लेनिन की कविता की कुछ पक्तियाँ
यह कविता लेनिन ने 1905-7 की रूसी क्रान्ति की विफलता के बाद लिखी थी। लेनिन की यह सम्भवत: एकमात्र कविता हमारे समय की कविता की वसीयत हो सकती है। आने वाले समय के नाम, भावी पीढि़यों के नाम:
”पैरों से रौंदे गये आज़ादी के फूल
आज नष्ट हो गये हैं
अँधेरे की दुनिया के स्वामी
रोशनी की दुनिया का खौफ़ देख ख़ुश हैं
मगर उस फूल के फल ने पनाह ली है
जन्म देने वाली मिट्टी में
माँ के पेट में, आँखों से ओझल गहरे रहस्य में
विचित्र उस कण ने अपने को जिला रखा है
मिट्टी उसे ताक़त देगी, मिट्टी उसे गर्मी देगी
उगेगा वह एक नये जन्म में
एक नयी आज़ादी के बीच वह लायेगा
फाड़ डालेगा बर्फ़ की चादर वह विशाल वृक्ष
अपने लाल पत्तों को फैला कर वह उठेगा
दुनिया को रौशन करेगा
सारी दुनिया को, जनता को
अपनी छाँह में इकट्ठा करेगा।”
मज़दूर बिगुल, मार्च 2018