दीप ऑटो के नियम-क़ानून दीप ऑटो प्राइवेट लिमिटेड
सुधा
दिल्ली के समयपुर इलाक़े के रेलवे रोड पर स्थित एक कम्पनी है। इस फैक्टरी की तीन मंज़िलों में ऑटो पार्ट्स में लगने वाले तार बनते हैं। निचली मंज़िल पर पावर प्रेस लगे हैं जिन पर स्टील और ताँबे के रोल चढ़ाये जाते हैं और दूसरी मशीनों पर मेटल की पत्तियाँ काटी जाती हैं। तीसरी मंज़िल पर मेटल की पत्तियों को हाथदाबा (हैण्ड प्रेस) मशीन से मोड़कर तार के साथ जोड़ा जाता है। बीच की मंज़िल में पैकिंग होती है।
इस फैक्टरी में कुल 100 मज़दूर काम करते हैं जिसमें से ज्यादातर लड़कियाँ हैं। हैण्ड प्रेस मशीन को ज्यादातर लड़कियाँ ही चलाती हैं। हर मंज़िल पर दो सुपरवाइज़र हैं — एक माल की इण्ट्री करने के लिए और दूसरा माल तैयार कराने के लिए। मालिक और उसका बेटा आफिस में बैठते हैं। इसके अलावा दो कम्प्यूटर ऑपरेटर हैं और हिसाब-किताब में मालिक की मदद करने के लिए एक अकाउण्टेण्ट आता है।
कहने को यह लिमिटेड फैक्टरी है लेकिन तमाम सरकारी क़ानून मालिक के ठेंगे पर रहते हैं। यहाँ का पहला नियम है — मज़दूर को अगर एक मिनट की भी देर हुई तो एक घण्टे का पैसा काट लिया जायेगा। दूसरा नियम सभी मज़दूर अनुशासन का पालन करते हुए समय से लंच करेंगे, दिन में 3 बार पानी पी सकते हैं और 3 बार बाथरूम जा सकते हैं। चूँकि बाथरूम जाने और पानी पीने का काम एक साथ भी हो सकता है इसलिए मज़दूर अपने काम की जगह से दिन में सिर्फ 3 बार ही उठ सकते हैं। अगर कोई मज़दूर चौथी बार उठ जाये, तो उसके एक घण्टे के काम का पैसा काट लिया जाता है।
तीसरा नियम — अगर किसी को छुट्टी चाहिए, तो उसे लिखित अर्ज़ी में मैनेजर या मालिक से दस्तख़त कराने होंगे। इसके लिए एक मज़दूर को कितनी परेशानी उठानी पड़ती है और कितनी जिरह करनी पड़ती है, ये वो ही जानता है। तबियत ख़राब होने की बात को ”बहाना” माना जाता है। अगर हफ्ते में एक छुट्टी की, तो दो दिन के पैसे कटेंगे और दो छुट्टी की तो तीन दिन के पैसे कटेंगे।
इसके अलावा, फैक्टरी के चप्पे-चप्पे पर नज़र रखने के लिए कैमरे लगे हैं जिससे अनुशासन में कोई ढिलाई नहीं हो। जब भी कोई मज़दूर फैक्टरी गेट से बाहर निकलता है, तो हर बार बड़ी मुस्तैदी से तलाशी ली जाती है कि वो कहीं कोई बोल्ट चुराकर न ले जाये। ऐसे जेल जैसे माहौल में गर्दन झुकाकर लगातार काम में लगे रहने के बदले में स्त्री मज़दूर को 8 घण्टे काम के 3200 रुपये महीना और पुरुष मज़दूर को 3500 रुपये महीना मिलते हैं। ओवरटाइम सिंगल रेट से ही मिलता है। अगर मज़दूर तीन-चार साल पुराने हों, तो स्त्री मज़दूर को 3500 रुपये महीना और पुरुष मज़दूर को 4000 रुपये महीना मिलते हैं। ये नियम-क़ानून किसी नोटिस बोर्ड पर नहीं लिखे हैं, मगर ये सभी मज़दूरों को याद रहते हैं। क्योंकि याद नहीं रहने पर ख़ामियाजा भुगतना पड़ता है।
मज़दूर बिगुल, अगस्त-सितम्बर 2012
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन