आपस की बात
जितना मिले उसमें ही खुश रहो
कम्पनी न्यूनतम मज़दूरी नहीं देगी, मगर कम खर्च में बजट बनाकर जीने की “ट्रेनिंग” ज़रूर दिलवा देगी
अनंत, गुड़गाँव
‘जितना मिले उसमें ही खुश रहो’ जी हाँ यह राय है, ‘मैट्रिक्स क्लोथिंग प्रा.लि.’ कम्पनी की जो खाण्डसा रोड़ मोहम्मदपुर गाँव, गुड़गांव में स्थित है। इस कम्पनी के मालिक का नाम ‘गौतम नायर’ है। एक दिन शाम 3 बजे से कम्पनी के पर्सनल विभाग की तरफ से एक अभियान लिया गया कि कम्पनी के सभी मजदूरों को यह बताना है कि बचत कैसे होती है। इस अभियान मे पर्सनल विभाग के 5 लोगों का पूरा एक दस्ता चल रहा था। यह दस्ता चार मंजिला कम्पनी के चारो डिपार्ट मे (एक डिपार्ट मे सिलाई की कम से कम 8 लाइन और हर लाइन मे कम से कम 25 मजदूर) बाकायदा 10 मिनट के लिए एक लाइन को बन्द कराया जाता जिसमे एक लाइन के सभी मजदूरों को एक जगह इकट्ठा कर भाषण में यह बताया जाता है कि आपकी तनख्वा पी.एफ., ई.एस.आई. काटकर लगभग 4700 रु है और इतनी महँगाई मे 4700 रु मे खर्च चलाना मुश्किल पड़ता है। मगर आप लोग अगर अपना बजट बनाकर खर्च करें तो आप इस तनख्वा मे भी बचत कर सकते है। और उस बचत से आप एक दिन गाड़ी, प्लाट, घर खरीद सकते हैं।
अब दस्ता यह बताता है कि बजट क्या है? बजट वह होता है जैसे कि आप जो कमाते है, और आप जो खर्च करते हैं। आपने जो कमाया और आपने जो खर्च किया उसके सारांश को बजट कहते हैं। अब हम आपको यह बताते हैं कि इसी बजट मे बचत कैसे होती है। आप सभी लोग एक-एक 5 रु की डायरी खरीद लीजिये, आप सभी लोग जो फुटकर सामान खरीदते हैं वो ना खरीदें, और महीने मे जब तनख्वा मिले तो एक साथ सामान खरीदें। जैसै-5 कि. तेल, 50 कि. आटा, 50 कि. चावल, आदि-आदि। और इस तरह आपके बजट मे भारी बचत होगी।
फिर दस्ते ने बताया कि पिछली बार एक हफ्ते की ट्रेनिंग हुई थी और इस बार 8 महीने की ट्रेनिंग होगी। सभी लोग अपने-अपने नाम व कार्ड न. लिखवा दो, सभी ने नाम व नम्बर दिये और दस्ता आगे बढ़ गया।
निष्कर्ष- कम्पनी इस बात की पूरी ट्रेनिंग देती रहती है कि जो मिल रहा है उसी मे खुश रहो हम अपनी तरफ से खुद ही साल छः महीने मे 100-200 रु बढ़ाते रहते हैं। इससे ज्यादा तनख्वा चाहिए तो जितना मन हो उतना ओवरटाइम लगाओ। मगर तनख्वा बढ़ाने की बात मत करो यूनियन बनाने की बात मत करो!
मज़दूर बिगुल, अगस्त 2014
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