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(मज़दूर बिगुल के मार्च-अप्रैल 2014 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
केजरीवाल की आर्थिक नीति: जनता के नेता की बौद्धिक कंगाली या जोंकों के सेवक की चालाकी
संघर्षरत जनता
कम्बोडिया में मज़दूर संघर्षों का तेज़ होता सिलसिला
महान शिक्षकों की कलम से
जनवादी जनतन्त्र: पूँजीवाद के लिए सबसे अच्छा राजनीतिक खोल / लेनिन
विरासत
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
मज़दूर संगठनकर्ता राजविन्दर को लुधियाना अदालत ने एक फर्जी मामले में दो साल क़ैद की सज़ा सुनायी
ओरियण्ट क्राफ़्ट में फिर मज़दूर की मौत और पुलिस दमन
महान जननायक
कॉ. शालिनी की पहली बरसी पर क्रान्तिकारी श्रद्धांजलि
औद्योगिक दुर्घटनाएं
मालिकों के मुनाफ़े की हवस में अपाहिज हो रहे हैं मज़दूर
गतिविधि रिपोर्ट
करावल नगर मज़दूर यूनियन ने दो दिवसीय मेडिकल कैम्प अयोजित किया।
कला-साहित्य
कविता – मेरा अब हक़ बनता है / पाश
कविता – लोकतन्त्र के बारे में नेता से मज़दूर की बातचीत / नकछेदी लाल
मज़दूरों की कलम से
सी.सी.टीवी से मज़दूरों पर निगरानी / प्रेमकुमार, नरेला औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली
किस आम आदमी की दुहाई दे रही हैं राजनीतिक पार्टियाँ! / भारत, दिल्ली
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन