जॉयनवादी इज़रायली हत्यारों के संग मोदी सरकार की गलबहियाँ
आनन्द सिंह
पिछली जुलाई में जब इज़रायल गाज़ा में बर्बर नरसंहार को अंजाम दे रहा था, मोदी सरकार ने संसद में इस अहम मसले पर बहस करवाने से साफ़ इन्कार कर दिया था। विदेशमन्त्री सुषमा स्वराज ने उस समय यह बयान दिया था कि इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों ही भारत के मित्र हैं और संसद में उस मसले पर किसी प्रकार की बहस से इन दोनों देशों से भारत के राजनयिक सम्बन्धों पर प्रतिकूल असर पड़ता। पिछले 3 महीने के दौरान मोदी सरकार द्वारा रक्षा के क्षेत्र में लिये गये अहम फ़ैसलों से अब यह दिन के उजाले की तरह साफ़ होता जा रहा है कि फिलिस्तीन से मित्रता की बात तो बस जुबानी जमा ख़र्च थी, मोदी सरकार की असली मित्रता तो इज़रायल से है। सितम्बर के महीने में नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान उनकी इज़रायली प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतन्याहू से गर्मजोशी भरी मुलाक़ात, भारत द्वारा इज़रायली सैन्य उपकरणों की ख़रीद की मंजूरी और गृहमन्त्री राजनाथ सिंह की हालिया इज़रायल यात्रा ने इस बात के पर्याप्त संकेत दे दिये हैं कि आने वाले दिनों में हिन्दुत्ववादियों और जॉयनवादियों का ख़ूनी गठजोड़ परवान चढ़ेगा।
हालाँकि पिछले दो दशकों में सभी पार्टियों की सरकारों ने इज़रायली नरभक्षियों द्वारा मानवता के खि़लाफ़ अपराध को नज़रअन्दाज़ करते हुए उनके आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, लेकिन हिन्दुत्ववादी भाजपा की सरकार का इन जॉयनवादी अपराधियों से कुछ विशेष ही भाईचारा देखने में आता है। अटलबिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान भी भारत और इज़रायल के सम्बन्धों में ज़बरदस्त उछाल आया था और अब नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद एक बार फिर इस प्रगाढ़ता को आसानी से देखा जा सकता है। नरेन्द्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू दोनों के ख़ूनी रिकॉर्ड को देखते हुए ऐसा लगता है, मानो ये दोनों एक-दूसरे के नैसर्गिक जोड़ीदार हैं। इस जोड़ी की गर्मजोशी भरी मुलाक़ात सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेम्बली की बैठक के दौरान न्यूयॉर्क में हुई जिसमें नेतन्याहू ने मोदी को जल्द से जल्द इज़रायल आने का न्योता दिया जिसे मोदी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। नेतन्याहू ने यह भी बयान दिया कि “हम भारत से मज़बूत रिश्ते की सम्भावनाओं को लेकर रोमांचित हैं और इसकी सीमा आकाश है।” इज़रायली मीडिया ने नेतन्याहू-मोदी की इस मुलाक़ात को प्रमुखता से जगह दी।
सितम्बर के ही महीने में प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इज़रायल की 262 बराक मिसाइलों की ख़रीद को हरी झण्डी दे दी। ग़ौरतलब है कि इन्हीं बराक मिसाइलों की ख़रीद को लेकर 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय में ही एक घोटाला सामने आया था जिसमें तत्कालीन रक्षामन्त्री जार्ज फ़र्नाण्डीज़, उनकी सहयोगी जया जेटली और नौसेना के एक अधिकारी सुरेश नन्दा का नाम सामने आया था। इस घोटाले में एनडीए के एक घटक समता पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष आर के जैन को गिरफ्तार भी किया गया था। लेकिन अब मोदी सरकार ने इज़रायल से अपनी मित्रता का सबूत देते हुए एक बार फिर से इस सौदे को मंजूरी दे दी है।
ग़ौरतलब है कि भारत पहले ही इज़रायल के रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक देश और इज़रायल भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का सप्लायर बन चुका है। अभी पिछले ही वर्ष कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने 15 हेरॉन ड्रोन की ख़रीद को मंजूरी दी थी। मोदी-नेतन्याहू मुलाक़ात के बाद अक्टूबर में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 80,000 करोड़ रुपये की रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दी। इसमें से 50,000 करोड़ रुपये नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों के निर्माण में ख़र्च किये जायेंगे। 3,200 करोड़ रुपये 8000 इज़रायली टैंकरोधी मिसाइल स्पाइक की ख़रीद में ख़र्च किये जायेंगे। ग़ौर करने वाली बात यह है कि भारत ने इज़रायल की इस मिसाइल को अमेरिका की जैवेलिन मिसाइल के ऊपर तवज्जो दी है जिसके लिए अमेरिका लम्बे समय से लॉबिंग कर रहा था। अमेरिकी रक्षा मन्त्री चक हेगल ने अपनी हालिया भारत यात्रा के दौरान भी इस मिसाइल को भारत को बेचने के लिए लॉबिंग की थी। लेकिन अमेरिकी मिसाइल के ऊपर इज़रायली मिसाइल को तवज्जो देना हिन्दुत्ववादियों के इज़रायली जॉयनवादियों से गहरे रिश्तों को उजागर करता है। इज़रायल भविष्य में अपने इरॉन डोम नामक मिसाइल रोधी प्रणाली को भी भारत को बेचने की फ़िराक़ में है।
नवम्बर की शुरुआत में गृहमन्त्री राजनाथ सिंह ने इज़रायल की यात्रा की। यह वर्ष 2000 के बाद किसी भारतीय गृहमन्त्री की पहली इज़रायल यात्रा थी। इस यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने इज़रायली रक्षा कम्पनियों को ‘मेक इन इण्डिया’ मुहिम के तहत भारत में निवेश करने का न्योता दिया। इज़रायली रक्षा मन्त्री मोशे यालोन से मुलाक़ात के दौरान राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में रियायत देने के मोदी सरकार के फ़ैसले को विशेष तौर पर रेखांकित किया। इज़रायली रक्षा मन्त्री ने अपनी ओर से रक्षा के क्षेत्र में भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हस्तान्तरित करने की मंशा जतायी। इस यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने गाज़ा की सीमा पर इज़रायली सैनिक चौकियों का दौरा भी किया। अधिकारियों का कहना है कि राजनाथ सिंह इज़रायल द्वारा इस्तेमाल की जा रही अत्याधुनिक सीमा सुरक्षा की प्रौद्योगिकी से काफ़ी प्रभावित दिखे। इस प्रौद्योगिकी में उच्च गुणवत्ता वाली लम्बी रेंज वाले दिन के कैमरे और रात्रि प्रेक्षण प्रणाली शामिल है। इसके अतिरिक्त राजनाथ सिंह डिटेक्शन रडार से भी बहुत प्रभावित हुए जिसकी मदद से सीमा पार कई किलोमीटर तक की हलचल को आसानी से प्रेक्षित किया जा सकता है। यही नहीं गाज़ा की सीमा पर सुरंग बनाने के प्रयासों को निष्क्रिय करने के लिए सीस्मिक प्रणाली वाले मोशन सेंसर से भी राजनाथ सिंह प्रभावित हुए। ज़ाहिर है कि इज़रायल भविष्य में इन सभी प्रौद्योगिकियों को भारत को बेचने की योजना बना रहा है और राजनाथ सिंह को एक सम्भावित ग्राहक के रूप में देखकर उसने इन प्रौद्योगिकियों की नुमाइश की। इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में हिन्दुत्ववादियों और ज़ॉयनवादियों के इन रिश्तों में और प्रगाढ़ता आयेगी।
मज़दूर बिगुल, नवम्बर 2014
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