गाज़ा में इज़रायल द्वारा जारी इस सदी के बर्बरतम जनसंहार के विरुद्ध देशभर में विरोध प्रदर्शन
बिगुल संवाददाता
इस सदी के बर्बरतम नरसंहार, यानी गाज़ा के नागरिकों पर जारी इज़रायल के हवाई हमलों के विरुद्ध दुनियाभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत में बिगुल मज़दूर दस्ता से जुड़े साथियों ने इसपर पहल लेने में अहम भूमिका निभायी और देश के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने में आगे रहे।
दिल्ली में 13 जुलाई को इज़रायली दूतावास के सामने विरोध-प्रदर्शन करके इज़रायली राजदूत और भारत सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा और गाज़ा पर इज़रायली हमले को तुरन्त बन्द करने की माँग की गयी। आम इंसाफ़पसन्द नागरिकों की ओर से ‘गाज़ा के पक्ष में एकजुट भारतीय जन’ के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में दिल्ली और आसपास के सैकड़ों छात्रें-युवाओं- बुद्धिजीवियों-कलाकारों और आम नागरिकों ने ज़ियनवादी-साम्राज्यवादी हमले के विरुद्ध आवाज़ बुलन्द की।
प्रदर्शन के बाद इज़रायली राजदूत के नाम ज्ञापन भेजा गया जिसमें इज़रायल से तुरन्त बमबारी बन्द करने और फिलिस्तीन की घेरेबन्दी ख़त्म करके फिलिस्तीन को मान्यता देने की माँग की गयी है। भारत सरकार को दिये गये ज्ञापन में माँग की गयी कि भारत सरकार इज़रायल के राजदूत को बुलाकर बमबारी तुरन्त बन्द करने की माँग करे, राजदूत को बुलाकर सख़्त चेतावनी दे कि गाज़ा पर बमबारी बन्द नहीं होगी तो भारत सरकार इज़रायल से समस्त राजनयिक सम्बन्ध समाप्त कर देगी, भारत सरकार संयुक्त राष्ट्रसंघ की आपात बैठक बुलाने की माँग करे।
मुम्बई में पुलिस की सख़्ती के बावजूद सैकड़ों छात्रों-युवाओं, बुद्धिजीवियों और नागरिकों ने इज़रायल के वाणिज्य दूतावास पर प्रदर्शन करके गाज़ा में जारी बर्बर जनसंहार पर आक्रोश जताया। इसमें शामिल होने वाले मुख्य संगठन थे – भारत-फिलिस्तीन एकजुटता फ़ोरम, बिगुल मज़दूर दस्ता, यूनिवर्सिटी कम्युनिटी प़फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वैलिटी, नौजवान भारत सभा, रिपब्लिकन पैन्थर, दलित अत्याचार विरोधी कृति समिति, भारत बचाओ आन्दोलन, विद्यार्थी भारती, फ़ेडरेशन ऑफ़ माइनॉरिटीज़ ऑफ़ महाराष्ट्र, मुस्लिम इण्टेलेक्चुअल फ़ोरम, फुले-अम्बेडकर विचार मंच, इंस्टीट्यूट फ़ॉर पीस स्टडीज़ एण्ड कॉन्फ्रि़लक्ट रिज़ोल्यूशन।
लखनऊ में गाज़ा के आम नागरिकों पर इज़रायल के हमलों को बेगुनाहों का क़त्लेआम करार देते हुए नागरिकों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों, छात्रों-युवाओं, महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला और गाज़ा पर हमले को तुरन्त बन्द करने की माँग की। सरोजिनी नायडू पार्क से शुरू हुआ मार्च हजरतगंज से होते हुए और रास्ते में पर्चे बाँटते हुए जीपीओ पहुँचा। ‘गाज़ा के पक्ष में एकजुट भारतीय जन’ के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा कि दुनियाभर में जारी विरोध के बावजूद इज़रायली हुकूमत गाज़ा में आम नागरिकों पर हमले कर रही है और दुनिया की सरकारें चुपचाप इस जनसंहार को देख रही हैं। पाँच दिनों में 152 लोग मारे गये हैं और 1000 से अधिक बुरी तरह घायल और विकलांग हो गये हैं। इनमें करीब आधे बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग हैं। इस सदी के इस बर्बरतम जनसंहार पर भारत सरकार और तमाम पार्टियों की चुप्पी निन्दनीय है। पश्चिम एशिया में अमेरिकी शह पर इज़रायली गुण्डागर्दी पर रोक नहीं लगायी गयी तो वहाँ कभी शान्ति क़ायम नहीं हो सकती। प्रदर्शन में भारत सरकार को सम्बोधित ज्ञापन पारित किया गया, जिसे कल ज़िला प्रशासन के माध्यम से भेजा जायेगा। ज्ञापन में माँग की गयी है कि भारत सरकार इज़रायल के हमले की निन्दा करे और गाज़ा में बेगुनाहों का क़त्लेआम रोकने की माँग करे। यदि इज़रायल ऐसा नहीं करता है तो भारत सरकार को इज़रायल के साथ अपने राजनयिक सम्बन्ध समाप्त कर लेने चाहिए।
इलाहाबाद में शहीद भगतसिंह विचार मंच की ओर से शहर में विरोध मार्च निकाला गया और कई स्थानों पर सभाएँ की गयीं तथा पर्चे बाँटे गये। सभाओं में वक्ताओं ने कहा कि इज़रायल “आत्मरक्षा” के बेशर्म तर्क को दोहराते हुए दुधमुँहे बच्चों, बूढ़ी औरतों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों तक की जान ले रहा है लेकिन इज़रायल का यह सरकारी आतंकवाद संयुक्त राष्ट्रसंघ को नज़र नहीं आ रहा। पटना में नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने शहर के विभिन्न इलाकों में नारे लगाते हुए मार्च निकाला और नुक्कड़ सभाएँ करके पर्चे बाँटे।
देश के कई अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है।
मज़दूर बिगुल, जुलाई 2014
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