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(मज़दूर बिगुल के मार्च 2012 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
श्रम कानून
संघर्षरत जनता
डीएमकेयू ने क़ानूनी संघर्ष में एक क़दम आगे बढ़ाया।
करावलनगर में इलाक़ाई मज़दूर यूनियन की पहली सफल हड़ताल
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
मारुति के मज़दूर आन्दोलन से उठे सवाल / सत्यम
बरगदवा, गोरखपुर का मज़दूर आन्दोलन कुछ ज़रूरी सबक़, कुछ कठिन चुनौतियाँ
महान शिक्षकों की कलम से
राजनीतिक उद्वेलन और प्रचार कार्य का महत्व / लेनिन
विरासत
मज़दूरों के नाम भगतसिंह का पैग़ाम!
विकल्प का खाका
महज़ पूँजीवाद-विरोध पर्याप्त नहीं है! हमें पूँजीवाद का विकल्प पेश करना होगा! / अभिनव
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
जनता के पास चुनने के लिए कुछ भी नहीं है! सिवाय इंक़लाब के!
स्वास्थ्य
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाला / लखविन्दर
लेखमाला
पेरिस कम्यून : पहले मज़दूर राज की सचित्र कथा (प्रथम किश्त)
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
आज की दुनिया में स्त्रियों की हालत को बयान करते आँकड़े
महान मज़दूर नेता
मज़दूर वर्ग और समाजवाद को समर्पित एक सच्चा बुद्धिजीवी: जॉर्ज थॉमसन / शिवानी
कला-साहित्य
चार्टिस्टों का गीत / टॉमस कूपर
अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस (8 मार्च) पर दो कविताएँ
मज़दूरों की कलम से
मालिक की मिठास के आगे ज़हर भी फेल / आनन्द, बादली, दिल्ली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन