विलय के नाम पर आँगनवाड़ी कर्मियों की छँटनी पर आमादा सरकार
महामारी से जन्मी विपदा ने देश के मेहनतकशों के सामने अस्तित्व का संकट ला खड़ा किया। आँगनवाड़ी महिलाकर्मी भी इस दौरान अपनी ज़िन्दगी दाँव पर रख काम करने को मजबूर हुईं।
दिल्ली में महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत समेकित बाल विकास परियोजना के तहत आने वाले आँगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यरत महिलाकर्मियों को सम्पूर्ण लॉकडाउन के दौरान बिना किसी सुरक्षा के इन्तज़ामों के घर-घर जाकर बच्चों को पोषाहार पहुँचाने के निर्देश दिये गये। दिल्ली सरकार द्वारा जारी यह जन-विरोधी निर्देश कई महिलाओं की बीमारी का कारण बने। जहाँ एक तरफ़ कोरोना योद्धाओं के लिए मोदी सरकार की तरफ़ से फूल बरसाये गये, ताली-थाली बजवाये गये वहीं दूसरी तरफ़ अस्पतालों में बदइन्तज़ामी और बुनियादी सुविधाओं जैसे कि मास्क और सैनिटाइज़र की कमी कइयों के मौत का कारण बने। दिल्ली में इन 22 हज़ार कोरोना योद्धाओं के लिए दिल्ली सरकार का अगला तोहफ़ा 22 मई को जारी किया गया था जिसमें आँगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यावधि बढ़ाने व केन्द्रों के विलय का फ़ैसला लिया गया। वैश्विक महामारी के इस दौर में बेगारी व छँटनी का पैग़ाम देने वाला यह आदेश कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं है। बाक़ी सेक्टरों की तरह आँगनवाड़ियों में छँटनी करने का इससे अच्छा मौक़ा सरकार को नहीं मिलता। और इसको लागू करने के लिए कई परियोजनाओं में औचक निरीक्षण कर कई महिलाओं को इस दौरान ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से काम से निकाला गया है। दिल्ली की हज़ारों आँगनवाड़ी महिलाकर्मी कर्मचारी का दर्जा व श्रम क़ानूनों के अन्तर्गत लाये जाने जैसी माँगें पिछले लम्बे समय से कर रही हैं। इन तमाम माँगों पर सरकार ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया और अब महिला एवं बाल विकास विभाग आँगनवाड़ियों के काम के घण्टे बढ़ाकर महिलाओं से बेगारी करवाना चाहता है।
दूसरा हमें आँगनवाड़ी केन्द्रों के विलय को समझना होगा। इसके तहत तीन या चार आँगनवाड़ी की जगह एक बड़ी आँगनवाड़ी खोली जायेगी। मान लीजिए, अगर तीन केन्द्रों को एक में मिलाया जाता है तो इसका मतलब होगा कि हर तीन में से दो सेण्टर बन्द कर दिये जायेंगे। इसका सीधा नुक़सान सबसे पहले तो उन हज़़ारों बच्चों को होगा जो अपने घरों से दूर स्थित इन नये केन्द्रों तक नहीं पहुँच सकेंगे। इसका दूसरा बड़ा नुक़सान उन आँगनवाड़ी कर्मियों को होगा जिनके केन्द्रों का विलय किया जायेगा और उनकी छँटनी कर दी जायेगी। सीधी-सी बात है कि यदि सेण्टर 11,000 की बजाय 3,666 रह जायेंगे तो आँगनवाड़ी कर्मी भी 22,000 से घटाकर 7,333 ही रह जायेंगी। दिल्ली में फ़िलहाल जहाँ नये सेण्टर खोलकर ज़्यादा बच्चों तक पहुँचने की आवश्यकता है वहीं विभाग अपने निर्देश से बड़े पैमाने पर आँगनवाड़ी सेवा को ख़त्म करने पर आमादा है।
मज़दूर बिगुल, दिसम्बर 2020
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