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(बिगुल के अगस्त 2009 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
संघर्षरत जनता
छँटनी के ख़िलाफ कोरिया के मजदूरों का बहादुराना संघर्ष / कपिल स्वामी
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
‘मेट्रो कामगार संघर्ष समिति’ के सदस्य पर मेट्रो प्रशासन-ठेका कम्पनी का जानलेवा हमला
लेखमाला
अदम्य बोल्शेविक – नताशा एक संक्षिप्त जीवनी (आठवीं किश्त) / एल. काताशेवा
फ़ासीवाद क्या है और इससे कैसे लड़ें? (तीसरी किश्त) – इटली में फ़ासीवाद / अभिनव
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
”अतुलनीय भारत” – जहाँ हर चौथा आदमी भूखा है! / जयपुष्प
कारखाना इलाक़ों से
नारकीय हालात में रहते और काम करते हैं दिल्ली मेट्रो के निर्माण कार्यों में लगे हज़ारों मज़दूर
अमानवीय शोषण-उत्पीड़न के शिकार तमिलनाडु के भट्ठा मज़दूर / नमिता
औद्योगिक दुर्घटनाएं
रामचरस को इन्साफ कब मिलेगा / राजविन्दर
गतिविधि रिपोर्ट
मेट्रो कामगार संघर्ष समिति का जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन
कला-साहित्य
गीत – मज़दूर एकता / कान्ति मोहन
प्रेमचन्द के जन्मदिवस (31 जुलाई) के अवसर पर
मज़दूरों की कलम से
मज़दूर वर्ग के हक में / मनोज, एक मज़दूर, हल्लोमाजरा, चण्डीगढ़़
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन