कमरतोड़ महँगाई और बेहिसाब बिजली कटौती के ख़िलाफ़ धरना
बिगुल संवाददाता
कारख़ाना मज़दूर यूनियन, लुधियाना, नौजवान भारत सभा, मोल्डर एण्ड स्टील वर्करज़ यूनियन, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रन्ट, डेमोक्रेटिक इम्पलाईज़ फ्रन्ट, इंक़लाबी केन्द्र पंजाब और लोक मोर्चा पंजाब द्वारा खाद्य पदार्थों की आसमान छूती क़ीमतों और बेहिसाब बिजली कटौती के ख़िलाफ़ इस महीने की 2 तारीख को लुधियाना के डी.सी. कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया गया और तीन घण्टे तक धरना दिया। इसमें सरकार से माँग की गयी कि अनाज की क़ीमतें कम करने के लिए फ़ौरी तौर पर क़दम उठाये जायें, सरकार की तरफ़ से सभी ग़रीबों को सस्ते दामों पर अनाज मुहैया करवाया जाये, बिजली की बेहिसाब कटौती बन्द की जाये, बिजली की पूर्ति के पुख़्ता इन्तजाम किये जायें। धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में पहुँचे कारख़ाना मज़दूरों सहित नौजवानों, अध्यापकों तथा अन्य सरकारी कर्मचारियों ने रोषपूर्ण नारे लगाते हुए कमरतोड़ महँगाई और बिजली की भारी कमी के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार मुनाफ़ाख़ोरों और सरकार के नापाक गठबन्धन के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द की। “मुनाफ़ाख़ोरों-सरकारों का जनविरोधी गठबन्धन मुर्दाबाद”, “मेहनतकशों की एकता जिऩ्दाबाद”, “कमरतोड़ महँगाई का कौन है जिम्मेदार, मुनाफ़ाख़ोर लुटेरे और यह सरकार”, “खत्म करो पूँजी का राज, लड़ो बनाओ लोकस्वराज”, आदि गगनभेदी नारों से पूरा मिनी सेकेट्रिएट गूँज उठा।
कारख़ाना मज़दूर यूनियन, लुधियाना के संयोजक राजविन्दर ने धरने को सम्बोधित होते हुए कहा कि देश की सरकारों को ग़रीबों की कोई फ़िक्र नहीं है। इस बात का सबूत यह है कि एक तरफ़ तो सरकारी गोदामों में अनाज सड़ रहा है लेकिन भूख से तड़प रही जनता को नहीं दिया जा रहा। देश के बड़े-बड़े व्यापारियों ने करोड़ों टन अनाज जमा करके रखा हुआ है, वे मनमर्ज़ी से क़ीमतें तय कर रहे हैं, वे अनाज की नकली कमी पैदा कर रहे हैं, महँगाई बढ़ा रहे हैं। लेकिन सरकार इस मुनाफ़ाखोरी और कालाबाज़ारी को रोकने के लिए कोई भी क़दम उठाने को तैयार नहीं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह बात साफ़ हो चुकी है कि देश की सरकारों से अब ग़रीब मेहनतकशों को कोई आशा नहीं रखनी चाहिए बल्कि अपने हक़ ख़ुद लेने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने का रास्ता ही ग़रीबों की हालत में कोई सही बदलाव ला सकता है।
नौजवान भारत सभा, पंजाब के संयोजक परमिन्दर ने कहा कि इस महँगाई और बिजली की कमी के कारण प्राकृतिक नहीं हैं जैसा कि केन्द्र और पंजाब सरकार बकवास कर रही है। असल में यह तो मुनाफ़ाख़ोरी का नतीजा है और सरकार की मुट्टीभर पूँजीपतियों के पक्ष में और विशाल जनता के ख़िलाफ़ अपनायी गयी नीतियों का नतीजा है। पूँजीवादी सरकार जनता की पेट की भूख तक मिटाने को तैयार नहीं तो ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार जनता के फ़ायदे के लिए बिजली की पूर्ति के लिए कहाँ तक कोई क़दम उठायेगी। उन्होंने कहा कि कहने को तो 1947 में देश आज़ाद हो गया लेकिन यह एक कोरा झूठ है। ग़ैरबराबरी, ग़रीबी, भूख-प्यास, बेरोज़गारी, स्वास्थ्य सुविधाओं का अकाल, अशिक्षा बस यही दिया है इस आज़ादी ने। इसलिए जनता की आज़ादी आनी अभी बाक़ी है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब-जब भी मेहनतकश जनता के संघर्षों का तूफ़ान उठा है नौजवान उनकी अगली कतारों में लड़े हैं और आने वाला समय भी इसी बात की गवाही देगा।
मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन के प्रधान विजय नारायण ने कहा कि अब समय आ गया है कि जनता को उठ खड़ा होना होगा और इन जालिम हुक्मरानों से हक़-सच की आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आना होगा। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रन्ट के टेक चन्द कालिया ने कहा कि भारत के कोने-कोने में जनता हुक्मरानों की नाइन्साफ़ियों के ख़िलाफ़ लड़ रही है। जनता नारों से लेकर हथियारों तक के जरिए लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा हमें हर तरह की लड़ाई से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना होगा। डेमोक्रेटिक इम्पलाईज़ फ्रन्ट के रमनजीत ने धरनाकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मँहगाई हो या बिजली कटौती का मुद्दा सरकार जनता की भलाई के लिए खुद कोई क़दम नहीं उठाने जा रही है। जनता को अपने हक़ अपनी एकजुटता के दम पर हासिल करने होंगे। इंक़लाबी केन्द्र पंजाब के सचिव कँवलजीत खन्ना ने कहा कि सरकार जनता को मुहैया करवायी जाने वाली हर तरह की सहूलियतों से हाथ पीछे खींचती जा रही है। इसी के अन्तर्गत न तो ग़रीब जनता को सस्ता अनाज मुहैया करवाया जा रहा है और न ही उसकी बिजली की ज़रूरत पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि महँगाई और बिजली की कमी स्पष्ट तौर पर पूँजीवादी सरकारों की नीतियों का नतीजा है। लोक मोर्चा पंजाब की लुधियाना इकाई के सचिव कस्तूरी लाल ने कहा कि सरकार विदेशी लुटेरों के हाथों देश को बेच रही है और जनता को भयंकर तंगी बदहाली में धकेल रही है। उन्होंने प्रश्न किया कि आज जब सरकार ग़रीब मज़दूरों से दाल की एक कटोरी भी छीन लेने पर उतारू हो रही हो तो वे क्यों न इस सरकार का तख़्ता पलटने के लिए तैयारी करें?
इनके अलावा ग्रामीण मज़दूर यूनियन (मशाल) के बलदेव सिंह, इंक़लाबी केन्द्र पंजाब के मास्टर भजन सिंह, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रन्ट के जसदेव ललतों, लोक मोर्चा पंजाब के मास्टर कुलवन्त तर्क, आदि ने भी धरने को सम्बोधित किया। सभी वक्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जनता को महँगाई और बिजली कटौती से राहत दिलाने के लिए शीघ्र क़दम न उठाये तो ग़रीबों के दिलों के भीतर सुलग रही गुस्से की चिन्गारी को शोला बनते देर नहीं लगेगी।
बिगुल, सितम्बर 2009
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