ट्रम्प की भारत यात्रा : “गुजरात मॉडल” की सच्चाई दीवारों के पीछे छिपाये न छिपेगी
– लालचन्द्र
पिछली 24-25 फ़रवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान अहमदाबाद में ट्रम्प के रोड शो का आयोजन किया गया। चूँकि इस रोड शो के रास्ते के कुछ हिस्से में ग़रीबों की झोंपड़पट्टियाँ भी आ रही थीं, इसलिए फटाफट 500 मीटर लम्बी दीवार खड़ कर दी गयी ताकि ट्रम्प को “न्यू इण्डिया” का ही दर्शन हो पाये और असली भारत दीवार के पीछे छिप जाये। दीवार के बारे में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर अहमदाबाद नगर निगम की मेयर बीजल पटेल ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी दीवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जिस जगह दीवार बनायी गयी थी, वह सरनियावास कहलाता है जहाँ 500 परिवारों के ढाई हज़ार लोग रहते हैं। अहमदाबाद नगर निगम ने एक काम और किया कि उसने मोटेरा क्रिकेट सटेडियम के समीप रह रहे 45 ग़रीब परिवारों को हटाने का नोटिस दे दिया। यह है मोदी-भाजपा-संघ के “न्यू इण्डिया” की असलियत! मन की बात में मोदी कहते हैं कि वे नये भारत में अब पुरानी सोच से चलने को तैयार नहीं हैं, यानी ग़रीबी हटाने की सोच पुरानी हो गयी है, अब न्यू इण्डिया की नयी सोच है, ‘दीवार उठाओ ग़रीबी छिपाओ।’
ग़ौरतलब है कि दो घण्टे के इस रोड शो में 120 करोड़ रुपये ख़र्च हुए। लोगों ने यह सही सवाल उठाया कि दीवार के पीछे झोपड़पट्टी छिपाने की बजाय क्या यह बेहतर नहीं होता कि इतने पैसे से उस झोपड़पट्टी में लोगों के पक्के मकान बनवा दिये जाते। लेकिन भारत सरकार ने दीवार पर पैसे फूँककर भारत की 80 फ़ीसदी ग़रीब जनता के साथ अश्लील मज़ाक़ जारी रखा। ट्रम्प परिवार व भारी-भरकम प्रतिनिधि मण्डल अहमदाबाद से आगरा होते हुए दिल्ली गया। इस यात्रा में कितना ख़र्च आया होगा, इसका अन्दाज़ा आप ख़ुद ही लगा सकते हैं। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम की क्षमता 1 लाख लोगों की है, लेकिन यात्रा से पहले ट्रम्प ने झूठ बोलने में मोदी को पीछे छोड़ते हुए यह कहा कि वे 70 लाख भारतीयों को सम्बोधित करेंगे।
एक बात और छिपायी जा रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की इस आधिकारिक यात्रा के दौरान अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रम्प’ नामक कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार ने नहीं बल्कि ‘डोनाल्ड ट्रम्प नागरिक अभिनन्दन समिति’ नामक एक निजी संस्था ने किया था। यह अपने आपमें एक रहस्य है कि इस आयोजन के लिए पैसा कहाँ से आया। ग़ौर करने वाली बात यह है कि पिछले साल मोदी ने अमेरिका में ‘हाउडी मोदी’ नामक कार्यक्रम में भाग लिया था जिसमें उन्होंने बेशर्मी की हदें तोड़ते हुए ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ कहा और अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों से ट्रम्प का समर्थन करने की अपील की। ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम उसी के जवाब में आयोजित किया गया था। यह दोनों देशों की दक्षिणपन्थी ताक़तों के बीच के बढ़ते भाईचारे को भी दिखाता है।
ट्रम्प की यात्रा को लेकर भारतीय मीडिया ऐसी चिल्ल-पों मचा रहा था मानो इस यात्रा से भारत के वारे-न्यारे होने वाले हैं। लेकिन ट्रम्प ने यह कहकर कि व्यापक ट्रेड डील की सम्भावना कम ही है, भारत सरकार की किरकिरी करवा दी। ग़ौरतलब है कि ट्रम्प सरकार ने भारतीयों के लिए एच-1बी वीज़ा नियम काफ़ी कड़े कर दिये हैं। ट्रम्प ने भारत सरकार से यह भी शिकायत की कि उसके द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर ज़्यादा आयात कर लगाया जाता है। तब सवाल उठता है कि इस भारी तामझाम बेहिसाब ख़र्च के बाद भारत की जनता को क्या हासिल हुआ। दिल्ली में हुई द्विपक्षीय वार्ता में घरेलू सुरक्षा, बौद्धित सम्पदा क़ानून, सिविल न्यूक्लियर डील के तहत रिएक्टर समझौते के कयास लगाये जा रहे थे, परन्तु अन्तत: कयास के गुब्बारे फूट गये क्योंकि ट्रम्प की यात्रा के दौरान कोई बड़ा क़रार नहीं हुआ।
वैसे देखा जाये तो दीवार उठाकर सच्चाई छिपाने में भाजपा माहिर है। मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए पूरे देश में हिन्दू और मुसलमानों के बीच, सवर्णो और दलितों के बीच अदृश्य दीवारें खड़ी कर रही है ताकि लोगों को सच्चाई न दिखे। नोटबन्दी और जीएसटी जैसे जो भी बड़े फ़ैसले लिये गये वे ज़्यादातर जनता की आशाओं पर पानी फेरने वाले साबित हुए। चरम स्तर पर बेरोज़गारी, महँगाई, दंगे-अपराध बने हुए हैं। ट्रम्प की यात्रा के दौरान दिल्ली में दंगे जारी थे, हालाँकि ट्रम्प ने मोदी की लाज रखते हुए दंगों पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन अन्तरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता सम्बन्धी मुद्दों पर बने एक अमेरिकी आयोग (यू.एस.सी.आई.आर.एफ़.) ने दिल्ली में हुई हिंसा पर चिन्ता जताते हुए कहा कि भारत को सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए फ़ौरन क़दम उठाना चाहिए। लेकिन जब दिल्ली धूँ-धूँ करके जल रही थी तो मोदी पलक पाँवड़े बिछाकर ट्रम्प का स्वागत करने और डिनर पार्टी में मशगूल थे। इस प्रकार उन्होंने नीरो का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया।
मज़दूर बिगुल, मार्च 2020
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