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(मज़दूर बिगुल के मार्च 2013 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
स्वास्थ्य
इलाज के नाम पर लोगों की जान से खेल रही हैं दवा कम्पनियाँ / मनन विज
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
लेखमाला
इतिहास
पेरिस कम्यून की वर्षगाँठ (18 मार्च) के अवसर पर
महान जननायक
शहीद दिवस (23 मार्च) पर भगतसिंह व उनके साथियों के विचारों और सपनों को याद करते हुए!
कारखाना इलाक़ों से
समयपुर, लिबासपुर का लेबर चौक / रामाधार, बादली
एक मेहनतकश औरत की कहानी… / शिवानन्द, गुड़गांव
पूँजी की ताकत के आगे हड़ताल के लिए जरूरी है वर्ग एकजुटता!
8 मार्च अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘‘मजदूर अधिकार रैली’’
मज़दूर बस्तियों से
भारत की ‘सिलिकन घाटी’ की चमक-दमक की ख़ातिर उजड़ा मेहनतकशों का आशियाना
कला-साहित्य
अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस (8 मार्च) पर एक कविता
मक्सिम गोर्की के जन्मदिवस (28 मार्च) पर – एक साहित्यिक परिचय / राजकुमार
मज़दूरों की कलम से
देशव्यापी हड़ताल किसके लिए? / आनन्द, गुड़गांव
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन