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(मज़दूर बिगुल के मई 2018 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
श्रम कानून
नेशनल पेंशन स्कीम – कर्मचारियों के हक़ों पर डकैती डालने की नयी स्कीम / प्रसेन
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
हरियाणा में धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों की उड़ रही धज्जियाँ
संघर्षरत जनता
हरियाणा के नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषदों के कर्मचारी हड़ताल पर
उत्तर प्रदेश में शिक्षा और रोज़गार की बदहाली के विरुद्ध तीन जनसंगठनों का राज्यव्यापी अभियान
आईएमटी रोहतक की आइसिन कम्पनी के मज़दूरों के संघर्ष की रिपोर्ट
महान शिक्षकों की कलम से
लेनिन – मार्क्सवाद और सुधारवाद
पूँजीवादी जनतन्त्र के बारे में कार्ल मार्क्स के विचार / अमिताभ बच्चन (कवि) द्वारा प्रस्तुत
बुर्जुआ जनवाद – चुनावी नौटंकी
कर्नाटक चुनाव और इक्कीसवीं सदी के फासीवाद की अश्लील राजनीति के मुज़ाहरे
साम्राज्यवाद / युद्ध / अन्धराष्ट्रवाद
पर्यावरण / विज्ञान
इतिहास
माओवादी चीन में रोज़मर्रा का जीवन (इब्ने-इंशा के सफ़रनामे ‘चलते हों तो चीन को चलिए’ पर आधारित)
औद्योगिक दुर्घटनाएं
गतिविधि रिपोर्ट
अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर पूँजीवादी शोषण के खि़लाफ़ संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया
चार क्रान्तिकारी संगठनों ने अमर शहीद सुखदेव का जन्मदिन मनाया
कला-साहित्य
गीत – क्या मैं अब भी कसूरवार नहीं हूँ? / बेर्निस जॉनसन रीगन
मज़दूरों की कलम से
गीत : जागो दुनिया के मज़दूर! / बब्बन भक्त
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन