‘धर्म की उत्पत्ति व विकास, वर्ग समाज में इसकी भूमिका’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन
बिगुल संवाददाता
12 अप्रेल 2015 को लुधियाना में उपरोक्त विषय पर बिगुल मज़दूर दस्ता व नौजवान भारत सभा ने एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया। इस विचार संगोष्ठी में का. कश्मीर ने मुख्य वक्ता के तौर पर बात रखी। उन्होंने विस्तार से बात रखते हुए साबित किया कि समाज के वर्गों में बँटने, यानी शोषकों व शोषितों में बँटने, के साथ ही संगठित धर्म अस्तित्व में आया। उत्पादन शक्तियों के विकास के कारण समाज वर्गों में बँटा, आदिम साम्यवादी समाज की जगह गुलामदारी व्यवस्था ने ली और इसी समय धर्म अस्तित्व में आया।
का. कश्मीर ने कहा कि समाज की भौतिक-आर्थिक परिस्थितियों से ही सामाजिक चेतना जन्म लेती है और इन परिस्थितियों के बदलने से सामाजिक चेतना भी देर-सवेर बदल जाती है। धर्म भी मानव समाज की आर्थिक परिस्थितियों के बदलने से लगातार बदलता आया है। उन्होंने कहा कि धर्म ने हमेशा शोषक वर्ग व्यवस्था की सेवा की है। जब तक वर्ग व्यवस्था कायम रहेगी तब तक धर्म का ख़ात्मा भी सम्भव नहीं है इसलिए धर्म के आधार पर होने लूट-शोषण के खात्मे की लड़ाई को वर्ग समाज के ख़ात्मे की लड़ाई, कम्युनिस्ट व्यवस्था कायम करने की लड़ाई के साथ जोड़ना होगा।
संगोष्ठी में राजविन्दर, नन्दलाल, किशोर, आदि ने भी विचार-चर्चा में हिस्सा लिया। मंच संचालन लखविन्दर ने किया।
मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2015
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