हरियाणा के चौशाला गाँव में अवैध खुर्दें (अवैध शराबी ठेका) बन्द करने के लिए प्रदर्शन
बिगुल संवाददाता, हरियाणा
चौशाला गाँव (कैथल जि़ला) में लम्बे समय से चल रहे शराब के खुर्दों पर पाबन्दी लगाने के लिए कलायत एसडीएम कार्यालय का घेराव किया। नौजवान भारत सभा व नशा विरोधी कमेटी के बैनर तले महिलाओं, युवाओं ने कैंची चैक से नशा परोसने वालों के खि़लाफ़ तख्ती और बैनर के साथ रोष प्रदर्शन की शुरुआत की। एसडीएम कार्यालय पर घेराव में अवैध खुर्दें से परेशान जनता ने जि़ला पुलिस प्रशासन के खि़लाफ़ नारेबाजी की और एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपा। नौजवान भारत सभा के प्रवीन ने बताया कि आज हम देखें तो हर गाँव में किसी-न-किसी रूप में नशे के कारोबार को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। ग़रीब जनता और नौजवानों की निराशा का फ़ायदा उठाकर उनको नशे की लत का शिकार बनाया जा रहा। गाँव में जगह-जगह शराब के अड्डे खोले जाते हैं। ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दों की तरफ़ जाने की बजाय नशे की तरफ़ चला जाये। और इन सब साजि़शों में पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत होती है। असल में सरकार ऐसे-ऐसे छुटभैया नेताओं और ठेकेदारों को नशे का कारोबार करने के लिए तरह-तरह से उनकी सहायता करती है। गाँव-गाँव में स्टेडियम, हॉस्पिटल, स्कूलों में टीचर की व्यवस्था, गाँव में पार्कों की व्यवस्था और गाँव के हर बगड़-बगड़ में जिम जैसे संस्थान खोलने की बजाय, गाँव में जगह-जगह शराब के खुर्दों को खोला जा रहा है। ताकि नशे का कारोबार करने वालों का बिज़नेस ज़्यादा से ज़्यादा बढ़े। और उनको ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफ़ा आये। आज नशे का कारोबार करने वाले लोगों की जेबों में से 10 रुपये भी निकालने के लिए आमदा हैं।
नशा विरोधी कमेटी के रमन व सोनू ने कहा कि आज युवा आबादी को नशे के कारोबार को बढ़ावा देने वालों के खि़लाफ़ एकजुट होने का समय है। गाँव के स्तर पर नशे के कारोबार करने वालों के खि़लाफ़ कार्यवाही की माँग को हमने एसडीएम के समक्ष रखा है और उनसे अपील की है कि गाँव के स्तर पर नशा बेचना बन्द करवाया जाये। अगर आज हम इन सब चीज़ों को लेकर एकजुट होकर नहीं लड़ेंगे, तो याद रहे इस निराशा के दौर में किसी भी घर से कोई भी इस बुरी लत की चपेट में आ सकता है। जो हमारे परिवार, आस-पड़ोस और गाँव के लिए बहुत हानिकारक होगा। और बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। आज हमें ज़रूरत है इन सब बुराइयों के खि़लाफ़ ऐसे संगठन, ऐसी कमेटियाँ गाँव-गाँव में बनाने की, जो लोगों को इन सब बुराइयों के खि़लाफ़ एकजुट करें। गाँव में शराब के अवैध खुर्दे बन्द करवाने में महिलाओं, युवाओं व बच्चों ने हमारा साथ दिया। ताकि हमारे गाँव से हम नशे को ख़त्म कर सकें और गाँव को एक हद तक नशा-मुक्त बना सकें। और गाँव के लोगों का ध्यान नशे की बजाय, गाँव का विकास न होने के असल मुद्दों पर जाये।
मज़दूर बिगुल,अक्टूबर-दिसम्बर 2017
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