कारख़ाना मालिक द्वारा एक मज़दूर की बर्बर पिटाई के खि़लाफ़ लुधियाना के दो दर्जन से अधिक कारख़ानों के सैकड़ों पावरलूम मज़दूरों ने लड़ी पाँच दिन लम्बी जुझारू विजयी हड़ताल
बिगुल संवाददाता
टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के नेतृत्व में मेहरबान, लुधियाना के दो दर्जन से अधिक पावरलूम कारख़ानों में सैकड़ों मज़दूरों ने एक जुझारू हड़ताल कामयाबी के साथ लड़ी है। 14 जुलाई की शाम से शुरू हुई और 19 जुलाई की दोपहर तक जारी रही यह हड़ताल वेतन वृद्धि, फ़ण्ड, बोनस जैसी आर्थिक माँगों पर नहीं थी बल्कि एक पावरलूम मज़दूर चन्द्रशेखर को मोदी वूलन मिल्ज़ के मालिक जगदीश गुप्ता द्वारा बुरी तरह पीटे जाने के खि़लाफ़ और मालिक के खि़लाफ़ सख़्त क़ानूनी कार्रवाई करवाने की माँग पर लड़ी गयी थी।
चन्द्रशेखर ने जगदीश गुप्ता के कारख़ाने से काम छोड़ दिया था। उस कारख़ाने में चन्द्रशेखर के किये काम के पैसे बकाया थे। उसने कई बार मालिक जगदीश गुप्ता से पैसे माँगे लेकिन पैसे नहीं मिले। जगदीश गुप्ता ने पैसे अदा करने की बजाय धमकाया कि अगर पैसों की माँग की तो उसे पुलिस से पिटवायेगा, टाँगें तुड़वा देगा और ग़ायब करवा देगा। चन्द्रशेखर के न मानने पर 14 की शाम को जगदीश गुप्ता और पुलिस वाले चन्द्रशेखर को पकड़कर मेहरबान पुलिस थाने ले गये। वहाँ पर जगदीश गुप्ता ने ख़ुद चन्द्रशेखर को बुरी तरह पीटा। चेहरे पर किये गये हमले से चन्द्रशेखर बेहोश हो गया और अस्पताल में ही होश आया। इस बर्बर पिटाई में उसकी नाक की हड्डी टूट गयी और आँख के ऊपर माथे पर गम्भीर चोटें आयीं। कारख़ाना मालिक द्वारा एक मज़दूर पर किये गये बर्बर जुल्म ने इलाके के मज़दूरों को आक्रोश से भर दिया और वे 14 जुलाई की शाम को ही हड़ताल पर चले गये। अन्य मालिकों द्वारा जगदीश गुप्ता का साथ दिये जाने, मज़दूरों की छँटनी की धमकियों, और दिहाड़ियाँ टूटने का नुक़सान झेलते हुए भी मज़दूर हड़ताल पर डटे रहे। पुलिस की मालिकों के साथ बेशर्म मिलीभगत और पुलिस पर राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस जगदीश गुप्ता को बचाने में लगी रही। 18 जुलाई की शाम तक तो पुलिस जगदीश गुप्ता के खि़लाफ़ कोई भी एफ़-आई-आर. दर्ज करने से भागती रही। लेकिन मज़दूरों द्वारा पुलिस थाने पर किये गये ज़बरदस्त धरना-प्रदर्शनों और अन्य इलाकों के मज़दूरों में फैलते जा रहे आक्रोश ने पुलिस को इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि जगदीश गुप्ता पर 325/506 के तहत एफ़.आई.आर. दर्ज हो। 19 जुलाई को एफ़.आई.आर. की नक़ल हासिल करने के बाद ही जुझारू मज़दूरों ने हड़ताल ख़त्म की। जगदीश गुप्ता दो दिन पहले से ही दिल की किसी बीमारी के कारण सी.एम.सी. अस्पताल के आई.सी.यू. में दाखि़ल हो गया था। इस कारण उसकी तुरन्त गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
वास्तव में हड़ताल सिर्फ़ एक मज़दूर के साथ की गयी मारपीट के खि़लाफ़ और सिर्फ़ एक मालिक के खि़लाफ़ नहीं थी। यह हड़ताल सभी मालिकों द्वारा उन पर किये जा रहे अत्याचारों, दुर्व्यवहार, लूट, अन्याय के खि़लाफ़ थी। चन्द्रशेखर को इंसाफ़ दिलाने के लिए लड़े गये संघर्ष के ज़रिये मज़दूरों ने तमाम मालिकों और उनकी सेवक पुलिस-प्रशासन को यह बताया और चेताया है कि वे उनके अत्याचारों, दुर्व्यवहार, लूट, दमन, अन्याय को सहन नहीं करेंगे_ कि उन्हें भी एक इंसान की तरह जीने का अधिकार है और यह अधिकार वे लेकर रहेंगे। वेतन, फ़ण्ड, बोनस आदि मुद्दों से आगे बढ़कर मारपीट, दुर्व्यवहार के मुद्दे पर लड़ाई लड़ना एक मज़दूर साथी को इंसाफ़ दिलाने के लिए पाँच दिन तक हड़ताल पर डटे रहना यह मज़दूरों की आगे बढ़ी हुई वर्ग चेतना और राजनीतिक चेतना को दर्शाता है। हालाँकि यह हड़ताल कारख़ाना मालिक पर सख्त धाराओं तहत एफ़.आई.आर. दर्ज करवाने में सफल हुई है, लेकिन यह इस हड़ताल की मुख्य उपलब्धि नहीं है, बल्कि गौण उपलब्धि है। इस हड़ताल में मज़दूरों ने जिस जुझारू वर्ग चेतना और राजनीतिक चेतना का परिचय दिया है, वह ही मुख्य चीज़ है। टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन और बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा लुधियाना के पावरलूम मज़दूरों के बीच पिछले कई वर्षों से किये जा रहे प्रचार-प्रसार, शिक्षा-दीक्षा, सांगठनिक कार्य, आन्दोलनात्मक गतिविधियों की यह एक बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह विजयी हड़ताल जहाँ अन्य मज़दूरों में भी मालिकों के जुल्मों के खि़लाफ़ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की प्रेरणा फैलाने का काम करेगी, बल्कि अन्य मालिकों में भी मज़दूर एकता की एक दहशत पैदा करेगी।
मज़दूर बिगुल, जुलाई 2014
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन