Table of Contents
एक पढ़ सकने वाले कामगार के सवाल
बर्तोल्त ब्रेख्त
किसने बनाया सात द्वारों वाला थीब?
किताबों में लिखे हैं सम्राटों के नाम।
क्या सम्राट पत्थर ढो-ढोकर लाये?
और बार-बार विनष्ट बैबीलोन
किसने उसे हर बार फिर से बनाया?
किन घरों में रहते थे सोना जैसे चमकते लीमा के मजूरे?
कहां बिताई शाम, जब चीन की दीवार बनकर ख़त्म हुई, उसके राजगीरों ने?
महान रोम भरा पड़ा है विजय तोरणों से।
किसने उन्हें खड़ा किया?
किस पर हासिल की सीजरों ने जीत?
चारणगीत समृद्ध बैंजटियम में क्या महल ही महल थे वहां रहनेवालों के लिए?
दन्तकथा के अटलाण्टिस में भी
उस राज, जब समन्दर उसे निगल गया, चीखे होंगे डूबनेवाले अपने गुलामों की खातिर।
नौजवान सिकन्दर ने भारत जीता।
अकेले उसने?
सीज़र ने गालों को मात दी।
क्या उसके साथ एक रसोइया तक न था?
स्पेन का फिलिप रोता रहा, जब उसका बेड़ा तहस-नहस हो गया।
और कोई नहीं रोया?
सातसाला जंग में फ्रेडरिख द्वितीय की जीत हुई।
जीता कौन उसके अलावा?
हर पन्ने पर एक जीत।
किसने पकाए जीत के भोज?
हर दस साल पर एक महान पुरूष।
किसने चुकाए उनके हिसाब?
इतनी सारी रपटें
इतने सारे सवाल।
Questions From a Worker Who Reads
Bertolt Brecht
Who built Thebes of the 7 gates ?
In the books you will read the names of kings.
Did the kings haul up the lumps of rock ?
And Babylon, many times demolished,
Who raised it up so many times ?
In what houses of gold glittering Lima did its builders live ?
Where, the evening that the Great Wall of China was finished, did the masons go?
Great Rome is full of triumphal arches.
Who erected them ?
Over whom did the Caesars triumph ?
Had Byzantium, much praised in song, only palaces for its inhabitants ?
Even in fabled Atlantis, the night that the ocean engulfed it,
The drowning still cried out for their slaves.
The young Alexander conquered India.
Was he alone ?
Caesar defeated the Gauls.
Did he not even have a cook with him ?
Philip of Spain wept when his armada went down.
Was he the only one to weep ?
Frederick the 2nd won the 7 Years War.
Who else won it ?
Every page a victory.
Who cooked the feast for the victors ?
Every 10 years a great man.
Who paid the bill ?
So many reports.
So many questions.
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन