फ़ैक्टरियों में सुरक्षा के इन्तज़ाम की माँग को लेकर मज़दूरों ने किया प्रदर्शन

wazirpurदस दिसम्बर को वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों ने ‘दिल्ली इस्पात मज़दूर यूनियन’ के नेतृत्व में वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के ठण्डा रोला और पावर प्रेस सहित सभी फ़ैक्टरियों में सुरक्षा के पुख़्ता इन्तज़ाम की माँग उठाते हुए श्रम विभाग नीमड़ी कॉलोनी का घेराव किया। बैनर, पोस्टर और नारों के साथ सड़क पर मार्च करता हुआ यह दस्ता बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा था।

पिछले 27 नवम्बर को ठण्डा रोला के एक मज़दूर मंगरू की मौत काम करते समय गले में स्टील की पत्ती लग जाने से हो गयी। मालिक ने मामले को रफ़ा-दफ़ा करने के लिए पुलिस को रिश्वत देकर इसे एक हादसा करार देने की कोशिश की। ज्ञात हो कि वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में यह पहली ऐसी घटना नहीं है। आये दिन फ़ैक्टरियों में दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। यहाँ ऐसे ज़्यादातर मज़दूर हैं जो अंग-भंग का शिकार हैं। काम करते समय मशीन में लगकर अँगुलियाँ कट जाना, शरीर में स्टील की पत्ती घुस जाना आम बात हो गयी है। यहाँ की तमाम फ़ैक्टरियों में न ही कोई श्रम क़ानून लागू होता है और न ही सुरक्षा के पुख़्ता इन्तज़ाम हैं। श्रम विभाग कान में तेल डालकर चैन की नींद सोता रहता है और मालिक दिनोरात मज़दूरों को निचोड़कर अपनी तिजोरियाँ भरते रहते हैं। इन हालात के मद्देनज़र ‘दिल्ली इस्पात मज़दूर यूनियन’ के नेतृत्व में वज़ीरपुर के मज़दूरों ने एकजुट होकर अपने साथी मंगरू को इन्साफ़ दिलवाने और पूरे वज़ीरपुर औद्योगिक इलाक़े में सुरक्षा के पुख़्ता इन्तज़ाम की माँग को लेकर वज़ीरपुर से नीमड़ी कॉलोनी स्थित श्रम विभाग तक पैदल मार्च किया और वहाँ पहुँचकर श्रम आयुक्त को अपना ज्ञापन सौंपा। श्रम विभाग ने इस मामले में समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

‘दिल्ली इस्पात मज़दूर यूनियन’ की क़ानूनी सलाहकार शिवानी ने बात रखते हुए कहा कि सुरक्षा के इन्तज़ाम की माँग वेतन-भत्ते की लड़ाई से बड़ी है। इसका मतलब है कि हम अपना जीवन जीने का अधिकार माँग रहे हैं, इसका मतलब है कि हमें इन्सानों की तरह ज़िन्दगी जीने का पूरा हक़ है। इस पूँजीवादी व्यवस्था में मालिक हमें मशीन का एक पुर्जा समझता है, जिसे घिस जाने पर निकालकर फेंक दिया जाता है, लेकिन हम बता देना चाहते हैं कि अब चुपचाप ये सब नहीं सहेंगे।

‘दिल्ली इस्पात मज़दूर यूनियन’ के सनी ने अपनी बात में कहा कि इस तरह कि घटनाएँ हमारे सामने रोज़ घट रही हैं और मालिकों को हमारी चुप्पी से शह मिल रहा है। आज ज़रूरत इस बात की है कि एकजुट और संगठित हुआ जाये, तभी ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। अपनी क्रान्तिकारी यूनियन के बैनर तले एकजुट होकर ही अपनी हर लड़ाई को मुकम्मल तौर पर जीता जा सकता है। यूनियन के सदस्य बाबूराम ने अपनी बात में कहा कि हमारी एकता और हमारी यूनियन हमारे वे अचूक हथियार हैं, जिनके दम पर मालिकों की जमात को धूल चटायी जा सकती है।

 

 

मज़दूर बिगुल, दिसम्‍बर 2014


 

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