कश्मीरी क़ौमी संघर्ष समर्थन कमेटी, पंजाब के आह्वान पर पंजाब में हज़ारों लोग कश्मीरी जनता के हक़ में सड़कों पर उतरे

– लखविन्दर

15 सितम्बर को पंजाब में कश्मीरी कौम के हक़ में इतनी ज़ोरदार आवाज़ उठी कि 40 दिनों से बहरे बने बैठे पूँजीवादी मीडिया को भी सुननी पड़ गई। ‘‘कश्मीर कश्मीरी लोगों का, नहीं हिन्द-पाक की जोकों का’’ और ‘‘पंजाब से उठी आवाज, कश्मीरी संघर्ष ज़ि‍न्दाबाद’’ के नारों के साथ पंजाब के हज़ारों मज़दूरों, किसानों, छात्रों, नौजवानों व बुद्धिजीवियों के जब 15 सितम्बर की सुबह चण्डीगढ़/मोहाली की तरफ काफ़ि‍ले जाने शुरू हुए तो इस आवाज़ ने हुक्मरानों के लिए खौफ़ खड़ा कर दिया। पंजाब में उठी यह आवाज़ दमन और प्रतिरोध की आग में तप रहे कश्मीरी जनता के लिए हवा के ठण्डे झोंके की तरह है। कश्मीरी जनता के लिए इस तरह ज़ोरदार आवाज़ बुलन्द करके पंजाब के जनवादी जनान्दोलन ने अपनी जनवादी व जुझारू रवायतों को बरकरार रखा है।

5 अगस्त को कश्मरी को विशेष दर्जा देने वाली धाराएँ धारा 370 व 35 ए खत्म करके व कश्मीर के दो टुकड़े कर दिये गये। अनेकों पाबन्दियाँ थोप दी गयीं। वहाँ इण्टरनेट, मोबाइल सेवाएँ बन्द कर दी गयीं। कर्फ्यू लगा कर आम जनजीवन को ठप्प कर दिया गया। यह फैसला वास्तव में सन् 1947 से ही जबरन गुलाम बनाये गये कश्मीर को फौजी दमन के ज़रिए भारत का हिस्सा बनाये रखने की नीतियों का ही अगला क़दम है। इस अरसे के दौरान कश्मीरी जनता की हर अधिकारपूर्ण आवाज़ को कुचला गया है, नब्बे हज़ार से अधिक लोग कत्ल किये गये हैं, हज़ारों लापता हुए, हज़ारों बच्चे यतीम हुए, हज़ारों औरतों का बलात्कार किया गया। इन दमन की नीतियों को आगे बढ़ाते हुए ही कश्मीरी जनता की आज़ादी की आकांक्षा को कुचलने के लिए धारा 370 व 35 ए को खत्म किया गया है।

भारतीय हुक्मरानों द्वारा दमन के खिलाफ़ जूझ रहे कश्मीरी लोगों के हक में समर्थन की आवाज़ बुलन्द करने के लिए 24 अगस्त को तर्कशील भवन, बरनाला, पंजाब में राज्य के 11 जनवादी जनसंगठनों ने इस गम्भीर मसले पर ‘कश्मीरी कौमी संघर्ष समर्थन कमेटी, पंजाब’ का गठन किया। इनमें टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां), पंजाब स्टूडेंटस यूनियन (ललकार), मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), नौजवान भारत सभा, पंजाब खेत मज़ूदर यूनियन, कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (शहीद रन्धावा), कारखाना मज़दूर यूनियन व नौजवान भारत सभा संगठन शामिल हुए। समर्थन कमेटी का यह मानना है कि ताज़ा हमला पिछले 72 वर्षों से कश्मीरी क़ौम के ख़ि‍लाफ़ जारी जंग का ही अंग है और इसके ज़रिए हमला और तेज़ कर दिया है, और इस मसले का हल आत्मनिर्णय की माँग पूरी होने के साथ, जिसके लिए कश्मीरी कौम जूझ रही है, पूरी होने से ही हो सकता है। इसलिए सिर्फ धारा 370 व 35 ए ख़त्म करने का विरोध करने की जगह कश्मीरी कौम के आत्मनिर्णय की माँग को मुख्य माँग के तौर पर उभारने का फैसला किया गया। और इसके साथ ही धारा 370 व 35 ए बहाल करने, कश्मीर से फ़ौज वापिस बुलाने, कश्मीरी जनता का दमन बन्द करने, आर्थिक लूट बन्द करने, अाफस्पा हटाने, सभी पाबन्दियाँ हटाने, गिरफ़्तार लोगों को रिहा करने की माँगें उठायी गयीं। समर्थन कमेटी ने फैसला किया कि इन माँगों के समर्थन में पंजाब के मज़दूरों-मेहनतकशों, किसानों, नौजवानों, छात्रों को लामबन्द करने के लिए 1 लाख की संख्या में पर्चा व 26500 पोस्टर छापा जाएगा। पंजाब भर में कश्मीरी जनता के हक में भारतीय हुक्मरानों के दमनकारी हमले के खिलाफ़ मुहिम चलाते हुए जम्मू-कश्मीर की वास्तविक तस्वीर को जनता के सामने लाया जायेगा। ज़मीनी स्तर से मीटिंगें, नुक्कड़ सभाएँ, रैलियों जैसी गतिविधियाँ चलाते हुए 3 से 10 सितम्बर तक पंजाब में विभिन्न ज़ि‍लों/तहसीलों में रोष प्रदर्शन, कन्वेंशन करने का फै़सला किया गया। 15 सितम्बर को मोहाली में विशाल रैली करके चण्डीगढ़ में रोष मार्च करने का ऐलान किया गया।

संगठनों के अन्दर शिक्षादायक मीटिंगों के सिलसिले के जरिए इस अभियान को कतारों का हिस्सा बनाते हुए इस मुहिम की शुरुआत की गई। लोगों को बताया गया कि किस तरह भारतीय व पाकिस्तानी हुक्मरान कश्मीरी कौम का दमन करते आए हैं। पंजाबी जनता में अपने साथ हुई क़ौमी बेइंसाफ़ी के कारण कश्मीरी कौम के साथ गहरी हमदर्दी व भारतीय हुक्मरानों के खिलाफ़ नफ़रत है। पंजाब की अवाम कश्मीरी जनता के दर्द को महसूस करती है। हालांकि हुक्मरानों द्वारा प्रचारित ‘अखण्ड भारत’ के नारों के कारण बहुत से लोगों को आत्मनिर्णय की माँग अजीब लगती है लेकिन कश्मीर के इतिहास व भारतीय हुक्मरानों द्वारा उनके साथ किए धोखे के बारे में जानकर वे आत्मनिर्णय की जनवादी माँग के साथ सहमत हो जाते हैं।

इन तैयारियों के साथ 3 से 10 सितम्बर तक संगरूर, मोगा, पटियाला, अमृतसर, बरनाला, मुक्तसर, मानसा, फरीदकोट, लुधियाना, तरनतारन, बठिंडा, नकोदर व ख़न्ना में जिला/ब्लाक स्तरीय रोष प्रदर्शन किए गए। इनमें 7000 से अधिक मज़दूर, किसान, छात्र, नौजवान, बुद्धिजीवियों आदि ने हिस्सा लिया। इन प्रदर्शनों में कश्मीरी जनता के प्रति जनता में दिलों में मज़बूत हमदर्दी सामने आई।

पंजाब में इस मुहिम के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 15 सितम्बर को मोहाली/चण्डीगढ़ में होने जा रही विशाल रोष प्रदर्शन पर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पाबन्दी लगा दी। इस पाबन्दी के साथ कांग्रेस पार्टी का वास्तविक चेहरा भी नंगा हो गया। कांग्रेस पार्टी दिखावे के तौर पर कश्मीर मसले पर केन्द्र सरकार का विरोध कर रही थी। पंजाब की कांग्रेस सरकार के दमनकारी कदम ने साबित कर दिया कि हुक्मरान वर्ग की सभी पार्टियाँ कश्मीर मसले पर एकमत हैं। कश्मीरी कौमी संघर्ष समर्थन कमेटी, पंजाब मोहाली में प्रदर्शन के लिए अर्जी को यह कहकर रद्द कर दिया गया कि इससे जन सुरक्षा को खतरा पैदा होगा। मोहाली में टैंट लगा रहे टैंट मालिक को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। लेकि जनसंगठनों के दबाव तले पुलिस अपने वाहन से उसे घर तक छोड़ने भी पहुँची। सरकारी पाबन्दियों को न मानने का ऐलान करते हुए समर्थन कमेटी ने कहा कि 15 सितम्बर की रैली रद्द नहीं की जाएगी।

पंजाब व चण्डीगढ़ पुलिस ने 14 सितम्बर को ही जगह-जगह नाकाबन्दी कर दी। 15 सितम्बर को तो सुबह चार बजे से जगह-जगह नाकाबन्दी और बढ़ा दी गयी। ट्रांसपोर्टरों को धमकाया गया। इस तरह की गई नाकाबन्दी के खिलाफ़ आक्रोशित किसानों, ग्रामीण व खेत मज़ूदूरों, नौजवानों, छात्रों, स्त्रियों द्वारा पंजाब के 10 जिलों में 16 जगहों पर सड़कों पर बड़े जाम लगाकर केन्द्र व पंजाब सरकार के खिलाफ़ प्रदर्शन किए गये। मोदी व कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अर्थियाँ जलायी गयींं। इसके अलावा पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) व नौजवान भारत सभा के नेतृत्व में सारी पाबन्दियों को चीर कर मोहाली पहुँचे लोगों ने ज़ोरदार आवाज़ बुलन्द की। दशहरा ग्राऊँड पहुँचे लोगों में से 30 लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। इनमें 10 लड़कियाँ भी थीं। इसी तरह मोहाली रेलवे स्टेश्न पहुँचे लगभग 200 औद्योगिक मज़दूरों, नौजवानों, छात्रों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। इनमें भी काफी संख्या में स्त्रियाँ शामिल थीं। समर्थन कमेटी ने ऐलान कर दिया कि अगर गिरफ़्तार लोगों को नहीं छोड़ा गया तो सड़कों पर जाम जारी रहेंगे। जनदबाव के चलते सभी गिरफ़्तार लोगों को छोड़ने पर पुलिस को मजबूर होना पड़ा।

इस तरह कश्मीरी क़ौम के हक़ में पंजाब से बुलन्द हुई आवाज़ को दबाने में हुक्मरान पूरी तरह नाकाम रहे। चण्डीगढ़/मोहाली में होने वाली रैली पर पाबन्दी लगा कर हुक्मरानों ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। पंजाब में बड़े स्तर पर सरकार के क़दम की निन्दा हुई। कई दिनों तक अखबारों-चैनलों-सोशल मीडिया पर रैली पर पाबन्दी की चर्चा रही। 15 को जगह-जगह तैनात पुलिस बल, नाकाबन्दियों, मोहाली-चण्डीगढ़ को पुलिस छावनी में बदलने, सड़के जाम होने, बड़े स्तर पर प्रदर्शन, इन प्रर्दशनों की बड़े स्तर अखबारों, टी.वी./इण्टरनेट चैनलों, सोशल मीडिया पर बड़ी स्तर पर चर्चा आदि के कारण पंजाब के लोगों में और भी बड़े स्तर पर कश्मीर के हक़ में उठ रही आवाज़ की चर्चा थी। पंजाब के बाहर भी बड़े स्तर पर इन प्रदर्शनों ने ध्यान खींचा। अगर बिना रोक-टोक के मोहाली/चण्डीगढ़ में रैली हो जाती तो इतने बड़े स्तर पर कश्मीरी क़ौमी संघर्ष के हक़ में देश-दुनिया तक पंजाब से उठी यह आवाज न पहुँच पाती।

विभिन्न जगहों पर हुए प्रदर्शनों को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि इस मुहिम के दौरान पंजाब की मेहनतकश जनता ने यह समझा है कि देश में धर्मों-जातियों-क्षेत्रों के बँटवारे से ऊपर उठकर सभी मज़दूरों-मेहनतकशों में एक सांझापन है जो देश के हुक्मरानों के दमन, जुल्मों व लूट के खिलाफ़ उनकी ताकत है। लोगों ने इस एकजुटता की ताकत को पहचाना है जिससे हुक्मरान वर्गों को खौफ आता है। अपनी इस ताकत के ज़रिए ही उन्हें बहुत से न्याय-युद्ध लड़ने हैं और जीतने हैं।

मज़दूर बिगुल, अक्तूबर 2019


 

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