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(मज़दूर बिगुल के फरवरी 2019 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
मोदी सरकार का अन्तिम बजट – जुमलों की भरमार में मेहनतकशों के साथ ठगी का दस्तावेज़ / मुकेश असीम
केन्द्रीय बजट में महिला एवं बाल विकास के मद में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी का सच / वृषाली
असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए पेंशन योजना की असलियत / शाम मूर्ति
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
विशेष लेख / रिपोर्ट
संगठित होकर ही बदल सकती है घरेलू मज़दूरों की बुरी हालत / रणबीर
समाज
बाल कुपोषण के भयावह आँकड़े व सरकारों की अपराधी उदासीनता / डॉ. पावेल पराशर
शिक्षा और रोजगार
बेरोज़गारी की विकराल स्थिति और सरकारी जुमलेबाज़ियाँ व झूठ
सरकारी स्कूलों को सोचे-समझे तरीक़े से ख़त्म करने की साजि़श / प्रवीन
13 पॉइण्ट रोस्टर सिस्टम और शिक्षा एवं रोज़गार के लिए संघर्ष की दिशा का सवाल / इन्द्रजीत
लेखमाला
कारखाना इलाक़ों से
लखनऊ मेट्रो की जगमग के पीछे मज़दूरों की अँधेरी ज़िन्दगी / रूपा/अनुपम
औद्योगिक दुर्घटनाएं
चित्रकूट पहाड़ियों की खदानें बन रही हैं मज़दूरों की क़ब्रगाह / महाप्रसाद
कम्पनी की लापरवाही से मज़दूर की मौत, सीटू नेताओं ने यहाँ भी की दलाली / बिगुल संवाददाता, लुधियाना
कला-साहित्य
देश काग़ज़ पर बना नक्शा नहीं होता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
आपस की बात
पाठकों के पत्र / अंशी शाही, लुधियाना
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन