नोटबन्दी के विरोध में बिगुल मज़दूर दस्ता और जनसंगठनों का भण्डाफोड़ अभियान
बिगुल संवाददाता
मोदी सरकार की नोटबन्दी का सख्त विरोध करते हुए बिगुल मज़दूर दस्ता, नौजवान भारत सभा, जागरूक नागरिक मंच, स्त्री मज़दूर संगठन और अन्य जनसंगठन देश के विभिन्न इलाक़ों में प्रचार अभियान चलाकर लोगों को इस घोर जनविरोधी फ़ैसले की असलियत से वाकिफ़ करा रहे हैं।
लुधियाना
लुधियाना में बिगुल मज़दूर दस्ता, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन ने सरकार के इस घोर जनविरोधी कदम के खिलाफ़ प्रचार अभियान चलाया। इस दौरान बड़ी संख्या में पर्चे वितरित किये गये। घर-घर प्रचार किया गया। विभिन्न इलाकों में नुक्कड़ सभाएँ की गई। पैदल मार्च भी आयोजित किया गया। 27 नवम्बर को मज़दूर लाइब्रेरी, ताजपुर रोड, लुधियाना में इस मुद्दे पर विचार चर्चा का आयोजन किया गया। इन संगठनों का कहना है कि मोदी सरकार ने नोटबन्दी भले ही काले धन के खात्मे के बहाने की है लेकिन इसके साथ न तो काला धन खत्म होगा और ना ही सरकार का इस तरह का कोई इरादा है। सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का भ्रम पैदा करके जनता की आँखों में धूल झोंकना चाहती है।
पहले ही लुधियाना में चिकनगुनिया, डेंगू और वायरल जैसी बीमारियों के कारण ग़रीब आबादी बहुत ज़्यादा परेशान थी। इसी दौरान नोटबन्दी ने उसकी मुसीबतें कई गुना बढ़ा दीं। जनता के पास दो वक्त की रोटी, दवाई-इलाज जैसी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी पैसा नहीं है। कारोबार ठप्प होने की वजह से बड़ी संख्या में मज़दूर बेरोज़गार-अर्ध बेरोज़गार हो गए हैं। छोटे- मोटे काम धन्धे करने वालों की भी बेहद बुरी हालत हो गई है। बैंकों और ए.टी.एम मशीनों के आगे कई-कई दिन कतारों में खड़े होने के बाद भी पैसा नहीं मिल रहा। कोई कालेधन वाला इन कतारों में नज़र नहीं आया। वे तरह-तरह के तरीकों से कालाधन सफैद करने में कामयाब हो रहे हैं।
जिसे सरकार काला धन कह रही है वह तो कुल काले धन एक छोटा सा हिस्सा है। पूँजीपति वर्ग के पास पड़ी सारी दौलत ही असल में काला धन है। सरकार के मुताबिक अगर कुछ टैक्स दे दिया जाये तो लूट का माल (वास्तविक तौर पर काला धन) सफेद बन जाता है। इसलिए संगठनों का मानना है कि मोदी सरकार काले धन के खिलाफ एक नकली लड़ाई लड़ रही है। इस प्रचार अभियान के शुरू में ऐसे आम लोगों की ठीक-ठाक संख्या थी जो नोटबन्दी को मोदी सरकार के काले धन के खिलाफ लड़ाई मानते हुए समर्थन कर रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गये जनता के सामने मोदी सरकार की नौटंकी का पर्दाफाश होता गया। अब कोई इक्का-दुक्का लोग ही नोटबन्दी का समर्थन करते मिलते हैं। जनवादी-क्रान्तिकारी ताकतों द्वारा नोटबन्दी के खिलाफ भण्डाफोड़ के चलते और अपने अनुभव से लोग यह हकीकत समझने लगे हैं कि मोदी की “सर्जिकल स्ट्राईक” असल में जोंकों पर नहीं बल्कि लोगों पर है।
नोटबन्दी के खिलाफ रोषपूर्ण प्रदर्शन
28 नवम्बर को बिगुल मज़दूर दस्ता, नौजवान भारत सभा, इंकलाबी केन्द्र पंजाब, जमहूरी अधिकार सभा, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन, अजाद हिन्द निर्माण मज़दूर यूनियन द्वारा लुधियाना में रोषपूर्ण प्रदर्शन किया गया। शहीद करतार सिंह सराभा पार्क में रैली की गई और इसके बाद भारत नगर चौक तक पैदल मार्च किया गया।
वक्ताओं ने कहा कि काले धन के खात्मे के नाम पर नोटबन्दी मोदी सरकार का महानौटंकी है। न तो काले धन का खात्मा मोदी सरकार का मकसद ही है और न ही नोटबन्दी से कालाधन खत्म हो सकता है।
प्रदर्शन को बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से राजविन्दर, इंकलाबी केन्द्र पंजाब की ओर से कंवलजीत खन्ना, नौजवान भारत सभा की ओर से ऋषि, जमहूरी अधिकार सभा की ओर से ए.के. मलेरी, आज़ाद हिन्द निर्माण मज़दूर यूनियन की ओर से हरी साहनी, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन की ओर से विजय नारायण आदि ने संबोधित किया।
दिल्ली
दिल्ली के वज़ीरपुर में नौजवान भारत सभा द्वारा नोटबंदी के विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया जिसमे इलाके के युवा नौजवानों ने हिस्सेदारी की। नोटबंदी के बाद आम जनता की ज़िन्दगी पर हो रहे असर और पहले से ही कम रोज़गार के अवसरों के और कम हो जाने के कारण परेशानियां झेल रही मेहनतकश आबादी के सामने अपने जीवनयापन की जद्दोजेहद से जुडी समस्याओं के बारे में बातचीत की गयी। नौजवान भारत सभा द्वारा करावल नगर, दिल्ली में एक विचार-विमर्श चक्र रखा गया; जिसका विषय था–नोटबंदी, काला धन और सोचने के लिए कुछ सवाल। इस विमर्श में इलाके के छात्र-छात्राएं, नागरिक और मज़दूर शामिल हुए। वज़ीरपुर, करावलगनर, खजूरी आदि इलाकों में नोटबन्दी के विरोध में लगातार अभियान चलाकर पर्चे बाँटे जा रहे हैं।
पटना
पटना के गोसाई टोला इलाके में नौजवान भारत सभा द्वारा मोदी सरकार की नोटबंदी की नौटंकी की असलियत पर लोगों के बीच सभा की गयी व पर्चे बांटे गए| लोगों को बताया गया कि कैसे मोदी सरकार हर मोर्चे पर फैल होने के बाद अब नोटबन्दी के माध्यम से काले धन पर चोट करने की नौटंकी कर रही है| अंत में लोगों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ़ विरोध दर्ज कराते हुए मोदी का पुतला दहन किया |
सिरसा
नौजवान भारत सभा (जिला-सिरसा, हरियाणा) द्वारा पिछले एक महीने से नोटबंदी के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है, इस अभियान के तहत रानियाँ, नकोड़ा, हरिपुरा, कुस्सर, दमदमा, भड़ोलियांवाली, केहरवाला, संतनगर आदि गाँवों व शहरों में नारे लगाते हुए मार्च किया गया, घर-घर जाकर परचा बाँटा गया, बैंकों के सामने यहाँ लोग आधी-आधी रात से खड़े हुए थे वहाँ परचा बांटा गया व सभाएँ की गई, स्कूलों में जाकर परचा बाँटा गया। इस अभियान के तहत हुई सभाओं में नौभास के साथियों ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, सेहत व शिक्षा जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने और अपनी नाकामी छुपाने के लिए कोई न कोई जुमला छोड़ती रहती है। कभी लव-जिहाद, गौ-रक्षा, सर्जिकल-स्ट्राइक और अब नोटबंदी! हमारी सभी समस्याओं व भ्रष्टाचार का हल नोटबंदी से नहीं बल्कि शोषण व अन्याय पर टिके इस प्रबंध को बदलकर ही हो सकता है। इस अभियान के तहत नौजवान भारत सभा द्वारा इसके मुकाबले के लिए जन-एकता कायम करते हुए लोगों को संगठित होने का आह्वान किया गया।
लखनऊ
‘नोटबन्दी की पोल खोल – कॉरपोरेट परस्त फ़ासिस्ट मोदी सरकार पे हल्ला बोल’ अभियान के तहत नौजवान भारत सभा द्वारा लखनऊ शहर के अलग-अलग इलाकों में प्रचार अभियान चलाया गया। अभियान टोली ने शहर के अनेक मुहल्लों, चौराहों और बाज़ारों में लोगों के बीच छोटी-छोटी सभाएँ करते हुए हज़ारों की संख्या में पर्चे बाँटे। नमो ऐप के फ़र्ज़ी सर्वे के बरक्स उन्होंने जगह-जगह लोगों से सीधे उनकी राय पूछी और हर जगह आम लोगों ने मोदी सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। सभी जगह लोगों ने खुलकर कहा कि जिन अमीरों के पास काला धन है उन पर कोई मार नहीं पड़ रही है, या वे अपना पैसा बचाने का कोई इंतज़ाम कर ही ले रहे हैं लेकिन ग़रीब लोग बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिए भी मोहताज हो गये हैं।
मुम्बई
मानखुर्द, शिवाजीनगर मुंबई का वो इलाका है जहां ज्यादातर मज़दूर आबादी रहती है। ठेका, दिहाड़ी मज़दूर हो या छोटी-मोटी रेहड़ी पटरी लगाकर अपना पेट पालने वाली निम्नमध्यमवर्गीय आबादी, सबका काम इस नोटबन्दी के बाद से या तो बन्द है या बुरी तरह प्रभावित है। इलाज के अभाव में इलाके में दो बच्चों की मौत भी हो चुकी है। मज़दूरों को या तो काम नहीं मिल पा रहा है या फिर उनके मालिक पूराने 500 के नोटों में भुगतान कर रहे हैं। अगर मज़दूर दूसरे दिन उसे बदलवाने के लिए लाइन में लगेगा तो उसकी पूरी दिहाड़ी चली जायेगी। कमीशन पर नोट बदलने का धंधा भी अब जोरों पर है। 500 का नोट 400 में बदला जा रहा है। इसकी भी सबसे भयंकर मार मज़दूरों पर ही पड़ रही है। बहुत सारे लोगों के घर में एक ही समय खाना बन पा रहा है।
इसी को लेकर नौजवान भारत सभा व बिगुल मजदूर दस्ता, महाराष्ट्र ने पिछले कई दिनों से इलाके में लगातार नुक्कड़ सभाएँ की व इस नोटबन्दी के पीछे की असलियत को उजागर करने वाले पर्चों का वितरण किया। पूरे इलाके में मार्च निकाला गया। जगह जगह सभाएँ करते हुए इलाके के विधायक के दफ्तर के बाहर नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन किया गया व साथ ही मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी विधायक को सौंपा गया। साथ ही विधायक से माँग की गयी कि जब तक मोदी सरकार कुछ कदम नहीं उठाती तब तक विधायक को अपने स्तर पर लोगों की तकलीफ दूर करनी चाहिए। उन्हें वहां मेडिकल वैन लगानी चाहिए ताकि इलाज के अभाव में किसी की मौत ना हो। विधायक ने इस मांग को माना व मेडिकल वैन लगाना शुरू करने का वायदा किया है।
नौभास के नारायण ने बात रखते हुए कहा कि ये सिर्फ एक तात्कालिक राहत है। हमें इस नोटबंदी के जनविरोधी निर्णय के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को संगठित करना होगा ताकि पूरे देश में मेहनतकशों पर टूट रहे कहर को रोका जा सके।
अहमदनगर
अहमदनगर, महाराष्ट्र में नोटबन्दी के विरुद्ध कई इलाकों में अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान मोदी सरकार की बड़े पूँजीपतियों के पक्ष की नीतियों का पर्दाफाश किया गया व पर्चे के माध्यम से बताया गया कि कैसे मोदी सरकार हर मोर्चे पर फैल होने के बाद अब नोटबन्दी के माध्यम से काले धन पर चोट करने की नौटंकी कर रही है। हकीकत ये है कि असली काला धन रखने वालों के विरूद्ध सरकार ना तो जांच कर रही है और ना कोई कार्रवाई। जनता से गद्दारी करते हुए बड़े बड़े उद्योगपतियों के पुराने कर्जे माफ किये जा रहे हैं व नये कर्जे मंजूर किये जा रहे हैं। ऐसे में आम जनता को इस नोटबन्दी की नौटंकी की असलियत समझनी होगी।
पूर्वी उत्तर प्रदेश
नोटबन्दी की नौटंकी के ख़िलाफ़ चलाये जा रहे प्रचार अभियान के तहत गोरखपुर शहर में साईकिल मार्च निकाला गया। इलाहाबाद, मऊ, अम्बेडकरनगर के विभिन्न इलाकों में पैदल व साइकिल मार्च निकालते हुए सभाएँ की गयीं और पर्चे बाँटे गये। इलाहाबाद में नोटबन्दी के सवाल पर परिचर्चा आयोजित की गयी जिसमें छात्र-छात्राओं के बीच इस मुद्दे पर मौजूद विभिन्न सवालों पर विस्तार से बातचीत की गयी।
ग़ाज़ियाबाद
नोटबन्दी की नौटंकी के ख़िलाफ़ गाजि़याबाद के विजयनगर क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में प्रचार अभियान चलाया गया एवं पर्चा वितरण किया गया। नागरिकों ने नौजवानों के इस प्रयास की तारीफ की और कहा कि कम से कम कोई तो नोटबंदी के फैसले से आम जनता की तकलीफो के बारे में बता रहा है, नहीं तो सारी पार्टियां और ज्यादातर मीडिया मोदी के सुर में सुर मिला रही हैं। यह भी देखने में आया कि जनता के निम्न मध्य वर्ग का काफी बड़ा हिस्सा संघी फासिस्टों द्वारा फैलायी गई अफवाहों और सरकार के भ्रामक प्रचार के प्रभाव में है। लोगों के सवालों पर प्रचार टोली ने उन्हें तर्कों और आँकड़ों सहित असलियत समझायी।
मज़दूर बिगुल, दिसम्बर 2016
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन