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(मज़दूर बिगुल के मार्च 2017 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ने के आँकड़े : जुमला सरकार का एक और झूठ
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
फासीवादियों का प्रचार तन्त्र / सनी
अमरीका, यूरोप और पूरी दुनिया में पैदा हुए नस्लीय, फासीवादी उभार का कारण / मुनीश मैन्दोला
संघर्षरत जनता
ओमैक्स के बहादुर मज़दूरों का संघर्ष जारी है!
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
विरासत
देश के मज़दूरों की दशा – गणेशशंकर विद्यार्थी
विकल्प का खाका
आगामी दिल्ली नगर निगम चुनाव में कम बुरा विकल्प नहीं, सच्चे क्रान्तिकारी विकल्प को चुनो!
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
आधार : लूटतन्त्र की रक्षा के लिए जनता पर निगरानी और नियन्त्रण का औज़ार / मुकेश त्यागी
मारुति मज़दूरों के केस का फ़ैसला : पूँजीवादी व्यवस्था की न्याय व्यवस्था का बेपर्द नंगा चेहरा
स्वास्थ्य
बन्द होती सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कम्पनियाँ : सरकार की मजबूरी या साजिश? / डॉ. नवमीत
महान जननायक
सोफ़ी शोल : फासीवाद के विरुद्ध लड़ने वाली एक बहादुर लड़की की गाथा / मुकेश त्यागी
गतिविधि रिपोर्ट
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस के अवसर पर कार्यक्रम
मज़दूरों की कलम से
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन