जनसंघर्ष को कुचलने के लिए पंजाब सरकार के फासीवादी काले कानून के खिलाफ़ पंजाब की जनता संघर्ष की राह पर
बिगुल संवाददाता
पंजाब सरकार द्वारा पारित घोर फासीवादी काले कानून ‘पंजाब सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति नुकसान रोकथाम कानून-2014’ को रद्द करवाने के लिए पंजाब के मज़दूरों, किसानों, सरकारी मुलाजमों, छात्रों, नौजवानों, स्त्रियों, जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं के संगठन संघर्ष की राह पर हैं। करीब 40 संगठनों का ‘काला कानून विरोधी संयुक्त मोर्चा, पंजाब’ गठित हुआ है। इसके आह्वान पर 11 अगस्त को पंजाब के सभी जिलों में डी.सी. कार्यालयों पर रोषपूर्ण प्रदर्शन किए गए। जोशीले नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने नुकसान रोकथाम के नाम पर जनान्दोलनों को कुचलने के लिए बनाए गए काले कानून को रद्द करवाने के लिए रोषपूर्ण आवाज बुलन्द की। हर जिले में डिप्टी कमिशनर को माँग पत्र सौंपे गए। पंजाब के गवर्नर के नाम भेजे गए इन माँग पत्रों में पंजाब सरकार से इस कानून को रद्द करने की माँग करते हुए कहा गया कि अगर यह कानून रद्द नहीं किया जाता तो इसके खिलाफ़ भविष्य में उठने वाले जनसंघर्ष की जिम्मेदारी पंजाब सरकार की होगी।
बठिण्डा में प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने करीब 300 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शन स्थल पर पहुँचने से रोकने के लिए विभिन्न जगहों पर नाके लगा दिए गए। इसके बावजूद में लोगों ने शहर में प्रदर्शन आयोजित किया और गिरफ्तारियाँ दीं।
लुधियाना में भारी बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में जुटे ओद्योगिक मज़दूरों, किसानों, सरकारी मुलाजिमों, नौजवानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। शहर में औद्योगिक मज़दूरों ने प्रदर्शन से पहले श्रम विभाग से डी.सी. कार्यालय तक रोषपूर्ण पैदल मार्च भी किया।
पंजाब भर में हुए प्रदर्शनों में विभिन्न संगठनों के वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने रैली, धरना, प्रदर्शन, हड़ताल आदि जनकार्रवाइयों के दौरान तोड़फोड़-आगजनी आदि रोकने के बहाने से यह कानून बनाया है लेकिन असल मकसद अधिकारों के लिए हो रहे जनसंघर्षों को कुचलना है। उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण की नीतियों के कारण आज मेहनतकश वर्गों की हालत बेहद खराब है। गरीबी, बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। जनता में आक्रोश है और जनसंघर्ष फैलते जा रहे हैं। इन हालात में जनता को जहां एक तरफ धर्मों-जातियों के नाम पर आपस में लड़ाकर बाँटने की कोशिशें हो रही हैं वहीं जनता पर दमन भी बढ़ते जा रहे हैं। हक, सच, इंसाफ़ के लिए संघर्ष कर रहे संगठन कभी भी अगजनी, तोडफोड़ जैसी कार्रवाइयाँ नहीं करते बल्कि सरकारों और पूँजीपतियों द्वारा ही ऐसी कार्रवाइयाँ जनसंघर्षों को बदनाम व विफल करने के लिए की जाती हैं। अब पंजाब सरकार ने इस कानून के जरिए संघर्ष करने वाले लोगों को पाँच साल तक की जेल, तीन लाख रुपए तक का जुर्माना और नुकसान पूर्ति की सख्त सजाएँ देने की फासीवादी साजिश रची है। नुकसान पूर्ति के लिए संघर्षशील लोगों की जमीनें जब्त करने के प्रावधान इस काले कानून में रखे गये हैं। हड़ताल को तो इस कानून के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से गैरकानूनी बना दिया गया है।
केन्द्र में मोदी सरकार के गठन के बाद जनता पर पूँजीपति वर्ग का हमला और भी तेज़ हो गया है। श्रम कानूनों में मज़दूर विरोधी संशोधन किए जा रहे हैं। महँगाई में अत्यधिक वृद्धि हुई हैं। सब्सिडियों में भारी कटौती हो रही है। इन हालात में ‘पंजाब (सार्वजनिक व निजी जायदाद नुकसान रोकथाम) बिल-2014’ जैसे भयानक कानूनों के बिना हुक्मरानों की गाड़ी चल ही नहीं सकती।
वक्ताओं ने कहा कि पंजाब की जनता अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के जनवादी अधिकार पर पंजाब सरकार का बर्बर हमला सहन नहीं करेगी। पंजाब सरकार सन् 2010 में भी ऐसे ही दो दमनकारी काले कानून लेकर आई थी। पंजाब के जुझारू लोगों ने व्यापक आन्दोलन के जरिए सरकार को दोनों कानून वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। पंजाब के जुझारू लोग इस बार भी पंजाब सरकार को इसके नापाक इरादों में कामयाब नहीं होने देंगे।
‘काला कानून विरोधी संयुक्त मोर्चा, पंजाब’ में भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां), जमहूरी किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन (डकैंदा), किरती किसान यूनियन, पंजाब किसान यूनियन, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन, ग्रामीण मज़दूर यूनियन, देहाती मज़दूर सभा, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेंट यूनियन, पंजाब स्टूडेंट फेडरेशन, इंकलाबी नौजवान विद्याथी मंच, डेमोक्रेटिक स्टूडेंटस फेडरेशन, शहीद भगत सिंह नौजवान सभा, स्त्री जागृति मंच, जनवादी स्त्री सभा, भारतीय किसान यूनियन क्रान्तिकारी, किसान संघर्ष कमेटी, क्रान्तिकारी ग्रामीण मज़दूर यूनियन, सी.टी.यू., मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन, लोक सांस्कृतिक मंच, लोक मोर्चा पंचाब, टेक्नीकल सर्विसेस यूनियन, डेमोक्रेटिक लॉयर्स एसोसिएशन, पंजाब निर्माण मज़दूर यूनियन, मज़दूर मुक्ति मोर्चा, पंजाब सबार्डिनेट सर्विसेस यूनियन आदि संगठन शामिल हैं। अन्य बहुत से जनसंगठनों का समर्थन व सहयोग भी इस संयुक्त मोर्चे को हासिल है।
काले कानून के खिलाफ अर्थी फूंक प्रदर्शन
शोषण-अन्याय के खिलाफ़ जनता की आवाज़ दबाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा पारित काले कानून के विरुद्ध अगस्त के रोषप्रदर्शनों की तैयारी के लिए 5 अगस्त से 10 अगस्त तक गाँवों-मोहल्लों, बस्ती, तहसील आदि स्तरों पर पंजाब सरकार की अर्थियाँ फूँकी गईं। जिला लुधियाना और जिला फतेहगढ़ साहिब में टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, कारखाना मज़दूर यूनियन और नौजवान भारत सभा ने भी काले कानून के खिलाफ़ अर्थी फूंक प्रदर्शन आयोजित किए। टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन ने ई.डब्ल्यू.एस. कालोनी, पुडा मैदान और मेहरबान में अर्थी फूंक प्रदर्शन किए। कारखाना मज़दूर यूनियन ने ढण्डारी खुर्द व राजीव गाँधी कालोनी में अर्थी फूंक प्रदर्शन आयोजित किए। नौजवान भारत सभा ने मण्डी गोबिन्दगढ़, पख्खोवाल, जोधां आदि जगहों पर टी.एस.यू., डी.ई.एफ., आर.टी.आई. एक्टिविस्ट ग्रुप आदि संगठनों से साथ साझे रूप में प्रदर्शन किए।
प्रदर्शनों के दौरान वक्ताओं ने कहा कि रैली, हड़ताल, धरना, प्रदर्शन, जुलूस आदि के दौरान नुकसान को रोकने के नाम पर सरकार वास्तव में जनता को हक, सच, इंसाफ़ के लिए एकजुट होकर आवाज उठाने और संघर्ष करने से रोकना चाहती है। अब सरकार काला कानून पास करके इन कार्रवाइयों के लिए संघर्ष करने वालों को 5 साल तक की जेल, 3 लाख तक का जुर्माना व नुकसान पूर्ति की सख्त सजाएँ देने की साजिश रच रही है। वक्ताओं ने कहा कि मज़दूरों की हड़ताल के दौरान पूँजीपति को होने वाले घाटे को भी इस कानून के तहत अपराध में रखा गया है जिसके लिए हड़ताली मज़दूरों को और उनके नेताओं को जेल, जुर्माने व नुकसान पूर्ति करने की सख्त सजाएँ दी जाएँगी। हड़ताल को पंजाब सरकार ने इस कानून के जरिए अप्रत्यक्ष रूप में कानूनन अपराध घोषित कर दिया है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार का मकसद जनता के संघर्षों को कुचलना ही है। केन्द्र व राज्य सरकारों की पूँजीपतियों के पक्ष में लागू की जा रही निजीकरण, उदारीकरण, विश्वीकरण की नीतियों की जनता की हालत बेहद खराब कर दी है। गरीबी, बेरोजगारी, महँगाई तेजी से बढ़ी है। इसके खिलाफ जनता के एकजुट रोष भी बढ़ता जा रहा है। हुक्मरान आने वाले दिनों में उठ खड़े होने वाले भीषण जनान्दोलनों से भयभीत है। जनता की आवाज सुनने की बजाए सरकारें जन आवाज को ही कुचल देना चाहती हैं। इसीलिए अब काले कानून बनाए जा रहे हैं। पंजाब सरकार द्वारा पारित यह नया काला कानून भारतीय हुक्मरानों के घोर जनविरोधी दमनकारी चरित्र को जाहिर करता है।
वक्ताओं ने कहा कि पंजाब की जनता को अपने जनवादी अधिकारों पर हुक्मरानों का यह बर्बर हमला कतई बर्दाश्त नहीं करना चाहिए और इस काले कानून को जुझारू जनान्दोलन के जरिए रद्द करवाना होगा।
मज़दूर बिगुल, अगस्त 2014
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