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(मज़दूर बिगुल के जुलाई 2012 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
समाज
दलित मुक्ति का रास्ता मज़दूर इंक़लाब से होकर जाता है, पहचान की खोखली राजनीति से नहीं! / शिशिर
स्वास्थ्य
मुनाफे के लिए इन्सानों की जान से खेलती दवा कम्पनियाँ / सत्यप्रकाश
पर्यावरण / विज्ञान
ब्रह्माण्ड के रहस्यों को सुलझाने की दिशा में बढ़ा इन्सान का एक और क़दम / सत्यम
स्त्री मज़दूर
स्त्री मज़दूरों का संघर्ष श्रम की मुक्ति के महान संघर्ष का हिस्सा है / एलियानोर मार्क्स
लेखमाला
पेरिस कम्यून : पहले मज़दूर राज की सचित्र कथा (पाँचवी किश्त)
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
”विकासमान” बिहार में दम तोड़ते ग़रीबों के बच्चे! / नवीन
महान जननायक
जॉन रीड : कम्युनिज़्म के लक्ष्य को समर्पित बुद्धिजीवी / शिवानी
मज़दूर बस्तियों से
शरीर गलाकर, पेट काटकर जी रहे हैं मज़दूर! / कविता
कला-साहित्य
कविता – डॉक्टर के नाम एक मज़दूर का ख़त / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
मज़दूरों की कलम से
हमारी कमज़ोरी का ईनाम है — ग़ालियाँ और मारपीट! / एक मज़दूर, बादली, दिल्ली
तनख्वाह उतनी ही, मगर काम दोगुना / एक मज़दूर, लुधियाना
मज़दूरों में मालिक-परस्ती कम चेतना का नतीजा है / श्ािवानन्द, बादली, दिल्ली
आवाज़ निकालोगे तो काम से छुट्टी / रामदुलार, टेलर मास्टर, लुधियाना
“ठेकेदार अपना आदमी है!” / एक मज़दूर, लुधियाना
ये कहानी नहीं बल्कि सच्चाई है / भोला सिंह चौहान, करावलनगर, दिल्ली
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन