गोरखपुर मजदूर आंदोलन को आम नागरिकों का समर्थन
अवधेश, गोरखपुर
बरगदवां के कारख़ानों में पिछले दिनों चला मज़दूर आन्दोलन आसपास के मोहल्लों में अब भी चर्चा का विषय बना हुआ है। बरगदवां, भगवानपुर, बिचउआपुर, विस्तारनगर, मोहरीपुर, घोसीपुरवां, गिदहवां, राजेन्द्र नगर, शास्त्री नगर इन सभी मोहल्लों के लोग कभी डीएम कार्यालय पर धरने तो कभी योगी आदित्यनाथ के बयानों के बारे में बातें करते रहते हैं।
मज़दूर जब धरना-प्रदर्शन या वार्ता से लौटकर आते तो मोहल्ले में घुसते ही सब्ज़ी बेचने वाले से लेकर किराने के दुकानदारों, मकानमालिकों तक की उत्सुकता होती कि आज क्या हुआ? स्थानीय लोग मालिकों द्वारा कई सालों से मज़दूरों के शोषण और अत्याचार को हिकारत से देखते हुए कहते कि हम आपके साथ हैं। एक मकानमालिक ने कहा कि आप लोग लड़िये चाहे जितनी लम्बी लड़ाई हो मेरे किराये की चिंता मत करिये। इसी तरह से भगवानपुर मोहल्ले के एक मकान मालिक ने सभी किरायेदारों के चूल्हों में गैस भराकर कहा तुम बनाओ खाओ जब पैसा होगा तब देना।
मुस्लिम बहुल मोहल्ला घोसीपुरवां में उस वक्त त्योहारों जैसा माहौल होता जब लिट्टी-चोख के लिए राशन जुटाया जाता। पाँच-छह घरों के बीच में दो लोग बोरा लेकर खड़े हो जाते और आसपास के लोग आटा, चावल, आलू, दाल, बैंगन बोरे में डालते जाते। कुछ ऐसा ही माहौल बरगदवां और मोहरीपुर की सब्जी मण्डियों का भी होता। ये वही घोसीपुरवां के लोग है जो पुलिस के आतंक से हमेशा सशंकित रहते थे। ये पुलिस के नाम से ऐसे ही डरते थे जैसे छोटे बच्चे किसी शैतान का या अदृश्य राक्षसी शक्ति से डरते हैं।
दूसरी ओर इसके उलट बात भी सुनने में आती थी। स्त्री मज़दूर विमला सिंह के कमरे के बगल में सुपरवाइज़र का परिवार रहता है। सुपरवाइज़र की पत्नी विमला सिंह को देखते ही भौहें चढ़ाकर व्यंग्य भरी मुस्कान से पूछती क्यों मान ली गयी माँग? मिल गया हक? बथवाल तुम औरतों को कभी काम पर नहीं रखेगा चाहे सात-जनम तक लड़ती रहो। कुछ ऐसे भी मकान मालिक, सरकारी नौकरी वाले और ठेकेदार जैसे लोग थे जो कहते थे कि शोषण आदिकाल से होता आया है और अनन्त काल तक चलता रहेगा। अमीर-ग़रीब को भगवान ने बनाया है जब तक दुनिया रहेगी तब तक अमीर-ग़रीब का शोषण करते रहेंगे। ये वही लोग हैं जो आज़ादी की लड़ाई में कहा करते थे जिन अंग्रेजों के राज्य में सूरज नहीं डूबता वे अंग्रेज कभी भारत छोड़कर नहीं जायेंगे।
बिगुल, दिसम्बर 2009
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