिसम्‍बर 2015


 

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