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(बिगुल के फरवरी 2001 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
भूकम्प को महज प्रकृति की विनाशलीला घोषित कर खून सने हाथों को साफ नहीं किया जा सकता
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
एनरॉन की लूटपाट के लिए पूरे देश में रास्ता खोलने की तैयारी / मुकुल श्रीवास्तव
पंचायतों से उद्योग मुक्त होंगे और जनता भरेगी नये टैक्स
संघर्षरत जनता
दक्षिण कोरिया : दाइवू मोटर क. के मजदूरों ने संघर्ष तेज किया
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
मारुति के मजदूरों का साढ़े तीन माह तक चला जुझारू आन्दोलन समझौते के बाद समाप्त : मजदूर अकेले-अकेले लड़कर जीत हासिल नहीं कर सकते
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
राजनीतिक कारणों से हुए तबादलों के खिलाफ संघर्षरत बिजली कर्मियों पर बर्बर लाठीचार्ज
काशीपुर (उड़ीसा) में अल्युमिनियम कारखाने के लिए उजाड़ी जा रही आदिवासी जनता पर पुलिस फायरिंग / रंजना पाढी (वर्कर्स सॉलिडेरिटी) की रिपोर्ट पर आधारित
लेखमाला
पार्टी की बुनियादी समझदारी (पहली किश्त)
चीन की नवजनवादी क्रान्ति के अर्द्धशतीवर्ष के अवसर पर – जनमुक्ति की अमर गाथा : चीनी क्रान्ति की सचित्र कथा (भाग ग्यारह)
कारखाना इलाक़ों से
ए.एस.पी. का मजदूर आन्दोलन : वेतन न मिलने से मजदूर भुखमरी के कगार पर
औद्योगिक दुर्घटनाएं
बागडिगी : एक और सामूहिक हत्याकाण्ड
कला-साहित्य
कविता – हैसवेल शहर के सौ मजदूर / जार्ज वेयेर्थ
आपस की बात
मजदूरों के अरमान चिमनियों से धुंआ बनकर निकलते हैं / महेश कुमार सिन्हा, लुधियाना
नकली कम्युनिस्टों को परखने की कसौटी है “बिगुल” / पुखराज निराला, गजरौला
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन