कायर संघियों का जन स्वास्थ्य अधिकार मुहिम के कार्यकर्ताओं पर हमला

संघी सच से इतना डरते हैं क‍ि महामारी के दौर में लोगों को जागरूक करने की मुहिम भी उनसे बर्दाश्‍त नहीं होती। इस मुहिम के दौरान देश की कई जगहों पर अन्धभक्‍तों और संघी कार्यकर्ताओं से बहसें-झड़पें हुईं लेकिन लखनऊ में तो संघियों ने नौजवान भारत सभा और स्‍त्री मुक्ति लीग के कार्यकर्ताओं पर हमला ही कर दिया। 17 मई को नौभास के अविनाश व अनुपम और स्त्री मुक्ति लीग की रूपा डालीगंज इलाक़े में ‘जन स्वास्थ्य अधिकार मुहिम’ के तहत लोगों से सम्पर्क कर रहे थे, तो पहले से घात लगाये बैठे संघियों ने उन पर ऐसे बेहूदे आरोप लगाने शुरू कर दिये कि “तुम तो नक्सली हो”, “तुम यहाँ कोरोना फैलाने आये हो”, “दिल्ली की ही तरह यहाँ भी बवाल करने आये हो”, “हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाने आये हो” और साथ ही गन्दी गालियाँ देने लगे। यह देखकर कि मोहल्ले के लोग उनकी बातों में नहीं आ रहे हैं और कार्यकर्ताओं का ही साथ दे रहे हैं, ये संघी और भी ज़्यादा बौखला उठे और मारपीट की कोशिश करने लगे। पुलिस ने मारपीट करने वाले संघियों पर कोई कार्रवाई करने के बजाय मुहिम के साथियों पर ही महामारी एक्‍ट की विभिन्‍न धाराओं में केस दर्ज कर लिया और उनकी ओर से की गयी एफ़आईआर दर्ज करने से ही इंकार कर दिया। अब अदालत के ज़रिए एफ़आईआर दर्ज करने और पुलिस अफ़सर सहित सभी दोषियों पर कार्रवाई की लड़ाई जारी है।

मज़दूर बिगुल, जून 2021


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments