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(मज़दूर बिगुल के फरवरी 2011 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
श्रम कानून
लुधियाना का श्रम विभाग : एक नख-दन्त विहीन बाघ / राजविन्दर
विशेष लेख / रिपोर्ट
करावलनगर के बादाम उद्योग का मशीनीकरण – ‘मज़दूर बिगुल’ द्वारा एक जाँच रिपोर्ट
महान शिक्षकों की कलम से
फ़ैक्ट्री-मज़दूरों की एकता, वर्ग-चेतना और संघर्ष का विकास / लेनिन
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
विनायक सेन का मुक़दमा और जनवादी अधिकारों की लड़ाई : कुछ सवाल / सत्यप्रकाश
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
देखो संसद का खेला, नौटंकी वाला मेला / मीनाक्षी
शिक्षा और रोजगार
बेरोज़गारी की राक्षसी लील गयी 19 नौजवानों को / अरविन्द
लेखमाला
माँगपत्रक शिक्षणमाला – 4 काम की बेहतर और सुरक्षित स्थितियों की माँग इन्सानों जैसे जीवन की माँग है!
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
देश की एक-तिहाई आबादी स्थायी रूप से अकालग्रस्त!
कारखाना इलाक़ों से
इक्कीसवीं सदी के ग़ुलाम, जिनका अपनी ज़िन्दगी पर भी कोई अधिकार नहीं है / राजविन्दर
बादली औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूरों की नारकीय ज़िन्दगी की तीन तस्वीरें / आनन्द, बादली, दिल्ली
औद्योगिक दुर्घटनाएं
पूँजीवादी गणतन्त्र के जश्न में खो गयीं मुनाफ़े की हवस में मारे गये मज़दूरों की चीख़ें
सण्डीला गैस काण्ड – इस व्यवस्था में मौत का खेल यूँ ही जारी रहेगा! / लालचन्द
आई.ई.डी. की फैक्ट्री में एक और मज़दूर का हाथ कटा
मज़दूर बस्तियों से
मुनाफ़ा और महँगाई मिलकर दो ज़िन्दगियाँ खा गये / तेजिन्दर, एक टेक्सटाइल मज़दूर, लुधियाना
कला-साहित्य
मज़दूरों की कलम से
कविता – क्रान्ति की अलख जलाएँ / रासलाल, करावलनगर, दिल्ली
मजदूर भाइयो-बहनो अब और इन्तज़ार मत करो / रासलाल, दिल्ली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन