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(बिगुल के अप्रैल 1999 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
‘बिगुल’ के लक्ष्य और स्वरूप पर एक बहस और हमारे विचार
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
भाजपा सरकार का नया कुचक्र : नई आर्थिक नीतियों का नया कहर , मजदूरों के बचे-खुचे अधिकारों पर कुल्हाड़ा गिराने की तैयारी, अब नये श्रम कानूनों की बारी / ओ. पी. सिन्हा
प्रदूषण के बहाने 146 नये उद्योगों को बन्द करने की साजिश, मज़दूरों की छीनती रोटियां और मालामाल होते पूँजीपति
संघर्षरत जनता
तराई का ए.एल.पी. कारखाना आन्दोलन – मशल जुलूस निकालकर मजदूर एकता का प्रदर्शन
बहस
भारत में क्रान्तिकारी वामपंथी आन्दोलन की समस्याएं : एक बहस , वामपंथी शिविर में बिखराव के बुनियादी कारण / संजय कुमार
महान शिक्षकों की कलम से
मजदूर अखबार – किस मज़दूर के लिए ? / व्ला. इ. लेनिन
लेखमाला
क्रान्तिकारी चीन में आर्थिक परिवर्तन : जब शक्ति वास्तव में जनता के हाथों में थी (तीसरी व अन्तिम किश्त) / प्रस्तुत: अभिनव सिन्हा
मेहनतकशों के खून से लिखी पेरिस कम्यून की अमर कहानी (दूसरी किश्त) / अरूण किशोर नवल
अक्टूबर क्रान्ति की शिक्षाएं और हमारा समय, हमारा देश (चौथी व अन्तिम किश्त) / शशिप्रकाश
गतिविधि रिपोर्ट
23 मार्च के अवसर पर रेल मजदूर अधिकार मोर्चा की विचार-गोष्ठी
शहीदे आजम भगतसिंह शहादत दिवस का संकल्प, सारी सत्ता मेहनतकशों को
कला-साहित्य
लेनिन जन्मदिवस (22 अप्रैल) के अवसर पर – लाल झण्डे का गीत / सुरेश सलिल
आपस की बात
आखिर यह कब तक होगा / राजेश कुमार, पनकी, कानपुर
धोखेबाजों-मुनाफाखोरों को धता बताना होगा / जुबेर आलम, नोएडा
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन