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(मज़दूर बिगुल के दिसम्बर 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
तेल की क़ीमतों में गिरावट का राज़ / आनन्द सिंह
फासीवाद
संघर्षरत जनता
मज़दूर विरोधी “श्रम सुधारों” के खि़लाफ़ रोषपूर्ण प्रदर्शन
फ़ैक्टरियों में सुरक्षा के इन्तज़ाम की माँग को लेकर मज़दूरों ने किया प्रदर्शन
अस्ति का मज़दूर आन्दोलन ऑटो सेक्टर मज़दूरों के संघर्ष की एक और कड़ी! / अजय
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
क्या भगवा और नक़ली लाल का गठजोड़ मज़दूरों आन्दोलन को आगे ले जा सकता है? / अजय
महान शिक्षकों की कलम से
पार्टी मजदूर वर्ग का संगठित दस्ता है / स्तालिन
समाज
पाखण्ड का नया नमूना रामपाल: आखि़र क्यों पैदा होते हैं ऐसे ढोंगी बाबा? / रमेश
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
जनता को तोपें और बमवर्षक नहीं बल्कि रोटी, रोज़गार, सेहत व शिक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतें चाहिए / रौशन
स्वास्थ्य
पर्यावरण / विज्ञान
निवेश के नाम पर चीन के प्रदूषणकारी उद्योगों को भारत में लगाने की तैयारी / मीनाक्षी
महान मज़दूर नेता
चीनी क्रान्ति के महान नेता माओ त्से-तुङ के जन्मदिवस (26 दिसम्बर) के अवसर पर
कारखाना इलाक़ों से
फ़ॉक्सकॉन के मज़दूरों का नारकीय जीवन / सनी
कला-साहित्य
फ़ॉक्सकॅान के मज़दूर की कविताएँ / जू लिझी
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन