जाहिरा तौर पर मजदूरों के सामने अब दो ही रास्ते बचे थे, या तो मालिक के अन्याय को चुपचाप बर्दाश्त कर लें या फिर अपने जायज हक को पाने के लिए संघर्ष करें। आखिरकार मजदूरों ने संघर्ष का रास्ता चुना।
‘पायल एम्ब्रायडरी मजदूर संघर्ष समिति’ का गठन करके 4 अक्टूबर की शाम को मजदूर अपने प्रतिनिधियों के साथ जब नारे लगाते हुए स्थानिय थाने शाहबाद डेयरी में धरना-प्रदर्शन की अनुमति लेने पहुंचे तो पहले से तैयार बैठी पुलिस मजदूरों तथा ‘बिगुल मजदूर दस्ता’ के प्रतिनिधियों पर टूट पड़ी। मजदूरों तथा उनके प्रतिनिधियों के साथ जमकर मारपीट की गयी तथा तरह-तरह से डराने-धमकाने की कोशिश की गयी। इसके बाद भी जब मजदूर अड़े रहे तथा उन्होंने साफ शब्दों में संघर्ष पर डटे रहने की बात कही। इसके बाद एसएचओ की काली करतूत पर माफी मांगते हुए मजदूरों को धरना-प्रदर्शन की अनुमति दे दी।
‘पायल एम्ब्रायडरी’ में कपड़े पर कढ़ाई का काम होता है। उन्नत मशीनों द्वारा करोड़ों में मुनाफा कुटने वाला इस फैक्टरी का मालिक भजनलाल गाबरा इस फैक्टरी में काम कर रहे कुशल कारीगरों की तनख्वाह दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित हेल्परों के न्यूनतम वेतन से भी कम है। मजदूरों को किसी प्रकार की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। ईएसआई, फण्ड, बोनस, नियमित छुट्टी आदि का नाम लेना भी यहां गुनाह है। फिर भी मजदूर काम कर रहे हैं, क्योंकि और कोई चारा नहीं है।
फिलहाल खबर लिखे जाते वक्त तक ‘पायल एम्ब्रायडरी मजदूर संघर्ष समिति’ के साथी फैक्टरी गेट पर धरने पर बैठे हुए हैं।
संघर्ष समिति की ओर से उप श्रमायुक्त को न्यायसंगत ढंग से समझौता करवाने के लिए ज्ञापन दे चुके हैं। 8 अक्टूबर को लेबर इंस्पेक्टर ने तारीख दी हैा यदि 8 अक्टूबर को को नतीजा नहीं निकलता है तो आगे मजदूर इस आन्दोलन को और जुझारू ढंग से आगे बढ़ाने को कृतसंकल्प हैं।
प्रदर्शन करते मजदूर
फैक्टरी गेट पर प्रदर्शन करते मजदूर
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन