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(मज़दूर बिगुल के अप्रैल 2012 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
पूँजीपतियों की सेवा में एक और बजट – जनता को और कष्टभरे दिनों के लिए तैयार हो जाना चाहिए
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
ये दरिद्रता के आँकड़े नहीं बल्कि आँकड़ों की दरिद्रता है / आनन्द सिंह
विशेष लेख / रिपोर्ट
घरेलू मज़दूरों के निरंकुश शोषण पर एक नज़र / राजकुमार
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
गुड़गाँव औद्योगिक क्षेत्र : सतह के नीचे सुलगते मज़दूर असन्तोष को दिशा देने की ज़रूरत
28 फ़रवरी की हड़ताल: एक और ”देशव्यापी” तमाशा
महान शिक्षकों की कलम से
मज़दूर का अलगाव – कार्ल मार्क्स
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
सत्ता की बर्बरता की तस्वीर पेश करती हैं हिरासत में होने वाली मौतें / डॉ. अमृत
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
सेनाध्यक्ष विवाद : क्रान्तिकारी मज़दूर वर्गीय नज़रिया
स्त्री मज़दूर
पीसरेट पर काम करने वाली स्त्री मज़दूरों की अँधेरी ज़िन्दगी / कविता
लेखमाला
पेरिस कम्यून : पहले मज़दूर राज की सचित्र कथा (दूसरी किश्त)
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
100 करोड़ ग़रीबों के प्रतिनिधि सारे करोड़पति?
आज़ादी के फलों से कोसों दूर भारत की मेहनतकश जनता / लखविन्दर
महान मज़दूर नेता
मज़दूर वर्ग के महान नेता और शिक्षक लेनिन
कारखाना इलाक़ों से
भूख से दम तोड़ते असम के चाय बागान मज़दूर / नमिता
लेबर चौक : मज़दूरों की खुली मण्डी / रूपेश, दिल्ली
मज़दूरों की लूट के लिए मालिकों के कैसे-कैसे हथकण्डे / महेश, बादली, दिल्ली
पहले अद्धा दो फिर होगा इलाज / अजय, लुधियाना
क़ानून गया तेल लेने, यहाँ तो मालिक की मर्ज़ी ही क़ानून है! / आनन्द, बादली, दिल्ली
औद्योगिक दुर्घटनाएं
ये तो निर्माण मज़दूरों के भीतर सुलगते ग़ुस्से की एक बानगी भर है
मज़दूर बस्तियों से
मज़दूर स्त्रियों का फ़ैक्ट्री जाना मज़दूर वर्ग के लिए अच्छी बात है! / आनन्द
कला-साहित्य
कविता – लोकतन्त्र के बारे में नेता से मज़दूर की बातचीत / नकछेदी लाल
सिलेसियाई बुनकरों का गीत / हाइनरिख़ हाइने
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन