इस झूठी सरकार और इसके परम झूठे प्रधानमंत्री पर लोग कैसे यक़ीन करें?

अभी तक अमित शाह कह रहे थे कि सीएए से भारतीय मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अब मोदी ने झूठों का पहाड़ खड़ा करते हुए कह दिया कि एनआरसी पर उनकी सरकार में कभी बात ही नहीं हुई है! डिटेंशन सेण्टर कहीं हैं ही नहीं!

गोयबल्स भी आज अपनी क़ब्र में छटपटा रहा होगा, झूठ की कला को सातवें आसमान पर पहुँचाने वाले अपने इस शागिर्द से मिलने के लिए।

संसद में सरकार के मंत्री ने बताया है कि असम के डिटेंशन सेण्टरों में कम से कम 28 लोगों की मौत हो चुकी है। असम सहित कई राज्यों में अरबों रुपये ख़र्च करके अनेक विराटकाय डिटेंशन सेण्टर बन रहे हैं। मगर मोदी को अपने समर्थकों पर पूरा भरोसा है कि उसके किसी भी झूठ को वे ऐसे लपक लेंगे जैसे टॉमी अपने मालिक के हाथ से टुक्कड़ लपककर गटक लेता है।

अमित शाह और दूसरे भाजपा नेता कई बार कह चुके हैं कि सीएए के बाद एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा। इसका सीधा मतलब है कि भारतीय मुसलमानों पर ही नहीं, इस देश के हर नागरिक पर इसका असर पड़ेगा – ग़रीब, वंचित, मेहनतकश आबादी इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित होगी, चाहे वह किसी भी धर्म की हो। और मुसलमानों को लगातार डराकर-आतंकित करके रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जायेगा।

नागरिकता क़ानून को एनआरसी से कौन जोड़ रहा है?

अब मीडिया में कई ऐसी रिपोर्टें आ चुकी हैं जो बताती हैं कि अनेक बार ख़ुद अमित शाह कह चुके हैं कि सीएए का एनआरसी से सीधा रिश्ता है। इसी साल, पहली मई को पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान रैली में शाह ने “घुसपैठियों” को “दीमक” कहते हुए कहा कि “पहले हम नागरिकता संशोधन क़ानून पास करेंगे…उसके बाद एनआरसी लाया जायेगा।” उससे पहले, 11 अप्रैल को बंगाल के रायगंज की रैली में शाह ने कहा, “हम पूरे देश में एनआरसी को पक्के तौर पर लागू करवायेंगे। हम देश से एक-एक घुसपैठिये को निकाल बाहर करेंगे, सिवाय बुद्ध, हिन्दू और सिखों के।” 23 अप्रैल को भाजपा द्वारा जारी वीडियो में भी ऐसी ही बातें हैं।

ध्यान रखिए, कि नागरिकता संशोधन क़ानून के तहत और शाह की बातों के मुताबिक़, भारत में बिना दस्तावेज़ों के रह रहा कोई भी ग़ैर-मुस्लिम व्यक्ति “शरणार्थी” होने का दावा कर सकता है, उसे प्रताड़ित किये जाने या दूसरे देश से प्रवासी के तौर पर आये होने का कोई सबूत देने की भी ज़रूरत नहीं होगी। जबकि कोई भी मुस्लिम जिसके पास दस्तावेज़ नहीं होंगे, उसे घुसपैठिया माना जायेगा – और एनआरसी की क़वायद के दौरान बाहरी व घुसपैठिया घोषित कर दिया जायेगा। पिछले ही महीने, राज्य सभा में एनआरसी पर हुई चर्चा में अमित शाह ने कहा : “एनआरसी में सभी भारतीय नागरिकों की सूची बनायी जायेगी।… लेकिन यह सही है और सरकार मानती है कि हिन्दू शरणार्थी, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए और इसीलिए हम नागरिकता संशोधन विधेयक लेकर आये हैं।”

AltNews के प्रतीक सिन्हा ने भी अमित शाह के कई वीडियो को एक साथ पेश किया है जिसमें वह सीएए और एनआरसी के जुड़े होने की बात कर रहे हैं। इसके बाद भी अगर मोदी, शाह और भाजपा नेता कह रहे हैं कि इस क़ानून से भारत के किसी व्यक्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा, तो ज़ाहिर है कि यह उनके झूठों की लम्बी कड़ी का ही हिस्सा है और इसीलिए टीवी चैनलों, हिन्दी अख़बारों, बिके हुए मुस्लिम नेताओं आदि के अलावा कोई उनकी बातों पर यक़ीन नहीं कर रहा है।

मज़दूर बिगुल, जनवरी 2020


 

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