स्मृति में प्रेरणा, विचारों में दिशा : तीसरे इण्टरनेशनल, मास्को के अध्यक्ष को तार
24 जनवरी, 1930 को मुक़दमे की पेशी पर लाहौर षड्यन्त्र केस के विचाराधीन क़ैदी लेनिन की स्मृति में (21 जनवरी, 1924 को लेनिन की मृत्यु हुई थी) अपने गले में लाल रूमाल बाँधकर अदालत में आये। वे काकोरी–गीत गा रहे थे। मजिस्ट्रेट के आने पर उन्होंने ‘समाजवादी क्रान्ति – ज़िन्दाबाद’ और ‘साम्राज्यवाद – मुर्दाबाद’ के नारे लगाये। फिर भगतसिंह ने निम्नलिखित तार तीसरी इण्टरनेशनल, मास्को के अध्यक्ष के नाम प्रेषित करने के लिए मजिस्ट्रेट को दिया –
“लेनिन-दिवस के अवसर पर हम सोवियत रूस में हो रहे महान अनुभव और साथी लेनिन की सफलता को आगे बढ़ाने के लिए अपनी दिली मुबारक़बाद भेजते हैं। हम अपने को विश्व-क्रान्तिकारी आन्दोलन से जोड़ना चाहते हैं। मज़दूर-राज की जीत हो। सरमायादारी का नाश हो।
साम्राज्यवाद – मुर्दाबाद!!”
विचाराधीन क़ैदी,
24 जनवरी, 1930 लाहौर षड्यन्त्र केस
(ट्रिब्यून, लाहौर 26 जनवरी, 1930 में प्रकाशित)
मज़दूर बिगुल, मार्च 2018
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन