आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों का आन्दोलन जारी है!
– प्रियम्वदा
दिल्ली व केन्द्र सरकार की मिलीभगत से आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की हड़ताल पर दमनकारी हेस्मा (हरियाणा एसेंशियल सर्विसेज़ एक्ट) क़ानून थोपे जाने के बाद हड़ताल स्थगित हुई है लेकिन आन्दोलन अपने नये रूप में जारी है। हेस्मा व ग़ैर-क़ानूनी बर्ख़ास्तगी के ख़िलाफ़ जहाँ एक तरफ़ कोर्ट में लड़ाई चल रही है वहीं दूसरी तरफ़ सैकड़ों महिलाकर्मी हर दिन सड़कों पर उतरकर ‘नाक में दम करो’ अभियान चला रही हैं।
चिलचिलाती धूप और गर्मी के बावजूद महिलाएँ 16 मार्च से लगातार ही भाजपा और आम आदमी पार्टी के दफ़्तरों का घेराव कर रही हैं। महिलाकर्मी न सिर्फ़ इन चुनावबाज़ पार्टियों के कार्यालयों पर पहुँचकर इनके बहिष्कार का अभियान चला रही हैं बल्कि दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में नुक्कड़ सभाओं के ज़रिए भाजपा और आप के मज़दूर-विरोधी चरित्र का भण्डाफोड़ भी दिल्ली की जनता के सामने कर रही हैं।
‘नाक में दम करो’ अभियान के तहत महिलाओं ने महिला एवं बाल विकास विभाग का घेराव भी किया। जनवरी 2022 से रुके हुए मानदेय के भुगतान के लिए महिलाकर्मियों ने डब्ल्यूसीडी दफ़्तर पहुँचकर विभाग के अधिकारियों को बातचीत के लिए मजबूर किया। वार्ता में यूनियन के ज्ञापन को संज्ञान में लेते हुए आश्वासन दिया गया था कि एक हफ़्ते के भीतर ही मानदेय, फ़ोन का बिल, इवेण्ट के पैसे व आँगनवाड़ी केन्द्रों के किराये का भुगतान कर दिया जायेगा। आंशिक रूप से यह भुगतान विभाग द्वारा शुरू कर दिया गया है। महिलाओं के उद्धार का दावा करने वाली दिल्ली सरकार को बुनियादी स्तरों पर कार्यरत महिलाकर्मियों के मामूली मानदेय का भुगतान करने के लिए भी मजबूर करना पड़ता है।
दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन की अध्यक्षा शिवानी ने बताया कि ग़ैर-क़ानूनी टर्मिनेशन और हेस्मा के ख़िलाफ़ यूनियन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में केस दायर किया है और हड़ताल को न्यायालय के फ़ैसले तक स्थगित किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर न्यायालय इस काले क़ानून को रद्द नहीं करता है तो दिल्ली की 22000 आँगनवाड़ीकर्मी हेस्मा की परवाह किये बिना दुबारा हड़ताल पर जायेंगी। आन्दोलन अब भी जारी है, कोर्ट की लड़ाई के साथ-साथ पूरे शहर में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, दलालों का निकलना मुश्किल है।
हड़ताल के दौरान आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस की असलियत उजागर हुई
हड़ताल ने इस मुनाफ़ाख़ोर व्यवस्था की कार्यशैली और विधायिका के साथ-साथ कार्यपालिका के चरित्र को भी नंगा किया है। इस हड़ताल में यह भी साफ़ हो गया कि वोटबैंक की राजनीति के नाम पर ‘तू नंगा-तू नंगा’ का खेल खेलने वाली तमाम पार्टियाँ असल में एक ही हैं। जब मज़दूरों के दमन की बात आती है तो इनके तमाम अन्तरविरोध उड़नछू हो जाते हैं।
केन्द्र की भाजपा सरकार दिल्ली में विधायकों का मूल वेतन बढ़ाकर मिनटों में 54 हज़ार से 90 हज़ार कर सकती है (भत्ते और अन्य कमाई तो अलग है) लेकिन 2018 से आँगनवाड़ीकर्मियों के 1500 रुपये और 750 रुपये की भीखनुमा मामूली बढ़ोत्तरी को भी अब तक नहीं लागू किया है।
दिल्ली में ‘आप’ और ‘भाजपा’ की कुत्ताघसीटी का सच सबके सामने है। आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की माँगों पर घड़ियाली आँसू बहाने वाली भाजपा और कांग्रेस एक तरफ़ तो आन्दोलनरत आँगनवाड़ीकर्मियों के समर्थन की दुहाई देती रहीं वहीं दूसरी तरफ़ भाजपा हड़ताल पर थोपे काले क़ानून हेस्मा लगाये जाने में भागीदार रहीं। कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता व सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आँगनवाड़ीकर्मियों के फ़र्ज़ी टर्मिनेशन के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे केस के लिए दिल्ली सरकार की वकालत करने भेजा।
आँगनवाड़ी की स्त्री कामगारों के ‘नाक में दम करो’ अभियान को दिल्ली की मेहनतकश जनता का पूर्ण समर्थन मिल रहा है। कई जगहों पर इलाक़े के लोगों ने अभियान में शामिल होकर इन चुनावबाज़ पार्टियों के प्रति अपना रोष व्यक्त किया और आन्दोलनरत महिलाओं को अपना समर्थन दिया। बहिष्कार अभियान से घबराये भाजपा और आप के नेता-विधायकों को आँगनवाड़ियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अपने कार्यालयों-दफ़्तरों से नदारद इन चुनावी मदारियों को आँगनवाड़ी जाकर महिलाकर्मियों को ख़ुश करने के लिए उन्हें सम्मानित करने का ढोंग करना पड़ रहा है। इनके घड़ियाली आँसू को बेनक़ाब करते हुए महिलाओं ने अपना आन्दोलन जारी रखा हुआ है। आन्दोलन को एक नये मुकाम पर पहुँचाते हुए “संघर्ष पखवाड़े” की शुरुआत की गयी है।
मज़दूर बिगुल, मई 2022
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