एहरेस्टी के मज़दूरों की एकजुटता तोड़ने के लिए बर्बर लाठीचार्ज
बिगुल संवाददाता
एहरेस्टी इण्डिया प्रा. लि. के बावल प्लाण्ट में 31 मई शाम 4 बजे हरियाणा पुलिस ने तीन दिनों से शान्तिपूर्वक फ़ैक्टरी के भीतर धरने पर बैठे मज़दूरों पर लाठीचार्ज किया। असल घटना की शुरुआत 29 मई को हुई, जब कम्पनी ने बिना नोटिस दिये कम्पनी में उत्पादन बन्द करा दिया। और साथ ही कम्पनी में ‘ए’ शिफ्ट की बस सर्विस बन्द कर दी। जिसके बाद मज़दूरों ने फ़ैक्टरी में डेरा जमा लिया और अपने संघर्ष की शुरुआत की।
कम्पनी की इस तानाशाही का कारण मज़दूरों की यूनियन थी जो एक महीने पहले ही 30 अप्रैल को बनायी गयी थी। यूनियन पंजीकरण के लिए कम्पनी यूनियन के नेतृत्व को लगातार डराने-धमकाने का काम कर रही थी। इस कड़ी में कम्पनी ने 30 मज़दूरों का ज़बरदस्ती तबादला करने का आदेश दिया, जिसके ख़िलाफ़ मज़दूरों ने एक दिन की हड़ताल कर आदेश को रद्द करवा दिया। इसलिए कम्पनी में उत्पादन ठप्प करके मज़दूरों की एकता तोड़ने की कोशिश की गयी, लेकिन यूनियन ने इसका ज़ोरदार जवाब दिया और ठेका मज़दूरों को भी साथ लेकर 29 मई से प्लाण्ट के भीतर ही हड़ताल जारी रखी। मज़दूरों की एकजुटता को तोड़ने और प्लाण्ट ख़ाली करवाने के लिए कम्पनी ने 31 मई को हरियाणा पुलिस से साँठगाँठ कर मज़दूरों पर बर्बर लाठीचार्ज करवाया, जिसमें 30 से ज़्यादा मज़दूरों को गम्भीर चोटें आयी हैं। इस बर्बर दमन ने साफ़ कर दिया है कि चाहे भाजपा की वसुन्धरा सरकार या कांग्रेस की हुड्डा सरकार, वे तो बस पूँजीपतियों के हितों को सुरक्षित करने का काम कर रहे हैं। गुड़गाँव श्रम-विभाग भी गूँगा-बहरा बना बैठा है, तभी मज़दूरों के लिए काग़ज़ों पर दर्ज 260 श्रम-क़ानूनों को खुलेआम मालिक-ठेकेदार तोड़ते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है, लेकिन मज़दूरों के आन्दोलन को दबाने के लिए सरकार को सारे क़ानून याद आ जाते हैं।
4 जून को बावल में एहरेस्टी और पास्को इण्डिया स्टील प्रोसेसिंग सेण्टर प्राइवेट लिमिटेड के मज़दूरों ने रेवाड़ी डी.सी. ऑफ़िस पर प्रदर्शन कर अपने जायज़ हक़ों के लिए आवाज़ उठायी। गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति मज़दूरों पर हुई इस दमन की कार्रवाई के ख़िलाफ़ संघर्षरत बावल के मज़दूरों के साथ है। दूसरे, एहरेस्टी कम्पनी की घटना ने फिर साफ़ कर दिया है कि पूरे गुड़गाँव-मानेसर- धारूहेड़ा-बावल से लेकर भिवाड़ी तक के मालिक-सरकार, पुलिस-प्रशासन नंगे तौर पर मज़दूरों की क़ानूनी माँगों को दबाने में एक साथ हैं। इसलिए हमें भी अपनी इलाक़ाई एकजुटता बनाकर पूँजीपतियों और सरकार को मुँहतोड़ जवाब देना होगा।
एहरेस्टी कम्पनी के मज़दूरों के हालात के बारे में जानकारी
एहरेस्टी कम्पनी में लगभग 650 मज़दूर कार्यरत हैं जिनमें से 350 मज़दूर स्थायी हैं, बाक़ी 300 मज़दूर ठेके पर कार्यरत हैं। यह कम्पनी मारुति, होण्डा आदि कार कम्पनियों की वेण्डर कम्पनी है, जो एल्मीनियम डाई कास्टिंग, कवर, सिलेण्डर ब्लॅाक और केस ट्रांसमिशन बनाती है। कम्पनी में स्थायी मज़दूरों का वेतन 7200 रुपये है, जबकि ठेका मज़दूरों को सिर्फ़ 5500 रुपये मिलते हैं।
मज़दूर बिगुल, जून 2014
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