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(मज़दूर बिगुल के नवम्बर-दिसम्बर 2012 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
फासीवाद
बाल ठाकरे: भारतीय फ़ासीवाद का प्रतीक पुरुष / आनन्द सिंह
संघर्षरत जनता
मारुति सुज़ुकी मज़दूरों का आन्दोलन इलाक़ाई मज़दूर उभार की दिशा में / अभिनव
महान शिक्षकों की कलम से
कम्युनिस्ट पार्टी की ज़रूरत के बारे में लेनिन के कुछ विचार…
मज़दूर वर्ग का नारा होना चाहिए – “मज़दूरी की व्यवस्था का नाश हो!” / कार्ल मार्क्स
उद्धरण / स्तालिन, एंगेल्स, लेनिन
लेखमाला
इतिहास
कारखाना इलाक़ों से
‘ब्राण्डेड’ कपड़ों के उत्पादन में लगे गुड़गाँव के लाखों मज़दूरों की स्थिति की एक झलक
एक मजदूर से बातचीत / आनन्द, बादली, दिल्ली
औद्योगिक दुर्घटनाएं
बंग्लादेश की हत्यारी गारमेंट फैक्टरियां / जयपुष्प
कला-साहित्य
एक सपने का गणित – जैक लण्डन के उपन्यास आयरन हील का एक अंश
मज़दूरों की कलम से
रणवीर की आपबीती / रणवीर सिंह, राजा विहार
मज़दूरों की लाचारी (मालिक भी खुश, मज़दूर भी खुश) / आनन्द, बादली
मज़दूर भाइयों के नाम चिट्ठी / रीना देवी, बादल
सीटू की असलियत / रामाधार, बादली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन